प्राकृतिक खेती से उगाए गेहूं और मक्की की खरीद पर मिलेगा इतना समर्थन मूल्य
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प्राकृतिक खेती से उगाए गेहूं और मक्की की खरीद पर मिलेगा इतना समर्थन मूल्य

Himachal Pradesh News: कृषि व पशुपालन मंत्री प्रोफेसर चंद्र कुमार ने कहा कि राज्य में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के साथ किसानों को आर्थिक संबल प्रदान करने के लिए प्रदेश सरकार किसानों से प्राकृतिक खेती से उगाई गई गेहूं को 40 रुपए प्रति किलो, जबकि मक्की को 30 रुपए के समर्थन मूल्य पर खरीदेगी.

प्राकृतिक खेती से उगाए गेहूं और मक्की की खरीद पर मिलेगा इतना समर्थन मूल्य

भूषण शर्मा/नूरपुर: कृषि मंत्री आज मंगलवार को ज्वाली विधानसभा क्षेत्र के जरोट में कृषि विभाग और कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन अभिकरण (आत्मा) के संयुक्त तत्वावधान में किसानों के लिए प्राकृतिक खेती पर आयोजित एक दिवसीय सामूहिक संवेदीकरण कार्यक्रम का शुभारंभ करने के बाद जनसभा को संबोधित कर रहे थे.

कृषि मंत्री ने कहा कि आधुनिक समय में रसायनों के अधिक प्रयोग से रसायनों का अंश उत्पादों में अधिक मात्रा में आने लगा है, जिसका स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है, इसलिए प्राकृतिक खेती कम लागत वाला एक बेहतर विकल्प है. प्रोफेसर चंद्र कुमार ने कहा कि प्रदेश सरकार किसानों-बागवानों की आर्थिकी को संबल प्रदान करने के लिए प्राकृतिक खेती, खुशहाल किसान योजना के जरिए किसानों को अनुदानित दरों पर कृषि उपकरण मुहैया करवा कर उन्हें प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए प्रेरित व प्रोत्साहित कर रही है. उन्होंने कहा कि खेती की इस तकनीक को अपनाने से कृषि उत्पादन में बढ़ोतरी के साथ-साथ लागत मूल्य में भी कमी आती है.

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उन्होंने बताया कि प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार किसानों के लिए समय-समय पर जागरुकता शिविरों का आयोजन करने के साथ प्रशिक्षण प्रदान कर रही है. कृषि मंत्री ने कहा कि बिना पशुधन के प्राकृतिक खेती की कल्पना भी नहीं की जा सकती है. प्रदेश सरकार किसानों को प्राकृतिक खेती के प्रति प्रोत्साहित करने के लिए गाय और भैंस की खरीद के लिए अनुदान देने पर भी विचार कर रही है. 

इसके साथ ही कहा कि प्रदेश सरकार ने भैंस और गाय के दूध खरीद मूल्य में उल्लेखनीय वृद्धि कर इसे 55 और 45 रुपए प्रति किलो किया है. प्रदेश सरकार 200 रेफ्रिजरेटर मिल्क वैन खरीदने जा रही है ताकि किसानों से उनके घरद्वार के नजदीक दूध एकत्रित किया जा सके. उन्होंने बताया कि इसके लिए बजट का प्रावधान भी किया गया है. इन वाहनों के जरिए किसानों व एकत्रीकरण केंद्रों से दूध प्रसंस्करण संयंत्रों तक दूध ले जाया जा सकेगा.

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उन्होंने बताया कि कांगड़ा जिला में प्राकृतिक खेती, खुशहाल किसान योजना के तहत 7487 हेक्टेयर भूमि पर 40842 किसानों द्वारा रसायन मुक्त प्राकृतिक खेती की जा रही है. ज्वाली में कुल 2499 किसानों द्वारा 534 हेक्टेयर भूमि पर प्राकृतिक खेती की जा रही है. किसानों को प्राकृतिक खेती के प्रति प्रेरित करने और खेती को लाभकारी व्यवसाय बनाने के साथ किसान की मासिक आमदनी 25 हजार रुपए करने के लिए प्रदेश सरकार कई किसान हितैषी फैसले ले रही है.

इस अवसर पर आत्मा के परियोजना निदेशक डॉ. आरके भारद्वाज ने भी किसानों को प्राकृतिक खेती के फायदे बताए. उन्होंने कहा कि कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन अभिकरण (आत्मा) द्वारा किसानों को प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है. प्राकृतिक खेती द्रव्य उत्पादन के लिए प्लास्टिक ड्रम पर 75 प्रतिशत या अधिकतम 750 रुपये प्रति ड्रम के हिसाब से 3 ड्रम खरीदने पर अनुदान दिया जाता है. 

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इसी तरह, गौशाला फर्श निर्माण पर 80 प्रतिशत या अधिकतम 8 हजार रुपये का अनुदान दिया जाता है. देसी गाय की खरीद पर सरकार द्वारा किसानों को 50 प्रतिशत या अधिकतम 25 हजार रुपये अनुदान दिया जाता है. उन्होंने किसानों को प्राकृतिक खेती से जुड़ने और सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं से फायदा उठाने का आह्वान किया. 

इस अवसर पर कृषि उपनिदेशक राहुल कटोच ने भी अपने विचार रखे. उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती अपनाने से किसानों के समय की बचत के साथ उनकी जमीन बंजर होने से भी बचती है. प्राकृतिक खेती से किसानों की आमदनी में भी इजाफा हो रहा है. कृषि मंत्री ने इस मौके पर कृषि विभाग द्वारा प्राकृतिक खेती से तैयार मिलेट्स प्रदर्शनी का अवलोकन किया. इस अवसर पर कृषि मंत्री ने 300 से अधिक किसानों को फलदार पौधे भी वितरित किए. 

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