लंदन: हमारे सोलर सिस्टम में एक अजीब चीज हो रही है. शनि के छल्लों में भारी परिवर्तन हो रहा है. वैज्ञानिकों ने पाया है कि शनि ग्रह के छल्ले सिकुड़ रहे हैं. बड़ी बात यह है कि अंतरिक्ष वैज्ञानिकों को भी इसकी वजह पता नहीं है. बस इतना पता है कि शनि के वलय बदल रहे हैं.
1980 से मिले संकेत
1980 के दशक में नासा के वायेजर 1 और 2 प्रोब द्वारा की गई खोज के बाद वैज्ञानिकों ने आशंका व्यक्त कि शनि के छल्ले का क्षरण हो सकता है. इसके बाद खगोलविदों ने शनि पर जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कॉप को निर्देशित करने का फैसला किया ताकि वे रहस्य में आगे बढ़ सकें.
उन्होंने हवाई में केके टेलीस्कोप का भी उपयोग किया. शोधकर्ता यह पता लगाने की कोशिश कि शनि के हस्ताक्षर के छल्ले कब गायब हो सकते हैं - और क्यों.
इतने साल और रहेगा वलय
वैज्ञानिकों के मुताबिक शनि के वलय के कुल क्षरण में 300 मिलियन वर्ष तक का समय लग सकता है, इसलिए उम्मीद है कि मनुष्यों को अभी भौतिकी की किताबों को अपडेट करने की आवश्यकता नहीं होगी.
लेकिन वैज्ञानिक इस आंकड़े को और सटीक बनाने की कोशिश कर रहे हैं.
क्या कहते हैं शोधकर्ता
अध्ययन के प्रमुख शोधकर्ता डॉ जेम्स ओ डोनोग्यू ने कहा, "हम अभी भी यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि वे कितनी तेजी से क्षरण कर रहे हैं.वर्तमान में, शोध से पता चलता है कि छल्ले केवल कुछ सौ मिलियन वर्षों के लिए शनि का हिस्सा होंगे. 2018 के शोध से पता चलता है कि गुरुत्वाकर्षण और ग्रह के चुंबकीय क्षेत्र द्वारा शनि के छल्लों को अंदर की ओर खींचा जा रहा है.रिंग बनाने वाले बर्फीले कण ग्रह की ओर गिरते ही ओलंपिक आकार के स्विमिंग पूल को आधे घंटे में भर सकते हैं. अब शनि के भूमध्य रेखा में गिरने का पता चला है, और छल्ले के पास रहने के लिए 100 मिलियन वर्ष से भी कम समय है.
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