खानदानी विरासत को संजोए हुए हैं बिलासपुर के विपिन कुमार
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खानदानी विरासत को संजोए हुए हैं बिलासपुर के विपिन कुमार

Diwali 2024: इस साल दिवाली 31 अक्टूबर को मनाई जा रही है. इसके लिए लोगों ने अपने घरों में तैयारियां करना शुरू कर दिया है. लोग अपने घरों को सजाने के लिए चाइनीज सामान का इस्तेमाल कर रहे हैं. 

मनीष ठाकुर/कुल्लू: देशभर में दीपावली का त्योहार 31 अक्टूबर को धूमधाम के साथ मनाया जाएगा. लोगों ने अपने घरों को सजाने के लिए तैयारियां भी शुरू कर दी हैं. अपने घरों को सजाने के लिए लोग बाजार से चाइनीज बिजली की झालर भी खरीद रहे हैं और हर साल करोड़ों रुपये का कारोबार भी चाइनीज बिजली की लाइटों के माध्यम से ही किया जाता है. 

ऐसे में बिजली की जगमगाहट के बीच मिट्टी के दीपक की रोशनी भी अब गुम होती जा रही है, लेकिन आज भी मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कारीगरों को उम्मीद है कि लोग फिर से अपनी पुरानी परंपरा को अपनाएं और चीनी झालरों से नहीं, बल्कि मिट्टी के दिये से अपने घर को जगमगाएंगे. जिला कुल्लू के मुख्यालय ढालपुर के रथ मैदान में भी बिलासपुर के कारीगर विपिन कुमार इसी आस को लिए मिट्टी के दीपक बेच रहे हैं. इतना ही नहीं विपिन कुमार द्वारा मौके पर एक चाक भी लगाया गया है और लोगों के सामने मिट्टी के दिए बनाकर भी दिखाया जा रहे हैं. 

विपिन कुमार का ढालपुर के रथ मैदान में चाक लगाने का मकसद ही यही है कि लोगों को भी पता चल सके कि आखिर एक मिट्टी का दिया बनाने में कितनी मेहनत लगती है. वह मेले में आए लोगों से भी आग्रह कर रहे हैं कि वह खुद भी मिट्टी का दिया इस चाक पर तैयार कर सकते हैं. स्थानीय लोग भी चाक पर मिट्टी का दिया बनाने की कोशिश तो कर रहे हैं, लेकिन कुम्हार की कड़ी मेहनत के आगे वह सफल नहीं हो पा रहे हैं. ऐसे में विपिन कुमार चाहते हैं कि वर्षों पुरानी विरासत को संजोए रखा जा सके और लोग मिट्टी के दिए से दिवाली का त्योहार मनाएं. 

हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिला के रहने वाले कारीगर विपिन कुमार का कहना है कि वह खानदानी व्यवसाय को इसी उम्मीद से आगे ले जा रहे हैं कि लोग फिर से पुरानी परंपरा को अपनाएंगे. विपिन कुमार का कहना है कि अब लोग मिट्टी के बर्तनों के प्रति भी जागरूक हो रहे हैं, क्योंकि अब वह मिट्टी के बर्तन में खाना बनाने और खाने के गुणों को जान रहे हैं, लेकिन अभी भी उनका यह कारोबार उभरता हुआ नजर नहीं आ रहा है. विपिन कुमार का कहना है कि इस व्यवसाय से जुड़े हजारों लोगों ने इसे अलविदा कह दिया है. ऐसे में अब आम जनता को भी चाहिए कि वह पुरानी परंपरा के संरक्षण के लिए आगे आएं और दिवाली के त्योहार पर मिट्टी के दिए ही जलाएं.

वहीं ढालपुर मैदान में पहुंचे स्थानीय लोगों का कहना है की मिट्टी के दिए से ही पहले दिवाली मनाई जाती थी, लेकिन लोग आज चाइनीज झालरों के बीच इस परंपरा को भूल गए हैं. ऐसे में कारीगर विपिन कुमार द्वारा जो प्रयास किया जा रहे हैं. वह सराहनीय है और लोगों से भी आग्रह है कि वह मिट्टी के दिए से ही अपनी दिवाली को रोशन करें. 

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