जानिए क्या है आयरन डोम, जो फिलस्तीनी रॉकेट से बचाता है इजरायल के लोगों की जान

इजरायल के पास एक ऐसी सुरक्षा प्रणाली है जो उसे फिलिस्तीनी रॉकेट हमलों से बचाती है. 

Written by - Navin Chauhan | Last Updated : May 12, 2021, 07:28 AM IST
  • साल 2012 में हुआ था आयरन डोम का परीक्षण
  • लक्ष्य के करीब पहुंचकर मिसाइल हो जाती है ब्लास्ट
जानिए क्या है आयरन डोम, जो फिलस्तीनी रॉकेट से बचाता है इजरायल के लोगों की जान

नई दिल्ली: मई के पहले सप्ताह में इजरायल और फिलिस्तीन के बीच नए सिरे से विवाद शुरू हो गया. पुराने यरुशलम शहर में स्थिति अल अक्सा मस्जिद से शुरू हुआ विवाद दोनों देशों के बीच रॉकेट और मिसाइल हमलों तक पहुंच गया है. इसमें दोनों के आम लोगों को जान गंवानी पड़ी है. हर बार की तरह इस बार भी जान माल का ज्यादा नुकसान फिलिस्तीन को ही हुआ है.

सोमवार को इजरायल द्वारा किए गए हवाई हमले में 10 बच्चों सहित 28 लोगों की जान गंवाने के बाद फिलिस्तीन ने बदले का कार्रवाई करते हुए 150 से ज्यादा रॉकेट इजरायल के ऊपर दाग दिए. हालांकि इसमें से अधिकांश रॉकेट को इजरायल ने हवा में ही मार गिराया. बावजूद इसके कुछ इजरायल के रिहायशी इलाकों तक पहुंचने में सफल रही जिसमें एक भारतीय सहित अन्य कई लोगों की जान चली गई.

2012 में हुआ था परीक्षण

इजरायल के लोगों की जान बचाने में सबसे अहम भूमिका आयरन डोम मिसाइल डिफेंस सिस्टम ने पूरी की है. चारों ओर से दुश्मनों से घिरे होने के बावजूद इजरायल लगातार दुश्मन मुल्कों से लोहा ले रहा है. 10 साल पहले उसने छोटी और मध्यम दूरी की मिसाइलों और रॉकेट से बचने के लिए इजरायली डिफेंस उत्पाद निर्माता कंपनी राफेल ने इसे अमेरिकी सहयोग से तैयार किया था.

पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा तैनात है ये सिस्टम

कंपनी के मुताबिक यह पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा संख्या में तैनात मिसाइल डिफेंस सिस्टम है. जिसकी गुणवत्ता 90 प्रतिशत है. यह डिफेंस सिस्टम आधुनिक युद्ध प्रणाली में खुद को साबित कर चुका है.

यह बहुउद्देशीय सिस्टम प्रभावी रूप से रॉकेट, मोर्टार और तोपखाने के गोले, साथ-साथ विमान, हेलीकाप्टरों और यूएवी को बेहद कम दूरी से निशाना बना सकता है.

एक साथ काम करते हैं कई इक्युपमेंट

आयरन डोम मोबाइल मिसाइल डिफेंस सिस्टम है. इस प्रणाली में कई इक्युपमेंट्स एक साथ मिलकर काम करते हैं. हमला होने के बाद इसमें लगी रडार पता करती है कि किस दिशा से, कौन सा या कैसा रॉकेट या मोर्टार उसकी तरफ आ रहा है. उसी दौरान वो उसकी स्पीड और रास्ते का आकलन करके वो जानकारी कंट्रोल सेंटर के पास भेज देती है.

इसके बाद कंट्रोल सेंटर इस बात की जांच करता है कि जो रॉकेट या मोर्टार  दागा गया है वो रिहायशी इलाके में गिरेगा या नहीं. यदि वो प्रोटेक्टेड एरिया में गिर रहा होता है तो बगैर कोई देरी किए इंटरसेप्टर मिसाइल उसकी तरफ छोड़ दी जाती है. लॉन्चर में लगी मिसाइल्स को कंट्रोल सेंटर या इसके अंदर लगी रडार से लगातार निर्देश मिलते रहते हैं और वो अपने निशाने का पीछा आखिर तक करती है.

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लक्ष्य के करीब पहुंचकर हो जाती है ब्लास्ट

डिफेंस सिस्टम में लगी मिसाइल हमला करने आ रहे रॉकेट या लॉन्चर के करीब जाती है और फट जाती है. ऐसा करने सो रॉकेट भी खत्म हो जाता है. इस एयर डिफेंस प्रणाली का मुख्य लक्ष्य मिसाइल को अधिक आबादी वाली जगहों से दूर ले जाना होता है कि जिससे कि जमीनी स्तर पर  कम से कम नुकसान हो.

हमले से पहले बजता है सायरन, लोग हो जाते हैं आगाह

इसके बाद वो रेंज और निशाने पर लिए गए क्षेत्र की दिशा की जांच करता है और वॉर्निंग सायरन बजाता है. सायरन बजने के बाद स्थानीय लोगों के पास सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए 30 से 90 सेकंड का समय होता है.

इसके बाद आयरन डोम से निकली एंटी मिसाइल रॉकेट और मोर्टार को हवा में नष्ट कर देती है. हालांकि कई बार चूक हो जाती है और इजरायल को भी अंधाधुंध हमले के बीच जान-माल का नुकसान उठाना पड़ता है.

यह रक्षा प्रणाली हर मौसम में काम करने में सक्षम है और आयरन डोम से निकली एंटी मिसाइल 70 किमी के दायरे में स्थित रॉकेट/ मोर्टार को नेस्तनाबूत कर देती है. यह तकनीक किसी सुनसान जगह पर होने वाले रॉकेट हमलों को विफल नहीं करती बल्कि इसका मुख्य मकसद रिहायशी इलाकों को सुरक्षा प्रदान करना है.

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