सोवियत संघ ने पहले भी मचाई थी यूक्रेन में तबाही, मारे गए थे 39 लाख लोग

1930 के दशक में स्टालिन की रूसीकरण परियोजना का भी यूक्रेन ने विरोध किया था. उस वक्त भी यूक्रेन ने स्टालिन पर बड़े पैमाने पर यूक्रेन के लोगों के नरसंहार के आरोप लगाए थे.  कई इतिहासकार दो लाख से अधिक मौत का दावा करते हैं.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Feb 27, 2022, 10:10 AM IST
  • बाबी यार नरसंहार द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हुआ था
  • कीव में 48 घंटों के भीतर करीब 34,000 यहूदी मारे गए थे
सोवियत संघ ने पहले भी मचाई थी यूक्रेन में तबाही, मारे गए थे 39 लाख लोग

कीव: रूस का हमला झेल रहे यूक्रेन का इतिहास भी रक्तरंजित रहा है. रूस के तानाशाह स्टालिन पर भी यूक्रेन के लाखों लोगों को मरवाने के आरोप लगे थे. आइये जानते हैं कि यूक्रेन ने कब-कब नरसंहार झेला है. 1930 के दशक में स्टालिन की रूसीकरण परियोजना का भी यूक्रेन ने विरोध किया था. उस वक्त भी यूक्रेन ने स्टालिन पर बड़े पैमाने पर यूक्रेन के लोगों के नरसंहार के आरोप लगाए थे.  कई इतिहासकार दो लाख से अधिक मौत का दावा करते हैं.

इसके अलावा 90 साल पहले लाखों यूक्रेनवासी अकाल में भुखमरी से मारे गए थे. कहते हैं कि ये लोग जोसेफ़ स्टालिन के सोवियत राज में जानबूझकर मौत के मुंह में झोंके गए. यूक्रेन में 1932-33 में आए भयानक अकाल के उस तांडव को होलोदोमोर कहा जाता है. कहते हैं उस वक्त लोगों ने भुट्टे के दाने, गेहूं की भूसी, सूखी पत्तियां और दूसरा घासफूस खाकर जीवन बचाया था. यूक्रेन हर साल इस त्रासदी की याद में होलोदोमोर स्मृति दिवस मनाता है, जो नवंबर के चौथे शनिवार को मनाया जाता है. येल यूनिवर्सिटी के इतिहासकार टिमोथी सिंडर के मुताबिक इस त्रासदी में करीब 33 लाख लोग मारे गए थे. मगर कुछ लोगों का कहना है कि यह संख्या कहीं ज़्यादा थी और 39 लाख तक हो सकती है. 

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विद्रोही यूक्रेनियन किसान भूखमरी से मरे

इस अकाल में गांव के गांव साफ़ हो गए. स्टालिन चाहते थे कि विद्रोही यूक्रेनियन किसान भूखमरी से मर जाएं और उन्हें सामूहिक खेती के लिए बाध्य किया जाए. जब भुखमरी बढ़ी तो सोवियत अधिकारियों ने अतिरिक्त कदम उठाए. उन्होंने यूक्रेन की सीमाएं बंद कर दीं ताकि किसान कहीं जा न सकें और न खाना पा सकें. ये मौत की सज़ा की तरह था. हालांकि क्रेमलिन अधिकारी जोर देते हैं कि होलोदोमोर केवल एक त्रासदी थी. इरादतन नहीं थी. तब सोवियत संघ के दूसरे इलाक़ों का भी यही हाल था.

बाबी यार नरसंहार
बाबी यार नरसंहार द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हुए सबसे भीषण नरसंहारों में से एक था. यूक्रेन की राजधानी कीव 1941 में नाजियों के कब्जे में थी. उस समय कीव के बाबी यार क्षेत्र में 48 घंटों के भीतर करीब 34,000 यहूदी मारे गए थे. कहते हैं कि उस दौरान यूक्रेन में 15 लाख यहूदी मारे गए थे.

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