नई दिल्ली: Russia Ukraine War: रूस-यूक्रेन का युद्ध फरवरी 2022 से जारी है. इन दोनों देशों के युद्ध को अब 4 साल होने वाले हैं. ये जंग दोनों ही देशों के सैनिकों के लिए बेहद थकाऊ भी साबित हो रही है. आलम ये है की यूक्रेन की सेना के जवान युद्ध से बचने के लिए भाग खड़े हो रहे हैं. बता दें कि यूक्रेन ने अपने सैनिकों को बेहतर और जल्दी ट्रेनिंग देने के लिए अलग-अलग पश्चिमी देशों में भेजा है, हालांकि हाल ही में एक रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें कहा गया है कि एक हाई प्रोफाइल ब्रिगेड के 1,700 सैनिक फ्रंट लाइन पर पहुंचने से पहले ही युद्ध से भाग गए हैं. यूक्रेन के लिए यह स्थिति और भी गंभीर बन रही है क्योंकि यूक्रेनी सेना कई मोर्चों पर लगातार जंग लड़ रही है. वहीं यूक्रेन के लिए उन्हें पीछे हटाकर नए सैनिकों को खड़ा करना बेहद मुश्किल हो रहा है.
ट्रेनिंग लेने पहुंची थी सेना
'डेली टेलीग्राफ' की एक रिपोर्ट के मुताबिक यूक्रेनी सेना के 155वीं मैकेनाइज्ड ब्रिगेड के 5,800 में से 1,700 सैनिक भाग खड़े हुए हैं. इस टुकड़ी के सैनिकों को फ्रांस की सेना की ओर से पोलैंड, फ्रांस और पश्चिमी यूक्रेन में ट्रेनिंग मिली थी. इन्हें पश्चिमी देशों के कई विशिष्ट हथियारों का इस्तेमाल करने की ट्रेनिंग मिली थी. यूक्रेनी सेना की यह टुकड़ी राष्ट्रपति जेलेंस्की के विशेष अनुरोध की वजह से फ्रांस की सेना के साथ ट्रेनिंग लेने पहुंची थी. उन्हें उम्मीद थी की यह टुकड़ी नई ट्रेनिंग के साथ रूसी सैनिकों को धूल चटाने में मदद करेगी.
युद्ध में जाने से पहले ही भागे सैनिक
रिपोर्ट के मुताबिक फ्रांस से ही यूक्रेनी सैनिकों के गायब होने का सिलसिला शुरू हो गया था. ट्रेनिंग लेने के लिए फ्रांस पहुंचे 50 जवान पहली गोली चलाने का प्रशिक्षण लेने से पहले ही भाग खड़े हुए. वहीं ट्रेनिंग पूरी करने के बाद जब तक इस ब्रिगेड को रणनीतिक रसद रास्ते की सुरक्षा में लाया गया तब तक कुल 1,700 सैनिक भाग खड़े हो चुके थे. यानी की बटालियन के कुल एक तिहाई सैनिकों ने युद्ध में हिस्सा लेने से पहले ही भाग जाना बेहतर समझा.
जेलेंस्की पर खड़े हुए सवाल
इस ब्रिगेड के फेल होने पर यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की के ऊपर सवाल खड़े हो रहे हैं. वहीं पर्यवेक्षकों ने इसपर नाराजगी जताते हुए कहा कि जब बटालियन पहले से ही मौजूद थी तो फिर नई बटालियन बनाकर उसमें लोगों को भर्ती करने की क्या आवश्यकता थी. हम पहले वाली बटालियन में भी उन्हें भर्ती करके ट्रेनिंग के लिए भेज सकते थे. इस पूरी घटना को लेकर एक यूक्रेनी अखबार ने लिखा,' वास्तव में यह एक अपराध है. यह अपराध न सैनिकों का है न उनके अधिकारियों का. यह अपराध उनके कमांडर इन चीफ, नेताओं और रक्षा मंत्रालय का है. इन्होंने अपने लोगों का जीवन और खूब पैसा बहाया है. इन्होंने पहले बटालियन को मजबूत करने के बदले नई बटालियन बनाने की जरूरत क्यों समझी.'
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