'श्रीलंका में इस हफ्ते होगा नई सरकार का गठन', राष्ट्रपति राजपक्षे का ऐलान

श्रीलंका में राष्ट्रपति गोटाबया राजपक्षे अपने अधिकार को कम करने के लिए तैयार हो गए हैं. उन्होंने राष्ट्रपति पद नहीं छोड़ने की बात कही है. साथ ही उन्होंने ऐलान किया इस हफ्ते नए कैबिनेट और प्रधानमंत्री का शपथ हो जाएंगे.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : May 12, 2022, 08:30 AM IST
  • क्या अब संभलेगा जलता हुआ श्रीलंका?
  • हालात संभालने के लिए एक्शन में राष्ट्रपति
'श्रीलंका में इस हफ्ते होगा नई सरकार का गठन', राष्ट्रपति राजपक्षे का ऐलान

नई दिल्ली: श्रीलंका के हालात बेहद खराब होते जा रहे हैं. जनता सड़क पर है और हालात संभालने की हर कोशिश बेकार हो रही है. ऐसे में अब राष्ट्रपति गोटाबया ने सत्ता का मोह छोड़ने की सबसे बड़ी कोशिश की है. ये फैसला आसान नहीं, लेकिन श्रीलंका जिस संकट से गुजर इसमें इसके अलावा कोई और विकल्प शायद नहीं है. ये बात अब राष्ट्रपति गोटाबया को समझ में आ चुकी है इसीलिए बुधवार को उन्होंने देश का संबोधन किया और हालात संभालने की सबसे आखिर और कारगर कोशिश की.

इस हफ्ते श्रीलंका को नए पीएम मिल जाएंगे

श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबया राजपक्षे ने कहा कि 'मौजूदा हालात को संभालने के लिए मैं सरकार बनाने के लिए कदम उठा रहा हूं जिससे देश को अराजकता में जाने से बचाया जा सके और सरकार के रुके हुए कामकाज फिर से शुरू हो सके. इस हफ्ते, मैं एक प्रधानमंत्री और मंत्रियों की एक कैबिनेट नियुक्त करूंगा जो संसद में बहुमत हासिल कर सकें और लोगों का विश्वास जीत कर सकें.'

गोटाबया को ये बात अच्छे से पता है कि विपक्ष उनकी बातों पर भरोसा नहीं करेगा, क्योंकि गोटाबया राजपक्षे पूर्व प्रधानमंत्री महिंद्रा राजपक्षे के भाई हैं और श्रीलंका में इस हालात के लिए जिम्मेदार पूर्व प्रधानमंत्री महिंद्रा राजपक्षे हैं. लेकिन अब राष्ट्रपति गोटाबया देश के हालात स्थिर होने के बाद कार्यकारी राष्ट्रपति के पद को समाप्त करने के लिए तैयार हैं.

श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबया का बड़ा बयान

गोटाबया राजपक्षे ने कहा कि 'राष्ट्रपति प्रणाली को समाप्त करने के लिए विभिन्न दलों से भी कहा गया है. नई सरकार के देश को स्थिर करने के बाद, मैं सभी से परामर्श करके इस दिशा में काम करने का अवसर दूंगा.'

गोटाबया के ऐलान के बाद हो सकता हालात संभले. संवैधानिक रूप से राष्ट्रपति को बिना मंत्रिमंडल के ही देश को चलाने के लिए अधिकार प्राप्त है और विपक्ष को इससे ही नाराजगी है. लेकिन अब गोटाबया कहा कि वो संविधान 19वें अनुच्छेद में संशोधन करने का अधिकार संसद के दे देंगे. यही अनुच्छेद तकनीकी तौर पर राष्ट्रपति को तानाशाह जैसी शक्तियां देता है.

सुधर नहीं रहे श्रीलंका के हालात, हिंसा-प्रदर्शन जारी

राष्ट्रपति के बड़े भाई और प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के इस्तीफा देने के बाद पिछले दो दिनों से श्रीलंका में कोई सरकार नहीं है. उनके इस्तीफे के बाद अंतरिम सरकार का रास्ता साफ हो गया है. हालांकि इस्तीफे बाद हालात और खराब हो गए थे. जगह-जगह हिंसा हुई जिसमें 9 लोगों की जिसमें 2 पुलिस अधिकारी मारे गए. गाड़ियों को जलाया गया काफी सार्वजनिक संपत्ति, दुकानों-घरों को नुकसान पहुंचाया गया. इसीलिए अपने संबोधन में गोटाबया ने उपद्रवियों से सख्ती से निपटने की चेतावनी भी दी.

राष्ट्रपति राजपक्षे ने कहा कि 'इस समय, सरकार की प्राथमिक जिम्मेदारी सभी नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है. इसलिए तीनों सशस्त्र बलों और पुलिस को दंगाइयों के खिलाफ कानून को सख्ती से लागू करने का आदेश दिया गया है.' फिलहाल निमल सिरिपाला डी सिल्वा सहित प्रधानमंत्री पद के रेस में तीन लोगों के नाम है.

भारतीय दूतावास ने ट्वीट कर साझा किया सच

इसी बीच श्रीलंका में भारतीय दूतावास ने ट्वीट करके लिखा कि श्रीलंका में भारत कोई सेना नहीं भेज रहा है और मीडिया या सोशल मीडिया में चल रही ऐसी खबरें गलत है. इसके साथ ही दूतावात ने श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे और उनका परिवार के भारत आने की खबर का खंडन किया.

संकट में घिरे श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने पद छोड़ने से बुधवार को इनकार कर दिया लेकिन कहा कि वह इसी हफ्ते नये प्रधानमंत्री एवं मंत्रिमंडल की नियुक्ति करेंगे जो संवैधानिक सुधार पेश करेगा.

मंत्रिमंडल में नहीं होगा राजपक्षे परिवार कोई सदस्य

संकट के बीच प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने वाले महिंदा राजपक्षे अपने करीबियों पर हमले के मद्देनजर एक नौसेना अड्डे पर सुरक्षा घेरे में हैं. राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में गोटबाया (72) ने यह भी कहा कि नये प्रधानमंत्री एवं सरकार को नियुक्त करने के बाद संविधान में 19वें संशोधन की सामग्री तैयार करने के लिए एक संवैधानिक संशोधन पेश किया जाएगा जो संसद को और शक्तियां प्रदान करेगा. गोटबाया ने कहा, 'मैं युवा मंत्रिमंडल नियुक्त करूंगा जिसमें राजपक्षे परिवार का कोई सदस्य नहीं होगा.'

श्रीलंका अब तक के सबसे खराब आर्थिक संकट से गुजर रहा है. इससे निपटने में सरकार की विफलता को लेकर देशव्यापी विरोध प्रदर्शन के बीच महिंदा को सुरक्षा मुहैया करायी गई है. विपक्षी दल भी उनकी गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं. श्रीलंका पीपुल्स पार्टी (एसएलपीपी) नेता महिंदा 2005 से 2015 तक देश के राष्ट्रपति थे और उस दौरान उन्होंने लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (लिट्टे) के खिलाफ क्रूर सैन्य अभियान चलाया था.

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