अब नीदरलैन्ड ने दी गुड न्यूज़, नई एन्टीबॉडी खोज ली

कोरोना की जंग में दुनिया के वैज्ञानिक दिन-रात एक किये हुऐ हैं और कोरोना वायरस का उपचार ढूंढने में लगे हैं. इस दिशा में कई देशों से वैक्सीन और एन्टीबॉडी ढूंढ लेने के दावे भी किये गये हैं और अब इसी कड़ी में अगली अच्छी खबर दी है नीदरलैंड ने और दुनिया को बताया कि उन्होंने  कोरोना संक्रमण को रोकने वाली नई एंटीबॉडी खोज ली है..  

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : May 8, 2020, 09:22 PM IST
    • इस एंटीबॉडी का नाम है 47D11
    • चूहों से पाई गई है ये एंटीबॉडी
    • 51 एंटीबॉडीज की पहचान की गई
अब नीदरलैन्ड ने दी गुड न्यूज़, नई एन्टीबॉडी खोज ली

नई दिल्ली.  एक और अच्छी खबर है ये यूरोप के देश नीदरलैंड्स से. इस देश के चिकित्सा वैज्ञानिकों ने कोरोना की एक नई एंटीबॉडी को ढूंढने  में कामयाबी पाई है. अब तो बस इंतज़ार है उस खबर का जिसमें ये बताया जाए कि ये एंटीबॉडी या वैक्सीन कोरोना के रोगियों को स्वस्थ करने में भी सफलतापूवक कारगर सिद्ध हो रही है.

 

इस एंटीबॉडी का नाम है 47D11

नीदरलैंड्स के वैज्ञानिकों जिस कोरोना एंटीबॉडी की खोज की है उसका नाम है 47D11. ये नई किस्म की एंटीबॉडी है जो कोरोनावायरस का संक्रमण रोकती है. यह एंटीबॉडी कोरोनावायरस के स्पाइक प्रोटीन ब्लॉक कर देती है. कोरोना का वायरस शरीर में संक्रमण फैलाने के लिए जिस स्पाइक प्रोटीन से कोशिकाओं को जकड़ता है, उसी को ये एंटीबॉडी जकड़ करके इसको बढ़ने से रोक देती है.

चूहों से पाई गई है ये एंटीबॉडी

इस कोरोना एंटीबॉडी को ढूंढ निकालने वाले नीदरलैंड्स के यूट्रेच्ड विश्वविद्यालय ने इसके लिए काफी समय तक चूहों पर प्रयोग किये थे और तब इस 47D11 एंटीबॉडी को ढूंढने में सफलता पाई थी. वैज्ञानिकों ने प्रयोग के दौरान पाया कि चूहों की कोशिकाओं में 47D11 एंटीबॉडी मौजूद होती है जो कि  कोरोना के प्रोटीन को पकड़कर ब्लॉक करने में सक्षम होता है और ऐसा करके वह वायरस के प्रभाव को निष्क्रिय करके संक्रमण रोक देती है.

 

51 एंटीबॉडीज की पहचान की गई

इन वैज्ञानिकों ने प्रयोग करने के दौरान चूहों के शरीर में 51 एंटीबॉडीज की पहचान की. इन एंटीबॉडीज के बीच में से इस कोरोना एंटीबॉडी को ढूंढ कर निकाला गया है. अलग अलग प्रयोगशालाओं में चल रहे प्रयोगों के दौरान अलग-अलग कोरोनावायरस के स्पाइक प्रोटीन को चूहे की कोशिकाओं में इंजेक्ट किया गया. यहां इस्तेमाल में लाए गए कोरोनावायरस में सार्स, मर्स और SARS-CoV2 के वायरस भी सम्मिलित थे.

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