पृथ्वी अपनी धुरी पर ज्यादा तेजी से घूम रही, 24 घंटे से कम में चक्कर पूरा, जानें कारण और असर

Earth Rotation: वैज्ञानिकों और खगोलशास्त्रियों ने चौंकाने वाला खुलासा किया है. दावा है कि धरती अपनी सामान्य गति से तेज़ घूमने लगी है. पृथ्वी के घूमने की स्पीड इतनी तेज है कि 24 घंटे में पूरा होने वाला चक्कर, उससे पहले ही पूरा हो जा रहा है.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Aug 1, 2022, 03:14 PM IST
  • धरती ने अपना चक्कर पूरी करने में कम वक्त लिया
  • 24 घंटे से 1.59 मिलीसेकंड कम लगा चक्कर में
पृथ्वी अपनी धुरी पर ज्यादा तेजी से घूम रही, 24 घंटे से कम में चक्कर पूरा, जानें कारण और असर

नई दिल्ली: Earth Rotation: वैज्ञानिकों और खगोलशास्त्रियों ने चौंकाने वाला खुलासा किया है. दावा है कि धरती अपनी सामान्य गति से तेज़ घूमने लगी है. पृथ्वी के घूमने की स्पीड इतनी तेज है कि 24 घंटे में पूरा होने वाला चक्कर, उससे पहले ही पूरा हो जा रहा है. जानकारी के मुताबिक, 29 जून 2022 को पृथ्वी को अपने अक्ष पर एक चक्कर पूरा करने में 24 घंटे से कम का समय लगा था.

इस दिन धरती ने अपना चक्कर 24 घंटे से 1.59 मिलीसेकंड में पूरा कर लिया. जो औसत स्पीड से ज्यादा है.

पहले वैज्ञानिकों का उल्टा था दावा
इंडिपेंडेंट की रिपोर्ट के मुताबिक कुछ साल पहले तक वैज्ञानिकों कहते थे कि पृथ्वी का घूमना धीमा हो रहा है.इसको देखते हुए इंटरनेशनल अर्थ रोटेशन एंड रेफरेंस सिस्टम्स सर्विस (IERS) ने धीमी स्पिन के लिए लीप सेकंड जोड़ना शुरू कर दिया था. बता दें कि ऐसा  31 दिसंबर 2016 तक किया गया. लेकिन फिर कहा गया कि धरती तेजी से घूम रही है. परमाणु घड़ियों से भी ये पता चला है कि पृथ्वी के घूमने की गति तेज हो रही है. ये नेगेटिव लीप सेंकेड की शुरुआत कर सकती है. 

रिपोर्ट में क्या कहा गया
पृथ्वी ने हाल के दिनों में अपनी स्पीड काफी तेजी से बढ़ाई है. 
2020 में पृथ्वी की तेज गति के चलते जुलाई का महीना सबसे छोटा देखा गया. 
1960 में19 जुलाई को अब तक का सबसे छोटा दिन मापा गया था.
इस दिन पृथ्वी ने अपना चक्कर 24 घंटे से 1.47 मिलीसेकंड पहले पूरा कर लिया था. 
जबकि इस साल 26 जुलाई को धरती 1.50 मिलीसेकंड पहले पूरी घूम गई. 

तेज गति के कारण 
रिपोर्ट के मुताबिक, पृथ्वी की गति में निरंतर बढ़ोतरी देखी जा रही है. इसका कारण ग्लेशियरों का पिघलना, धरती की आंतरिक पिघली कोर और भूकंप हो सकते हैं. कोर की इनर और आउटर लेयर, महासागरों, टाइड या फिर जलवायु में लगातार हो रहे परिवर्तन के कारण भी यह हो सकता है. नेगेटिव सेकंड लीप संभावित रूप से आईटी सिस्टम के लिए कई तरह की समस्याएं पैदा करेगा. 

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