नई दिल्लीः एक कहावत है, चोरी चोरी से जाए, हेराफेरी से न जाए, करतारपुर कॉरिडोर पर पाकिस्तान का भी ऐसा ही रुख है. 70 सालों से 4 किलोमीटर का यह रास्ता खुलने की राह देख रहा था और जब पिछले 2 साल में इसकी कवायद में तेजी आई तो तमाम रोक-टोक लगती रही. अब जब यह अगले तीन दिनों में उद्घाटन होकर खोल दिया जाएगा तो इससे ठीक पहले यहां नया विवाद और नई आशंका ने सिर उठा लिया है. बात यह है कि पाकिस्तान प्रधानमंत्री की आधिकारिक अकाउंट से एक वीडियो जारी किया गया. यह विडियो करतारपुर कॉरिडोर से संबंधित है और उसके खोले जाने की शुभकामनाओं के लिए बनाया गया है.
....लेकिन वीडियो में एक पुराना जख्म उभर आया है
सुरीले संगीत से सजे इस विडियो ने भारत का एक पुराना जख्म कुरेद दिया गया है. 4 मिनट के इस वीडियो में 3ः30 मिनट पर खलिस्तानी समर्थक आतंकियों से जुड़ा पोस्टर दिखता है. इसी को पाकिस्तान की नापाक मंशा करार दिया जा रहा है.
इसके साथ ही यह भी अटकलें लगाई जा रही हैं, कहीं यह रास्ता दोबारा किसी अलगाववाद के जहर को मुल्क में घुस आने की राह तो नहीं दे देगा. यह डर इसलिए भी कंपा देने वाला है कि जैसे ही उद्घाटन सत्र के इस विडियो में भिंडरावाला व अन्य आतंकियों पर नजर जाती है तो याद आ जाता है देश का करीब 35 साल का वह इतिहास जो खून से लाल है, आंसुओं से भीगा है और चीख-पुकार से भरा है. डालते हैं एक नजर कि इतिहास में ऐसा क्या हुआ था
करतारपुर कॉरिडोर पर पाकिस्तान का वीडियो यहां देखें, क्लिक करें
याद आता है ऑपरेशन ब्लू स्टार
साल 1984 के जून की गर्मियों में सेना ने अमृतसर के हरिमंदिर साहब गुरुद्वारा परिसर यानी कि स्वर्ण मंदिर में एक सैन्य अभियान चलाया था. 3 से 6 जून के बीच चले इस अभियान का मकसद था कि गुरुद्वारा परिसर को खलिस्तान समर्थक जनरैल सिंह भिंडरावाले और उनके समर्थकों से मुक्त कराया जाए. पंजाब में भिंडरावाले के नेतृत्व में अलगाववादी ताकतें एकजुट हो रहीं थीं, जिन्हें पाकिस्तान से समर्थन मिल रहा था. दरअसल जनरैल सिंह भिंडरावाले और उसके समर्थक पंजाबी भाषी क्षेत्रों को एकजुट कर उनके लिए अलग से नीतियां बनाए जाने की मांग कर रहे थे. धीरे-धीरे यह मांग हिंसक होती चली गई.
1970 से शुरू हुई यह मांग 1978 आते-आते हिंसक हो गई और जनरैल सिंह के इशारे पर चरमपंथ की ताकत बढ़ने लगी. 1981 में पंजाब केसरी के संपादक की हत्या हो गई. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक अलग-अलग घटनाओं में 1984 तक चरमपंथ के कारण 298 लोग मारे जा चुके थे. इंदिरा गांधी सरकार ने पंजाब में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया. इसके बाद 3 जून से 6 जून तक स्वर्ण मंदिर में सैन्य अभियान चलाया गया. जिसे ऑपरेशन ब्लू स्टार नाम दिया गया.
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याद आती है इंदिरा गांधी की हत्या
ऑपरेशन ब्लू स्टार एक त्रासदी पर लगा अल्पविराम था. अभी देश को एक और बड़ी त्रासदी से जूझना था. यह मौका भी कुछ ही महीनों में आ गया. 31 अक्टूबर को देश की पहली महिला प्रधानमंत्री की हत्या उनके ही अंगरक्षकों बेअंत सिंह और सतवंत सिंह ने कर दी.
दरअसल सिख समुदाय स्वर्ण मंदिर में सेना के ऑपरेशन को अपमान मानता था. इसी अपमान का बदला लेने के लिए अक्टूबर के आखिरी दिन सुबह 9 बजकर 20 मिनट पर इंदिरा गांधी का शरीर 30 गोलियों से छलनी कर दिया गया. इसके बाद पूरे देश में सिख विरोधी दंगे भड़क गए. दिल्ली-पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बहुत लोग मारे गए. करतारपुर कॉरिडोर के लिए जारी किया गया विडियो भारत को इन्हीं त्रासदियों की याद दिला देता है.
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पाकिस्तान की नापाक मंशा पर इसलिए है शक
इसी साल सितंबर 2019 में पंजाब के तरनतारण जिले से पंजाब पुलिस ने खेती-किसानी में इस्तेमाल होनेवाले ड्रोन ज़ब्त किए थे. 4 किलो तक का वजन ढोने की क्षमता वाले इन ड्रोन के जरिये सीमा पार से गोला-बारूद, जाली करंसी और नशे को भारत पहुंचाया जा रहा था. पंजाब पुलिस ने दावा किया था कि उसने खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स नाम के एक आतंकी संगठन को पकड़ा है और चार संदिग्धों को गिरफ्तार किया है. बताया गया था कि खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स को पाकिस्तान और जर्मनी में बैठे आतंकियों की शह मिली हुई है. तरनतारण में हुई इस कार्रवाई में 5 AK-47 राइफल्स, 16 मैगज़ीन, 472 राउंड कारतूस, चार चाइना मेड .30 बोर पिस्टल, 72 कारतूस, 5 सेटेलाइट फोन और उसके इक्विपमेंट्स, दो मोबाइल फोन, दो वायरलेस सेट और साथ ही करीब 1 लाख की नकली करेंसी पकड़ी गई है. पुलिस का दावा है कि इसका इस्तेमाल 26/11 जैसा हमला करने के लिए हो सकता था.
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पिछले एक-डेढ़ साल में ही करतारपुर मामले में तेजी आई
करतारपुर कॉरिडोर को लेकर 70 साल से मांग की जा रही है लेकिन पिछले एक-डेढ़ साल में इस मामले में तेजी आई है. दिसंबर 2018 में इस कॉरिडोर के निर्माण के फैसले पर मुहर लग गई. ना-ना करने वाला पाकिस्तान अचानक इसे लेकर बड़े ही सकारात्मक रुख में आ गया. यहां तक कि पाकिस्तान के विदेश में शाह मोहम्मद कुरैशी ने यह भी कह दिया कि करतारपुर कॉरिडोर तो खुल कर रहेगा. 4 नवंबर को खुफ़िया एजेंसियों ने जानकारी दी कि पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के नारोवाल जिले में चरमपंथियों की ट्रेनिंग गतिविधियां जारी हैं. यह स्थान करतारपुर से काफी नजदीक है.