क्या है 'ऑपरेशन अज़्म-ए-इस्तेहकाम', जिसको लेकर पाकिस्तान ने 60 बिलियन PKR को दी मंजूरी?
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क्या है 'ऑपरेशन अज़्म-ए-इस्तेहकाम', जिसको लेकर पाकिस्तान ने 60 बिलियन PKR को दी मंजूरी?

Pakistan News: पाकिस्तान के पीएम ने  शहबाज शरीफ ने बड़ा फैसला लेते हुए  'ऑपरेशन अज़्म-ए-इस्तेहकाम' के लिए 60 बिलियन पीकेआर को मंजूरी दे दी.  इस मिलिट्री ऑपरेशन 2007 में शुकू किया गया था, जिसका मकसद देश में सिर उठा रहे इस्लामिक कट्टरपंथ और आतंकवाद के ख़तरों को खत्म करना है. लेकिन सैन्य ऑपरेशन का विरोध भी रहा है.

क्या है 'ऑपरेशन अज़्म-ए-इस्तेहकाम', जिसको लेकर पाकिस्तान ने 60 बिलियन PKR को दी मंजूरी?

Pakistan News: पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ ने देश में बढ़ती हिंसा और आंतकवाद से निपटने के लिए बड़ा फैसला लिया है. पाकिस्तान ने गुरुवार को ऑपरेशन अज्म-ए-इस्तेहकाम को अंजाम देने के लिए  60 बिलियन PKR अतिरिक्त फंड को मंजूरी दे दी. साथ ही दो प्रांतों में बढ़ती हिंसा और आतंकवाद से निपटने के लिए तुरंत 20 बिलियन पीकेआर (PKR) जारी करने का निर्देश भी जारी किया है.

वित्त मंत्रालय की एक आधिकारिक घोषणा के मुताबक , कैबिनेट की आर्थिक समन्वय समिति (ECC) ने करेंट फाइनेंशियल ईयर 2024-25 के दौरान ऑपरेशन आज़म-ए-इस्तेहकाम के लिए स्पेशल आवंटन के रूप में पीकेआर 20 बिलियन को मंजूरी दी.जबकि बाकी बचे 40 बिलियन पीकेआर फाइनेंशियल ईयर की दूसरी छमाही के दौरान बांटा जाएगा. इस पैसे का उपयोग उन्नत सैन्य उपकरणों की खरीद के लिए किया जाएगा.

ह्यूमन राइट्स क्यों जताई चिंता?
द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यह फैसला गुरुवार को इस्लामाबाद में वित्त मंत्री मुहम्मद औरंगजेब की अध्यक्षता में आर्थिक समन्वय समिति (ECC) की बैठक के दौरान लिया गया. हालांकि, इस दौरान कई ह्यूमन राइट्स ऑर्गेनाइजेशन ने कहा कि खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान में इस तरह के मिलिट्री कैंपेन से मानवाधिकार की हालात खराब हो सकती है.

पिछले महीने पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग (HRCP) ने पाकिस्तानी सेना द्वारा ऑपरेशन आज़्म-ए-इस्तेहकाम के बारे में गंभीर चिंता जताई थी और इन इलाकों में सैन्य अभियान के खिलाफ विरोध किया था और कहा था कि इसका सबसे बड़ा कारण आम नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा है.

एचआरसीपी के चेयरमैन असद इकबाल बट ने जोर देकर कहा कि राज्य को सुरक्षा जरूरतों के साथ राजनीतिक विचारों को संतुलित करना चाहिए और संसद से ऑपरेशन पर पारदर्शी तरीके से विचार-विमर्श करने का आग्रह किया. द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, HRCP ने एक प्रेस बयान में कहा, "राज्य को यह नहीं भूलना चाहिए कि ऐसे कदम उतने ही राजनीतिक हैं जितने सुरक्षा-संचालित हैं."

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एफबीएम ने इस कैंपेन को क्यों बताया नरसंहार? 
वहीं, फ्री बलूचिस्तान मूवमेंट (एफबीएम) ने भी पाकिस्तान के 'ऑपरेशन आज्म-ए-इस्तेहकाम' की निंदा करते हुए इसे बलूच और पश्तून लोगों के खिलाफ नरसंहार करने के मकसद से "व्यापक आतंकी योजना" बताया. FBM ने एक बयान में कहा कि "पाकिस्तानी सेना" ने "बलूचिस्तान और पश्तूनिस्तान" में एक और सैन्य अभियान की घोषणा की है, जो जाहिर तौर पर चीनी हितों की रक्षा और विस्तारवादी महत्वाकांक्षाओं को आगे बढ़ाने के लिए है. एफबीएम ने आगे कहा कि इस बड़े पैमाने के सैन्य अभियान का मकसद सिर्फ कब्जे वाले बलूचिस्तान में चीनी निवेश को सुरक्षित करना है, जिससे बलूच और पश्तून समुदायों द्वारा चीनी शोषण के विरोध को खत्म किया जा सके.

अज़्म-ए-इस्तेहकाम ऑपरेशन कब और क्यों शुरू किया गया था?
पाकिस्तान की सरकार ने अज़्म-ए-इस्तेहकाम ऑपरेशन को साल 2007 में शुरू किया था. इस मिलिट्री ऑपरेशन का मकसद देश में सिर उठा रहे इस्लामिक कट्टरपंथ और आतंकवाद के ख़तरों को खत्म करना है. हालांकि, कुछ संगठन इसका विरोध भी करते हैं और उनका आरोप है कि ये सैन्य ऑपरेशन सिर्फ चीन को खुश करने के लए चलाया गया है. लेकिन इस ऑपरेशन के बाद भी पाकिस्तान में लगातार कई आतंकी हमले हुए हैं. हाल के दिनों अशांत खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान में आतंकियों ने पाकिस्तानी सेना समेत की चीनी नागरिकों को निशान बनाया है. माना जा रहा है कि इसी वजह से फिर से पाकिस्तान ने अज़्म-ए-इस्तेहकाम ऑपरेशन चलाने का फैसला लिया है. बता दें, ये निर्णय पाकिस्तान सरकार ने 12वीं बार लिया है. 

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