नई दिल्लीः उत्तरी अफगानिस्तान में 29 वर्षीय की एक मानवाधिकार कार्यकर्ता और अर्थशास्त्र की लेक्चरर की गोली मारकर हत्या कर दी गई है. तालिबान के सत्ता में आने के बाद से किसी महिला अधिकार कार्यकर्ता की यह पहली ज्ञात मौत प्रतीत होती है. द गार्जियन ने अपनी एक रिपोर्ट में यह दावा किया है. महिला अधिकार कार्यकर्ता फ्रोजन साफी के शव की पहचान मजार-ए-शरीफ शहर के एक मुर्दाघर में हुई है. वह 20 अक्टूबर से लापता थीं.
कपड़ों से हुई पहचान
रिपोर्ट के अनुसार, साफी की बहन रीता ने कहा, कि हमने उसे उसके कपड़ों से पहचाना. गोलियों ने उसका चेहरा नष्ट कर दिया था. रीता ने कहा, चारों ओर गोलियों के घाव थे. उसके सिर,दिल, छाती, गुर्दे और पैरों पर इतने अधिक घाव थे कि उन्हें गिनना भी मुश्किल था.
महिलाओं के मिले थे शव
रिपोर्ट के अनुसार, मेराज फारूकी ने कहा कि तालिबान सुरक्षा बल गुरुवार को बल्ख प्रांतीय अस्पताल में दो अज्ञात महिलाओं के शव लाए थे, जिनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.
बल्ख प्रांत में सूचना और सांस्कृतिक मामलों के तालिबान के निदेशक जबीहुल्लाह नूरानी ने कहा कि मजार-ए-शरीफ में एक घर में दो लोगों के शव पाए गए थे. उन्होंने कहा कि संभावित तौर पर वे व्यक्तिगत झगड़े के शिकार थे. उन्होंने कहा, पुलिस मामले की जांच कर रही है.
तालिबान बरपा रहा है कहर
रिपोर्ट में कहा गया है कि मौतें तालिबान-नियंत्रित अफगानिस्तान में भय की व्यापक भावना को रेखांकित करती हैं, जहां पिछली सरकार से जुड़े लोगों की प्रतिशोध के तौर पर हत्याओं ने लोगों के बीच भ्रम का माहौल पैदा किया है.
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अगस्त के मध्य से, महिलाओं ने तालिबान के खिलाफ नियमित, राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन किया है, जिसमें मांग की गई है कि उनके अधिकारों को बहाल किया जाए और उनकी रक्षा की जाए.
रिपोर्ट के अनुसार, अफगानिस्तान में महिलाओं के अधिकारों को और कम किए बिना मुश्किल से एक दिन गुजरता है. लड़कियों को माध्यमिक विद्यालय से प्रतिबंधित कर दिया गया है. नई सरकार में सभी पुरुष हैं और महिलाओं को खेल और काम पर जाने से रोक दिया गया है.
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