नई दिल्ली: इजराइल की खुफिया एजेंसी मोसाद, जिसके दम पर इजराइल ने पूरी दुनिया को यह बताया कि इजराइल कभी आतंकियों से डील नहीं करता.
साल 1976: इजराइल की राजधानी तेल अवीव के बेनगुरियन इंटरनेशनल एयरपोर्ट से रात करीब 11 बजे फ्रांस की एयरबस ए300 वी4-203 ने 246 यात्रियों के साथ उड़ान भरी.
यह फ्लाइट एथेंस के लिए जा रही थी, लेकिन इस फ्लाइट में सवार यात्रियों को इस बात का बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि वे कितनी बड़ी मुसीबत में फंसने जा रहे हैं.
एथेंस पहुंचने के बाद इस फ्लाइट में 58 यात्री और सवार हुए और यहां से इस फ्लाइट को पेरिस के लिए उड़ान भरनी थी.
यह फ्लाइट अपनी मंजिल तक नहीं पहुंच सकी, क्योंकि पेरिस में सवार हुए यात्रियों में 4 आतंकवादी भी शामिल थे. इनमें से 2 आतंकवादी फलीस्तीनी लिबरेशन आर्मी से थे, जबकि 2 जर्मनी की रेवोल्यूशनरी ब्रिगेड से ताल्लुक रखते थे.
हाईजैक किया गया प्लेन
एथेंस से फ्लाइट में सवार हुए आतंकवादियों ने फ्लाइट को हाईजैक कर लिया. अब यह फ्लाइट पेरिस की तरफ न मुड़कर पहले लीबिया के शहर बेनगाजी पहुंची, जहां इस फ्लाइट में ईंधन भरा गया. इसके बाद आतंकी इस फ्लाइट को युगांडा की ओर ले गए. आतंकियों ने इस फ्लाइट को युगांडा के एंतेबे एयरपोर्ट पर लैंड कराया.
उस समय युगांडा का शासक ईदी अमीन था. अमीन ने इजराइल से दुश्मनी के कारण आतंकियों का साथ दिया और उन्हें एंतेबे एयरपोर्ट पर पनाह दी.
फ्लाइट से यात्रियों को उतारकर एयरपोर्ट पर मौजूद एक ट्रांजिट हॉल में रखा गया. अमीन ने बंधकों पर निगरानी के लिए अपनी सेना के बेहतरीन लड़ाकों को वहां पर तैनात किया.
इजराइल में फैल गई सनसनी
इजराइल में यात्री प्लेन हाईजैक होने की खबर पहुंचते ही पूरे देश में सनसनी फैल गई. आतंकवादियों ने इजराइल के सामने वहां की जेलों में बंद 40 फलीस्तनी कैदियों तथा अन्य देशों में कैद और 13 कैदियों को रिहा करने की मांग की.
आतंकियों ने इजराइल सरकार से कुल 53 कैदियों और पांच मिलियन अमेरिकी डॉलर की मांग की. आतंकियों ने इजराइल सरकार को इन मांगों को पूरा करने के लिए मात्र 48 घंटे का समय दिया.
इजराइल की प्रधानमंत्री और खुफिया एजेंसी मोसाद के बीच बैठक हुई और निष्कर्ष निकला कि इजराइल कैदियों को रिहा नहीं करेगा और आतंकियों से किसी भी तरह की कोई डील नहीं करेगा.
उधर आतंकियों ने ने धमकी दी कि अगर जल्द इजराइल ने जवाब नहीं दिया, तो वह एक इजराइल यात्री को जान से मार देंगे.
मोसाद को मिला यात्रियों को बचाने का जिम्मा
इजराइल ने समय पूरा होने से कुछ देर पहले आतंकियों को सूचित किया कि वह बात करने के लिए तैयार है लेकिन उसे कुछ और समय चाहिए. इसके बाद इजराइल ने आतंकियों से सभी मांगे पूरी करने के लिए 4 जुलाई तक का समय मांगा.
इधर आतंकियों ने 30 जून को 48 बंधक यात्रियों को रिहा कर दिया, जो कि अत्यधिक बीमार अथवा बूढ़े थे. इन सभी को को एक स्पेशल फ्लाइट से पेरिस भेज दिया गया.
आतंकियों को इजराइल सरकार से बातचीत के बाद यह भरोसा हो गया था कि सरकार उनकी सभी मांगे पूरी कर देगी, इसलिए आतंकियों ने सभी गैर इजरायली नागरिकों को रिहा कर दिया और उन्हें भी एक स्पेशल फ्लाइट से पेरिस भेज दिया गया.
अब 94 इजराइली यात्रियों के साथ कुल 116 यात्री ही बंधक रह गए थे, जिनमें से 12 क्रू मेंबर थे.
इस बीच इजराइल ने अपनी खुफिया एजेंसी की मदद से आतंकियों के बारे में जानकारी हासिल करना शुरू कर दिया. इजराइल ने रिहा किए गए यात्रियों से यह जानकारी हासिल की कि वहां कितने आतंकी हैं और वे किस तरह के हथियारों से लैस हैं.
इस दौरान इजराइल सरकार को यह भी पता चला कि इजराइल की एक कंपनी ने युगांडा में कई इमारतों का कंस्ट्रक्शन किया है, जिनमें से एंतेबे एयरपोर्ट भी एक था.
इजराइल ने उस कंपनी के इंजीनियर से संपर्क साधा और एयरपोर्ट का नक्शा हासिल कर लिया.
3 जुलाई को इजराइल में कैबिनेट की बैठक हुई, जिसमें यह फैसला लिया गया कि मोसाद के साथ इजराइली सेना एंतेबे एयरपोर्ट पर जाकर यात्रियों को वापस लेकर आएगी. इस मिशन को नाम दिया गया 'ऑपरेशन थंडरबोल्ट'.
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ऑपरेशन थंडरबोल्ट
इजराइल से 100 कमांडो की एक टीम ने 130 सुपर हरकुलिस विमानों से युगांडा के एंतेबे एयरपोर्ट के लिए उड़ान भरी. इन विमानों में काली मर्सिडीज कारें भी लोड की गई थीं. असल में उन दिनों युगांडा का तानाशाह ईदी अमीन काली मर्सिडीज कार से ही चलता था.
मोसाद का प्लान था कि वे उन कारों में ही एयरपोर्ट के हॉल की तरफ कूच करेंगे, ताकि युगांडा के सैनिकों को लगे कि यह अमीन की कार है.
130 सुपर हरकुलिस विमानों के साथ इजराइल ने दो बोइंग 707 विमान भी मिशन पर भेजे थे, जिनमें यात्रियों को वापस लाना था.
इजराइल के विमानों ने युगांडा की सेना को चकमा देते हुए अपने विमान रात में एंतेबे एयरपोर्ट पर लैंड कराए. वहां से मोसाद के कमांडो मर्सिडीज कारों में बाहर निकले.
लेकिन यहां पर इजराइल की चाल उल्टी पड़ गई, क्योंकि अमीन उस दौरान कहीं बाहर गया हुआ था और उसने एक हफ्ते पहले ही अपनी कार बदल दी थी और अब वह सफेद रंग की मर्सिडीज कार से चलता था.
युगांडा के सैनिकों को शक हो गया. वे जब तक कुछ समझ पाते, इजराइल के सैनिकों ने उनपर हमला बोल दिया और कई सैनिकों को मार गिराया.
इजराइली कमांडो की एक टीम तब तक एयरपोर्ट के उस हॉल की तरफ पहुंच चुकी थी, जहां पर यात्रियों को बंधक बनाया गया था.
इसराइली सैनिकों ने वहां पहुंचते ही चिल्लाया कि हम इजराइली सैनिक हैं और आपको बचाने आए हैं आप सभी लोग लेट जाइए. सैनिकों ने बंधकों से पूछा कि आतंकी कहां पर हैं, तो एक यात्री ने एक कमरे की तरफ इशारा किया.
इजराइली सैनिकों ने उस कमरे में ग्रेनेड फेंक दिया और तीन आतंकी वहीं पर मारे गए.
इस बीच एक बंधक इजराइली सैनिकों की बात समझ नहीं पाया और वह खड़ा रहा, जिसे आतंकी समझकर सैनिकों ने मार दिया.
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खत्म हुई युगांडा की आधी वायुसेना
इजराइली सैनिक बंधक यात्रियों को वापस लेकर लौटे. लेकिन इस बीच उन्होंने युगांडा के कई सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया. इस कार्रवाई में युगांडा की सेना के लगभग 50 सैनिक मारे गए, लेकिन 3 इजराइली यात्रियों को भी अपनी जान गंवानी पड़ी.
इजराइली सैनिकों ने वापस लौटते समय एयरपोर्ट पर खड़े युगांडा के लगभग 30 लड़ाकू विमान ध्वस्त कर दिए, ताकि युगांडा के सैनिक उनका पीछा न कर पाएं.
इन लड़ाकू विमानों के नष्ट हो जाने से युगांडा को बड़ा नुकसान हुआ था.
इस मिशन के अंत के समय इजराइल के एक कमांडो को गोली लगी और उनकी मौत हो गई. यह कोई और नहीं इजराइल के वर्तमान प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के बड़े भाई योनातन नेतान्याहू थे.
इस मिशन के बाद पूरी दुनिया ने इजराइल और उसकी खुफिया एजेंसी मोसाद का लोहा माना. इस मिशन से इजराइल ने पूरी दुनिया को यह संदेश दिया कि 'इजराइल कभी आतंकियों से डील नहीं करता'
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