नई दिल्ली. ऑस्ट्रेलिया के इतिहास की इस भीषणतम आग में ऑस्ट्रेलिया को कितना नुकसान हुआ है इसका अनुमान बाद में होगा, फिलहाल दुखद सत्य यह है कि ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में आशियाना बना कर रहने वाले करोड़ों मूक पशु इन आग की विकराल लपटों के भोजन बन गए..
मारे जा रहे हैं करोड़ों जानवर
ये आग एक दिन की नहीं है बल्कि 120 दिनों की है. इन चार महीनों में ऑस्ट्रेलिया ने इस आग को बुझाने की कौन सी कोशिश नहीं की, लेकिन आग को रत्ती भर फर्क नहीं पड़ा. और ये आग अब जंगलों से बढ़ती हुई समुद्र तटीय ऑस्ट्रेलियन शहरों की तरफ बढ़ रही है. यूनिवर्सिटी ऑफ़ सिडनी के इकोलजी विभाग के एक आकलन के अनुसार पचास करोड़ जानवर इस आग में जल कर राख हो चुके हैं. इनमें स्तनधारी पशु, पक्षी और रेंगने वाले सभी जीवों की प्रजातियां शामिल हैं.
दुनिया मिल कर क्यों नहीं मुकाबला करती इस आग का?
हैरानी की बात ये है कि जब आज के दौर में तकनीक ने दुनिया को बहुत करीब ला दिया है, इस विकराल अग्नि-काण्ड से ऑस्ट्रेलिया अकेले ही निपटने में क्यों लगा हुआ है. एक शांत देश के रूप में ऑस्ट्रेलिया अगर मदद मांगेगा तो हर देश से उसे मदद मिलेगी. सवाल सिर्फ मदद का भी नहीं, अचूक रणनीति का भी है.
भारत-यात्रा स्थगित की ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री ने
जंगल की आग को देखते हुए ऑस्ट्रेलियन प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन को अपनी भारत-यात्रा स्थगित करनी पड़ी है. उनकी यह चार दिवसीय भारत-यात्रा 13 जनवरी से शुरू होने वाली थी. विदेश विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रधानमंत्री आगे किसी महीने में उचित समय और हालात देख कर भारत आएंगे.
होने वाली थी द्विपक्षीय वार्ता
मॉरिसन की अपने भारतीय समकक्ष पीएम मोदी से मुलाक़ात तय थी जिसमें दोनों नेता ऑस्ट्रेलिया और भारत को लेकर द्विपक्षीय कार्यक्रमों पर चर्चा करने वाले थी.
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