नई दिल्ली: पाकिस्तान के पूर्व सैन्य तानाशाह परवेज मुशर्रफ को मौत की सजा सुनाए जाने के बाद पाकिस्तानी सेना ने उनका सार्वजनिक समर्थन का ऐलान तो कर ही दिया था, इस बीच पाकिस्तान सरकार ने भी मुशर्रफ का समर्थन करने का मन बनाया है.
फैसले की खिलाफत करेगी इमरान नियाजी की सरकार
प्रधानमंत्री इमरान खान की सरकार ने इस फैसले के खिलाफ एक अपील की सुनवाई के दौरान सेवानिवृत्त जनरल का बचाव करने का फैसला किया है. दरअसल, पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति मुशर्रफ को देशद्रोह के मामले में यहां की एक विशेष अदालत ने मौत की सजा सुनाई है. पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने इलाज के लिए मुशर्रफ को देश से बाहर जाने की अनुमति दी थी, जिसके बाद वो साल 2016 से दुबई में रह रहे हैं.
देशद्रोह मामले में हुई सजा
पाकिस्तान के एक स्पेशल कोर्ट के तीन सदस्यीय पीठ ने 76 साल के परवेज मुशर्रफ को लंबे समय से चल रहे देशद्रोह के मामले में मौत की सजा सुनाई है. मुशर्रफ पर संविधान को निष्प्रभावी बनाने और पाकिस्तान में नवंबर, 2007 में संविधान से इतर आपातकाल लगाने का आरोप था. यह मामला साल 2013 से लंबित था.
पाकिस्तानी सेना ने की वकालत
मुशर्रफ को सजा सुनाए जाने के बाद पाकिस्तानी सेना ने कहा था कि पूर्व सैन्य प्रमुख जनरल (सेवानिवृत्त) मुशर्रफ कभी भी 'देशद्रोही नहीं हो सकते' सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल आसिफ गफूर ने एक बयान में कहा था कि 'पूर्व सैन्य प्रमुख, ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ कमिटी के पूर्व अध्यक्ष और पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति ने 40 वर्षों से ज्यादा समय तक देश की सेवा की. देश की रक्षा के लिए युद्ध लड़ने वाला निश्चित तौर पर देशद्रोही नहीं हो सकता है.'
पाकिस्तान के इतिहास में पहली बार किसी सैन्य प्रमुख को देशद्रोही करार देकर मौत की सजा सुनाई गई है. सेना के सार्वजनिक बयान से परेशान होकर पाकिस्तानी पीएम इमरान खान ने ये भरोसा जताया है कि उनकी सरकार मुशर्रफ की तरफ से दायर अपील की होने वाली सुनवाई में बचाव करेगी.
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वहीं सूत्रों के हवाले से खबर में कहा गया है कि मुशर्रफ को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है लेकिन उनका स्वास्थ्य अभी भी ठीक नहीं है. उधर, मुशर्रफ की पार्टी ऑल पाकिस्तान मुस्लिम लीग (एपीएमएल) ने कहा कि फैसले के लिए कानूनी अनिवार्यताओं को पूरा नहीं किया गया है और फैसला ‘एकतरफा’ था.
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