अफगानिस्तान में फिर महिलाओं पर जुल्म करने लगा तालिबान, ताजा हुईं सालों पुरानी यादें

तालिबान कट्टरपंथियों ने अफगानिस्तान में पुराने दिनों की यादें ताजा करा दी हैं. अपने दमनकारी आदेशों से उन्होंने 1990 के दशक के आखिर में उनके कठोर शासन की याद दिला दी है.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Mar 29, 2022, 02:56 PM IST
  • तालिबान की दमनकारी नीतियों ने फिर पकड़ा जोर
  • लड़कियों को छठी कक्षा से आगे स्कूल जाने पर रोक
अफगानिस्तान में फिर महिलाओं पर जुल्म करने लगा तालिबान, ताजा हुईं सालों पुरानी यादें

नई दिल्ली: तालिबान के कट्टरवादी अफगानिस्तान में पिछले कुछ दिनों से उन दमनकारी आदेशों की झड़ी लगा रहे हैं, जो 1990 के दशक के आखिर में उनके कठोर शासन की याद दिलाते हैं. लड़कियों को छठी कक्षा से आगे स्कूल जाने पर रोक लगा दी गई है, महिलाओं के बिना पुरुष रिश्तेदार के अकेले विमान में चढ़ने पर रोक लगा दी गई है.

विश्वविद्यालयों में मोबाइल फोन पर बैन
पुरुष और महिलाएं केवल अलग-अलग दिनों में सार्वजनिक पार्कों में जा सकते हैं और विश्वविद्यालयों में मोबाइल फोन का उपयोग प्रतिबंधित है. यह सब यहीं खत्म नहीं होता. अफगानिस्तान की दो भाषाओं - पश्तो और फारसी में बीबीसी सेवाएं समेत अंतरराष्ट्रीय मीडिया का प्रसारण सप्ताहांत में बंद कर दिया गया है.

इसी तरह से विदेशी ड्रामा सीरीज का प्रसारण भी बंद कर दिया गया है. अफगानिस्तान में 20 साल के युद्ध के बाद अमेरिका और नाटो पीछे हट गए और तालिबान ने अगस्त 2021 के मध्य में देश पर कब्जा कर लिया था. इसके बाद अंतरराष्ट्रीय समुदाय को चिंता थी कि वे अफगानिस्तान में पूर्व में अपने शासन के दौरान लागू सख्त कानूनों को फिर से अमल में लाएंगे.

तालिबान के फैसले से कई लोग हैरान
महिलाओं के अधिकारों पर हालिया हमला इस महीने की शुरुआत में हुआ, जब तालिबान सरकार छठी कक्षा के बाद लड़कियों को स्कूल में पढ़ने की अनुमति देने के अपने वादे से मुकर गई. खास तौर पर तालिबान द्वारा ‘सभी जरूरी मुद्दों पर आश्वासन दिए जाने’ के बावजूद इस कदम ने दुनिया के अधिकतर लोगों और अफगानिस्तान में कई लोगों को हैरान कर दिया.

संयुक्त राष्ट्र ने अंतरराष्ट्रीय मीडिया प्रसारण पर प्रतिबंध को ‘अफगानिस्तान के लोगों के खिलाफ एक और दमनकारी कदम’ बताया है. एक मीडिया वेबसाइट ने कहा कि यह ‘अनिश्चितता और अशांति के समय में एक चिंताजनक घटनाक्रम है.’ 

तालिबान के मजहबी मामलों के मंत्रालय के सदस्यों ने सोमवार को सरकारी मंत्रालयों के बाहर खड़े बिना पारंपरिक पगड़ी और दाढ़ी वाले पुरुष कर्मचारियों को घर जाने के लिए कहा. एक कर्मचारी जिसे घर जाने के लिए कहा गया था, ने अपनी सुरक्षा के डर से नाम नहीं जाहिर करने की शर्त पर कहा कि वह नहीं जानता कि वह कब काम पर लौट पाएगा.

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देश पर अपना कब्जा करने के बाद से, तालिबान उग्रवाद और युद्ध से निकलकर शासन की ओर में बढ़ने की कोशिश कर रहा है. जहां कट्टरपंथी शासक मानवीय संकट के बीच देश को चलाने और अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए बाधाओं का सामना कर रहे हैं.

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