हमास ने क्यों मनाया लाशों पर जश्न? क्या ये आतंकी संगठन की हार है?

इजरायल-हमास के बीच 11 दिन चले संघर्ष के बाद सीजफायर होते ही, गाज़ापट्टी और फिलीस्तीन में बड़े पैमाने पर खुशियां मनाई गईं. लोग गाड़ियों पर, पैदल, शहर की सड़कों पर भीड़ की शक्ल में निकल पड़े. हाथों में झंडे, टावर्स पर लाइटिंग, और धुन पर नाचते गाते लोग आखिर क्यों जश्न मनाने लगे?

Written by - Ajit Kumar | Last Updated : May 23, 2021, 02:19 PM IST
  • इजरायल-हमास के बीच 11 दिन चला संघर्ष
हमास ने क्यों मनाया लाशों पर जश्न? क्या ये आतंकी संगठन की हार है?

नई दिल्लीः इजरायल की तरफ से सीजफायर होते ही गाज़ापट्टी, फिलीस्तीन और येरुशलम में जश्न की शुरुआत हो गई. ये जश्न, ये जलसा, ये बताने को काफी है, कि अपनी लगातार हो रही बर्बादी से फिलीस्तीन का आतंकी संगठन हमास इतना हताश हो चुका था, कि उसे उम्मीद नहीं थी कि ये जंग इजरायल रोकेगा। हमास के इनहीं जश्न की तस्वीरों में छुपी है उसकी हार की कहानी.

हर कोई गाज़ा पट्टी और फिलीस्तीन में मनाए गए जश्न को देखकर हैरान हुआ. जिस गाज़ा पट्टी में रॉकेट की बरसात हो रही थी, जिस गाज़ा पट्टी में इंसान हलाक हो रहे थे. सैकड़ों मौतों पर जिसने अंतर्राष्ट्रीय मातम मनाया, अब भला वहां आतिशबाजियों का क्या काम?

11 दिन चला संघर्ष 
दरअसल, इजरायल-हमास के बीच 11 दिन चले संघर्ष के बाद सीजफायर होते ही, गाज़ापट्टी और फिलीस्तीन में बड़े पैमाने पर खुशियां मनाई गईं. लोग गाड़ियों पर, पैदल, शहर की सड़कों पर भीड़ की शक्ल में निकल पड़े. हाथों में झंडे, टावर्स पर लाइटिंग, और धुन पर नाचते गाते लोग आखिर क्यों जश्न मनाने लगे?

यहां मिलेगा जवाब
इस सवाल का जवाब इसमें छुपा है कि, बीमारी का खात्मा होने तक हमले जारी रखने का ऐलान करने वाले इजरायल की तरफ़ से संघर्ष विराम का एकतरफा ऐलान किया गया. इसके तुरंत बाद हमास शासित गाज़ा पट्टी, फिलीस्तान और येरुशलम में अरबी मुस्लिमों ने ज़बरदस्त जश्न मनाना शुरु किया.

हमास के हितैषियों का दोहरा चेहरा
ये सही है कि इस तरह का खूनी संघर्ष बंद होना पूरी दुनिया के लिए राहत की बात है लेकिन गाजा पट्टी और फिलीस्तीन जहां के 200 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई उनके लिए राहत की जगह ये जश्न का मसला कैसे हो गया?

आपको बताएंगे कि आखिर राहत की जगह गाजापट्टी,और फिलीस्तीन के लोगों ने जश्न क्यों मनाया? जबकि दूसरी तरफ़ फिर से इनका शैतानी रूप उभर आया. और इस तरह हमास के यारों का दोहरा चेहरा सामने आया.

सीजफायर के बाद हमास का शैतानी रूप
एक तरफ़ सीजफायर पर जश्न मनाते अरबी मुस्लिम और दूसरी तरफ़ दिखा उनका शैतानी रूप. 11 दिनों से जारी लड़ाई थमने के तुरंत बाद शुक्रवार को इज़राइल के क़ब्ज़े वाले मश्रिकी यरूशलम में फ़िलीस्तीनी प्रदर्शनकारियों ने अलअक्सा मस्जिद के अंदर जुमे की नमाज़ के बाद बवाल किया.

वहां इज़राइली सिक्योरिटी फोर्सेज के ऊपर पत्थर और पेट्रोल बम से हमला कर दिया. इस दौरान प्रदर्शनकारी नारे लगाते रहे और इनमें से कईयों ने फ़िलिस्तीनी झंडे अपने हाथों में उठा रखे थे. 

यहां से शुरू हुई झड़प
सुरक्षाबलों ने अपने ऊपर हुए हमलों का जवाब दिया. इज़राइली सिक्योरिटी फोर्सेज ने लोगों पर आंसू गैस के गोले छोड़े और स्टन ग्रैनेड का इस्तेमाल किया. हैरान करने वाली बात ये है कि इसी अल-अक़्सा मस्जिद के अहाते में हुई झड़पों के बाद इज़राइल और फ़िलिस्तीनी गुट हमास के बीच, ग़ाज़ा में ताजा संघर्ष शुरू हुआ था. और सीज फायर के बाद अपने खात्मे से बचने का जश्न मनाने वाले लोग, तुरंत हमले और हिंसक प्रदर्शन के लिए तैयार हो जाते हैं?

सीजफायर के बाद फिलीस्तीन और इजरायल में अलग अलग प्रतिक्रिया क्यों?
जबकि दूसरी तरफ़, इजरायल में इस तरह का कोई जश्न नहीं मनाया गया. वजह साफ है, कई दशकों से इजरायल की शांति भंग करने वाले फिलीस्तीनी आतंकी संगठन हमास से इजरायली सेना इस बार आर-पार के मूड में थी.

इजरायल लगातार हमास के हमलों का करारा जवाब देकर हमास की कमर तोड़ रहा था. 

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अंतरराष्ट्रीय दबाव में इजरायल का सीजफायर
हमास के कई कमांडर का खात्मा होने के बाद, और फिलीस्तीन के सैकड़ों लोगों की मौत के बाद, नेस्तनाबूद हो रहे आतंकी संगठन हमास को देख कर इजरायल के लोगों को अपना भविष्य शांतिपूर्ण लगने लगा था. लेकिन इसी बीच अरबी मुस्लिम देशों के स्यापा और अंतरराष्ट्रीय दबाव के कारण इजरायल, सीजफायर के लिए तैयार हो गया. लेकिन इससे राष्ट्रवादी इजरायलियों में निराशा फैल गई.

एक तरफ़ हमास के यार जश्न मना रहे थे, तो दूसरी तरफ़ इसके उलट इजरायल के राष्ट्रवादी देशवासियों में ज्यादातर इस संघर्ष विराम से नाराज और भविष्य को लेकर आशंकित नज़र आए.किसी ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया,...तो कोई हमास को एक और मौक़ा दिए जाने से नाराज था.सीज फायर के तुरंत बाद फिर से अलअक्सा मस्जिद में फिलीस्तीन समर्थकों की तरफ़ से हमले को अंजाम देना,इजरायलियों की चिंता और बढ़ाने की बड़ी वजह है।

जश्न की आड़ में अपनी हार छिपा रहा हमास
भले सीज फायर के बाद फिलीस्तीन-हमास और इजरायल दोनों तरफ़ से जीत के दावे किए गए हों, मगर सीजफायर के बाद की हक़ीक़त ये बता रही है कि इस जंग में किसका खात्मा तय था,जिससे वो बच गया.

जी हां वो हमास है जो नेस्ताबूद होने की कगार पर पहुंच कर सीजफायर होने के चलते, लाइफलाइन पा गया. और उसके खत्म होने की कगार पर पहुंचने के बावजूद बच जाने की खुशी जश्न में बदल गई. हमास इस जश्न की आड़ में अपनी हार छिपा रहा है.दरअसल,ये आतंकी संगठन हमास की बड़ी हार है.

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हमास का अंत करीब
फिलहाल शनिवार की तस्वीरें बता रही हैं, कि गाज़ा पट्टी में सब कुछ शांत है.कोई हमला नहीं, कोई राकेट नहीं, कोई धमाका नहीं,लेकिन, दूसरी तरफ़ चारों ओर बिखरे मलबे, जख्मी लोग और लाशें, ये बता रही हैं कि गाज़ा में कितने बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ है. ये, हमास की हार है. लाशों पर हमास के यारों का ये उत्सव बता रहा है कि जल्द ही हमास का अंत करीब है और उसका ये जश्न बुझने से पहले दीए की टिमटिमाहट जैसी है.

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