Fahad Shah को 2011 में अपने मीडिया आउटलेट द कश्मीर वाला में एक लेख छापने के लिए आतंकवाद के आरोप में जम्मू-कश्मीर पुलिस की राज्य जांच एजेंसी ने गिरफ्तार किया था.
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कश्मीर के जाने-माने पत्रकार फाहद शाह को 600 दिनों से ज्यादा की कैद के बाद जेल से रिहाई मिल गई है. उनको रिहाई देते हुए आदालत ने कहा "फहाद के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए जरूरी सबूत नहीं मिले हैं". फहाद जम्मू की कोट भलवाल जेल में बंद थे उनकी गिरफ्तारी UAPA के तहत की गई थी, लेकिन फहाद के खिलाफ इससे जुड़े पुख्ता सबूत ना मिलने की वजह से रिहाई मिल गई है.
'कश्मीर वाले' पर लगा था प्रतिबंध
बता दे कि फहाद समाचार पोर्टल कश्मीर वाला के मालिक और संपादक हैं, 'कश्मीर वाले' के ऑफिस पर NIA ने अप्रेल में रेड मारी थी जिसके बाद भारत सरकार ने 19 अगस्त को कश्मीर वाले की वेबसाइट पर अघोषित कारणों से प्रतिबंध लगा दिया था. 'कश्मीर वाले' पर अतंकवाद को बड़ावा देने का आरोप लगा था, इस सिलसिलें में फहाद को भी गिरफ्तार किया गया था.
Kashmiri journalist Fahad Shah has returned home Thursday after nearly two years in detention on terror charges
CPJ welcomes his release on bail. All charges against Shah must be dropped and the ban on his publication The Kashmir Walla @tkwmag revoked https://t.co/eCjFpf1SRd pic.twitter.com/X7NtyiTNnY
— CPJ Asia (@CPJAsia) November 23, 2023
कोर्ट ने क्या कहा?
'कश्मीर वाले' में छपे जिस आर्टिकल की वजह से फहाद को गिरफ्तार किया गया था, उस पर बोलते हुए कोर्ट ने कहा कि "भले ही कश्मीर वाले में छपे आर्टिकल में कथित तौर पर कश्मीर को अलग करने का आह्वान किया गया है, लेकिन इसका प्रकाशन राज्य के खिलाफ हिंसा या सशस्त्र विद्रोह को उकसाता नहीं है." कोर्ट ने फहाद पर लगाए गए UAPA के तहत आतंकवाद को बढ़ावा देने, देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने और दुश्मनी को बढ़ावा देने सहित कुछ आरोपों को खारिज करते हुए जेल से रिहा कर दिया है.
किस लेख पर हुई थी गिरफ्तारी
फहाद ने अंतर्राष्ट्रीय मीडिया आउटलेट्स के लिए कश्मीर पर काफी काम किया है. उनको जम्मू-कश्मीर पुलिस की आतंकवाद विरोधी एजेंसी SIA ने आतंकी फंडिंग और देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने सहित अन्य आरोपों में गिरफ्तार किया था. SIA ने 2020 में जम्मू के CIJ पुलिस स्टेशन में 'गुलामी की बेड़ियां टूट जाएंगी' शीर्षक वाले एक लेख के संबंध में मामला दर्ज किया था, जो 2011 में 'द कश्मीर वाला' में छपा था.