नई दिल्लीः करीने से क्लिप में बंधे हुए बाल, हर पल कोई नया निर्देश देने के लिए नाचती हुई सी उंगलियां. स्क्रीन पर टकटकी लगाते हुए फैलती-सिकुड़ती आंखें. इनके तनने-फैलने से माथे पर उभरने वाली शिकन के ठीक बीच एक छोटी सी बंदी. जहां से यह नजारा दिख रहा है वह NASA के किसी ऑफिशियल कंट्रोल रूम का है और यह सारी बातें उस महिला के लिए लिखी गई हैं जिसने एक बार फिर भारतीयता का परचम अंतरिक्ष में लहरा दिया है.
यह कोई और नहीं डॉ. स्वाति मोहन हैं, जो गुरुवार-शुक्रवार को खुशी के पलों में थीं क्योंकि उनकी बदौलत NASA ने एक बड़ा इतिहास रचा है.
NASA ने क्या इतिहास रचा
दरअसल, अमेरिकी स्पेस एजेंसी (NASA) का पर्सिवरेंस (Perseverance) रोवर धरती से टेकऑफ करने के सात महीने बाद शुक्रवार को सफलतापूर्वक मंगल ग्रह पर लैंड कर गया. मार्स रोवर को किसी ग्रह की सतह पर उतारना अंतरिक्ष विज्ञान में सबसे जोखिम भरा और सबसे कठिन काम होता है.
इस ऐतिहासिक मिशन का हिस्सा बनने वाले वैज्ञानिकों में भारतीय-अमेरिकी डॉ. स्वाति मोहन ने भी अहम भूमिका निभाई है. नासा की इंजीनियर डॉ स्वाति मोहन ने कहा, "मंगल ग्रह पर टचडाउन की पुष्टि हो गई है! अब यह जीवन के संकेतों की तलाश शुरू करने के लिए तैयार है."
वे सात मिनट, जब सांसें थमी रहीं.
जानकारी के मुताबिक, भारतीय समय के अनुसार रात 02:25 मिनट पर इस मार्स रोवर ने मंगल ग्रह की सतह पर सफलतापूर्वक लैंड किया. जब सारी दुनिया इस ऐतिहासिक लैंडिग को देख रही थी उस दौरान कंट्रोल रूम में बैठी स्वाति मोहन जीएन एंड सी (GN & C) सबसिस्टम और पूरी प्रोजेक्ट टीम के साथ कॉरडिनेट कर रही थीं. रोवर को मंगल की सतह पर उतारने के दौरान सात मिनट का समय सांसें थमा देने वाला था, लेकिन उसे सफलता पूर्वक सतह पर उतार लिया गया.
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डॉ स्वाति मोहन कौन हैं?
महज एक साल की उम्र में भारत से अमेरिका पहुंची स्वाति आज NASA की टीम में अहम हैं. विकास प्रक्रिया के दौरान प्रमुख सिस्टम इंजीनियर होने के अलावा, वह टीम की देखभाल भी करती है और GN & C के लिए मिशन कंट्रोल स्टाफिंग का शेड्यूल करती हैं. उनका बचपन उत्तरी वर्जीनिया-वाशिंगटन डीसी मेट्रो क्षेत्र में बीता है.
9 साल की उम्र में उन्होंने पहली बार उन्होंने 'स्टार ट्रेक' देखी जिसके बाद वह ब्रह्मांड के नए क्षेत्रों के सुंदर चित्रों को देखकर आश्चर्य से भर गई थीं. तब से वह ऐसा ही कुछ करना चाहती थीं. उनका सपना था कि वह ब्रह्मांड में ऐसे स्थान खोजें जो नए हों और अचरज से भरे हों. आज जब रोवर मंगल पर लैंड कर गया है तो स्वाति का सपना पूरा होता दिख रहा है.
डॉ. स्वाति मोहन की पढ़ाई की बात करें तो उन्होंने कॉर्नेल विश्वविद्यालय से मैकेनिकल और एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में विज्ञान में स्नातक की डिग्री हासिल की और एयरोनॉटिक्स / एस्ट्रोनॉटिक्स में एमआईटी से एमएस और पीएचडी पूरी की.
कई अहम मिशनों का रही हैं हिस्सा
स्वाति पासाडेना, CA में नासा के जेट प्रोपल्शन प्रयोगशाला में शुरुआत से ही मार्स रोवर मिशन की सदस्य रही हैं, इसके अलावा वह नासा के कई अलग-अलग और बेहद खास अभियानों का हिस्सा भी रही हैं. भारतीय-अमेरिकी वैज्ञानिक ने कैसिनी (शनि के लिए एक मिशन) और GRAIL (चंद्रमा पर अंतरिक्ष यान उड़ाए जाने की एक जोड़ी) परियोजनाओं पर भी काम किया है.
203 दिन की यात्रा के बाद आखिरकार पर्सविरन्स नासा द्वारा भेजे गए अब तक के सबसे बड़े रोवर ने मंगल ग्रह की सतह को छू लिया है.
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