भ्रष्टाचार से दुःखी हैं 43 प्रतिशत भारतीय; जानिए किस राज्य के लोग रहते हैं ज्यादा खुश ?
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भ्रष्टाचार से दुःखी हैं 43 प्रतिशत भारतीय; जानिए किस राज्य के लोग रहते हैं ज्यादा खुश ?

life evaluation score: परामर्श कंपनी हैपीप्लस ने ‘खुशी के स्तर’(State of Happiness) पर केंद्रित कर रिपोर्ट तैयार की जिसमें पाया गया कि भारतीय पहले से ज्यादा खुश हैं और देश के जीवन मूल्यांकन स्तर अंक 6.84 है.

अलामती तस्वीर

नई दिल्लीः एक नवीनतम अध्ययन में दावा किया गया है कि करीब 43.2 प्रतिशत भारतीयों की खुशी भ्रष्टाचार से प्रभावित होती है और महिलाओं के मुकाबले पुरुषों में भ्रष्टाचार की कम धारणा है. परामर्श कंपनी हैपीप्लस (Happy Plus Consulting) ने ‘खुशी के स्तर’ (State of Happiness) पर केंद्रित कर रिपोर्ट तैयार की जिसमें पाया गया कि भारतीय पहले से ज्यादा खुश हैं और देश के जीवन मूल्यांकन स्तर अंक 6.84 है. अध्ययन में कहा गया कि सापेक्षिक बेहतरी के अहम संकेतको में अंक प्रतिबिंबित करते हैं कि भारत अन्य प्रसन्नता अध्ययन में औसत जीवन मूल्यांकन अंक से बेहतर कर रहा है.

इन राज्यों के लोग रहते हैं ज्यादा खुश 
रिपोर्ट में पाया गया कि हिमाचल प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, केरल, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, पुडुचेरी, दिल्ली और गोवा उन स्थानों में हैं जहां की देश में प्रसन्ना रैंकिंग उच्च है. अध्ययन से पता चलता है कि 43.2 प्रतिशत भारतीय मानते हैं कि सरकार और कारोबार में भ्रष्टाचार है और यह लोगों को कुंठित करती है और इससे प्रसन्नता का आकलन करने के लिए किए जाने वाला मूल्यांकन प्रभावित होता है.

65 प्रतिशत भारतीय घबराहट के शिकार 
अध्ययन के मुताबिक 32.9 प्रतिशत भारतीय नियमित आधार पर चिंता, दुख और गुस्से के भाव से ग्रस्त होते हैं. रिपोर्ट के मुताबिक 65 प्रतिशत भारतीय घबराहट महसूस करते हैं और इसकी बड़ी वजह कोविड-19 संबंधी अनिश्चितता, स्वास्थ्य, वित्तीय, सशक्तिकरण, परिवार और दोस्त और काम का दबाव है.

28 राज्यों और आठ केंद्र शासित प्रदेशों में किया गया सर्वे 
यह अध्ययन देश के 28 राज्यों और आठ केंद्र शासित प्रदेशों के 20,073 प्रतिभागियों के जवाब पर आधारित है. यह रेखांकित करता है कि 87.8 प्रतिशत भारतीय महसूस करते हैं कि उनके पास सामाजिक सहयोग है जो उन्हें नकारात्मकता के समय उनकी मानसिक स्वास्थ्य की रक्षा करता है.

चिंताजनक है ये स्थिति 
हैप्पी प्लस कंसल्टिंग के वरिष्ठ निदेशक श्यामश्री चक्रवर्ती ने कहा, ‘‘10 में से सात भारतीय नियमित तौर पर घबराहट और तनाव महसूस करते हैं. यह चिंताजनक है. हालांकि, इस समय तक भी लोगों ने यह समझने के लिए कदम नहीं उठाया है कि उनके लिए भावनात्मक रूप से ठीक रहने का अभिप्राय क्या है और उसपर कार्रवाई नहीं करते, यह चिंता का विषय बना हुआ है.’’

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