... और इस तरह रूस बनेगा दुनिया का दादा?

सुपर सोनिक मिसाइलों का नया दावा करके रूस दुनिया का दादा बनने की राह पर आगे बढ़ रहा है. सुपर सोनिक मिसाइलें आवाज की गति से भी 5 गुना ज्यादा तेज चल कर टारगेट को तबाह कर सकती हैं. जिसे ट्रैक कर पाना बेहद ही मुश्किल है.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Dec 26, 2019, 02:56 AM IST
    1. रूस का सुपरसोनिक मिसाइलों पर एक नया दावा
    2. व्लादिमीर पुतिन ने दावे ने उड़ाई अमेरिका की नींद
    3. इतिहास में पहली बार हाइपरसोनिक हथियारों को तैनात
    4. मिलिट्री टेक्नोलॉजी को लीड करनी की हालत में पहुंचा रूस
... और इस तरह रूस बनेगा दुनिया का दादा?

नई दिल्ली: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सुपरसोनिक मिसाइलों पर एक नया दावा करके अमेरिका की नींद उड़ा दी है. और ये रूस और अमेरिका के बीच हथियारों की होड़ और बढ़ने की बड़ी वजह बन सकता है.

दरअसल, पुतिन ने मॉस्को में टॉप सेक्युरिटी ऑफिशियल्स से मीटिंग के बाद कहा है कि दुनिया के इतिहास में, यहां तक कि सोवियत यूनियन या फिर रूस के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है, कि हम दुनिया की मिलिट्री टेक्नोलॉजी को लीड करनी की हालत में पहुंच गए हैं. क्योंकि हमने हाइपर सोनिक मिसाइल रसियन फोर्सेज के साथ डिप्लॉय किया हुआ है.

पुतिन ने क्या कहा?

रूस के राष्ट्रपति ने कहा है कि 'हमने कभी दूसरे देशों के लिए खतरा बनने का लक्ष्य नहीं रखा है, न तो सोवियत संघ और न ही रूस ने कभी ऐसा किया।.फिर भी हमें ऐसा बताया गया. लेकिन आज के वक्त में हम बिल्कुल अनोखी स्थिति में है. दुनिया के किसी भी देश में वैसे हाइपरसोनिक हथियार नहीं हैं, इन सबसे बड़ी बात ये है कि किसी के पास समुद्र से समुद्र में मार करने वाले हाइपरसोनिक हथियार नहीं हैं.'

पुतिन ने कहा कि कोल्ड वॉर के समय में सोवियत यूनियन एटोमिक बॉम बनाने में और इंटर कॉन्टीनेंटल बैलेस्टिक मिसाइल के निर्माण में अमेरिका से पीछे था. लेकिन अब रूस ही दुनिया का एकमात्र देश है जो आधुनिक इतिहास में पहली बार अपने चिर प्रतिद्वंद्वी संयुक्त राज्य अमेरिका से कहीं आगे जाकर हाइपरसोनिक हथियारों को तैनात किया है.

अब अमेरिका ने इस मुद्दे को बेहद कूटनीतिक तरीके से डील करते हुए कहा कि पुतिन के इस स्टेटमेंट में उनके पास जोड़ने के लिए कुछ नहीं नहीं है.

इन मिसाइलों को ट्रैक करना बेहद ही मुश्किल

दरअसल, सुपर सोनिक मिसाइलें आवाज की गति से भी 5 गुना ज्यादा तेज चल कर टारगेट को तबाह कर सकती हैं. इन्हें ट्रैक करना और इंटरसेप्ट करना बेहद मुश्किल है. भारत ने भी रूस के सहयोग से ब्रह्मोस के रुप में हाइपर सोनिक मिसाइल विकसित की है, जिसकी तैनाती 2025 तक संभव है.

जबकि रुस की हाइपर सोनिक मिसाइल जिसे किंझल मिसाइल कहा जाता है. इसे फाइटर जेट MiG-31 के जरिए लॉन्च किया जा सकता है. और ये ध्वनि से 10 गुना तेज स्पीड से वार कर सकते हैं.

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अमेरिका रूस और चीन के पास कई तरह की हाइपर सोनिक मिसाइलें हैं. पर ज्यादातर की तैनाती आने वाले दिनों में मुमकिन है जबकि रूस का दावा ही यही है कि वो इकलौता ऐसा देश है जिसने सेना के साथ सुपरसोनिक मिसाइलों की तैनात की है.

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