अल-अक्सा मस्जिद प्रांगण क्यों है यहूदी, मुसलमानों और ईसाइयों के लिए अहम?

अल-अक्सा मस्जिद परिसर पुराने यरुशलम शहर में है. इस मस्जिद को मक्का और मदीना के बाद मुसलमानों का सबसे पवित्र स्थल माना जाता है. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : May 12, 2021, 07:09 AM IST
  • इसी जगह पर सूली पर चढ़ाए गए थे ईसा मसीह
  • चमत्कारिक यात्रा पर अल-अक्सा मस्जिद आए थे पैगम्बर मोहम्मद
अल-अक्सा मस्जिद प्रांगण क्यों है यहूदी, मुसलमानों और ईसाइयों के लिए अहम?

नई दिल्ली: इजरायली सेना और फिलिस्तीन आतंकी संगठन हमास एक बार फिर आमने सामने हैं. दोनों देश एक दूसरे पर रॉकेट से हमला कर रहे हैं जिसमें महिलाओं और बच्चों सहित कई लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. शुक्रवार रात यरुशलम की अल- अक्सा मस्जिद के पास भड़की हिंसा ने दोनों के बीच आग में घी का काम किया.

साल 1967 में हुए अरब-इजरायल युद्ध के बाद इजरायल ने पूर्वी यरुशलम को अपने कब्जे में ले लिया था. इस जीत का पुराने यरुशलम में इजरायली जश्न मना रहे थे. इस बात से चिढ़कर फिलिस्तीनी प्रशासन पर काबिज हमास ने गाजा पट्टी से इजरायल की ओर तीन रॉकेट दाग दिए.

इसके बाद अल-अक्सा मस्जिद के बाहर इजरायली पुलिस अफसरों पर फिलिस्तीनियों द्वारा पत्थर फेंकने और हमला किए जाने के बाद पुलिस ने ग्रेनेड और आंसू गैस के गोले चलाए. पुलिस की इस कार्रवाई में 50 से अधिक फिलिस्तीनी गंभीर रुप से घायल हुए उन्हें अस्पताल में भर्ती करना पड़ा. 


 
फिलिस्तीनी दंगाइयों और इजरायली पुलिस के बीच हुई झड़प के एक वीडियो में इजरायली पुलिस अल-अक्सा मस्जिद के अंदर घुसकर आसूं गैस के गोले दागते और स्टन ग्रेनेड का इस्तेमाल करते दिखाई दी. इसके बाद यह पवित्र स्थल इजरायली पुलिस और फिलस्तीनी दंगाइयों के बीच हिंसक झड़प का मुख्य केंद्र बन गया. 

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अल-अक्सा मस्जिद परिसर पुराने यरुशलम शहर में है. इस मस्जिद को मक्का और मदीना के बाद मुसलमानों का सबसे पवित्र स्थल माना जाता है. यरुशलम 640 ईस्वी के दशक में मुस्लिमों के नियन्त्रण आया था, जिसके बाद यरुशलम एक मुस्लिम शहर बन गया और अल-अक्सा मस्जिद मुस्लिम साम्राज्य में सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों में से एक बन गई.

चमत्कारिक यात्रा पर आए थे पैगम्बर मोहम्मद 

इस्लामिक परंपरा के मुताबिक 620 में पैगम्बर मोहम्मद ने इस्रा और मिराज का अनुभव किया था. उनकी एक चमत्कारिक रात्रि की लंबी यात्रा देवदूत जिब्राइल के साथ हुई थी. इस यात्रा के दौरान उन्होंने सबसे दूर की मस्जिद के लिए बुर्राक जानवर पर सवार होकर यात्रा की थी.

इस यात्रा के दौरान वो अल-अक्सा मस्जिद पहुंचे थे. मुसलमान पहले इसी मस्जिद की ओर मुंह करके नमाज पढ़ते थे. लेकिन बाद में पैगम्बर मोहम्मद को अल्लाह से मिले आदेश के बाद मक्का के काबा की ओर मुंह करके नमाज पढ़ी जाने लगी. 

माउंट टेंपल का पुराना है इतिहास, यहूदियों का है विश्वास  

पुराने यरुशलम में इसी जगह पर यहूदियों का टेम्पल माउंट भी स्थित है. टेम्पल माउंट यानी भगवान के घर वाला पहाड़ कहा जाता है. मुस्लिम इसे हरम अस-शरीफ(पवित्र पूजा-स्थल) कहते हैं.

यहूदी मान्यताओं के मुताबिक टेंपल माउंट पर पहले मंदिर का निर्माण किंग डेविड के पुत्र किंग सोलोमन ने 957 ईसा पूर्व करवाया था. जिसे 586 ईसा पूर्व में शुरुआती बेबीलोन साम्राज्य के शासकों ने तोड़ दिया था. 

इसके बाद दूसरे मंदिर का निर्माण जेरुबेबल ने 516 ईसा पूर्व में कराया था जिसे रोमन साम्राज्य ने 72 ईसा पूर्व में तोड़ दिया. कुछ यहूदी इस स्थान को इतना पवित्र मानते हैं कि उसके ऊपर पैर भी नहीं रखते क्योंकि उन्हें लगता है कि कई ऊंचे और महान लोग यहां खड़े हुए हैं. 

यहूदी परंपरा में माना जाता है कि जब मसीहा आएंगे तब तीसरे मंदिर का भी निर्माण होगा. रोमन साम्राज्य के हमले के बाद मंदिर की एक दीवार बची थी जो आज भी यहूदियों के लिए पवित्र तीर्थ मानी जाती है. इसे वेस्टर्न वॉल भी कहा जाता है. इस घटना को एक्जोडस कहा जाता है. कुछ स्कॉलर इस घटना को मनगढंत बताते हैं. एक्जोडस के बाद यहूदी पूरी दुनिया में फैल गए. 

इसी जगह पर सूली पर चढ़ाए गए थे ईसा मसीह

वेस्टर्न वॉल और अल-अक्सा मस्जिद के साथ ईसाइयों की पवित्र जगह भी यहीं पर है. इसी जगह पर ईसा मसीह को सूली पर टांगा गया था, वो जगह आज भी मौजूद है. इस तरह एक साथ तीन धर्मों के लिए यह जगह पवित्र स्थल है.

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