Madarsa Survey In Assam: उत्तर प्रदेश के बाद अब असम सरकार भी पूरे जोश में दिखाई दे रही है. असम सरकार ने भी रियासत के मदरसों से जानकारी मांगी है. पढ़िए पूरी ख़बर
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Madarsa Survey In Assam: उत्तर प्रदेश के बाद अब असम सरकार भी पूरे जोश में दिखाई दे रही है. असम सरकार ने भी रियासत के मदरसों से जानकारी मांगी है. इसके तहत असम के प्राइवेट मदरसों को दिसंबर 2022 तक अपने इदारों के बारे में सभी जानकारी रियासती सरकार को मुहय्या करवाने के लिए कह दिया है. वहीं अब असम में चलने वाले 2 हज़ार 500 मदरसों पर ख़ास प्राइवेट मैजेटमेंट के ज़रिए सख़्त नज़र रखी जाएगी. ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि जिहादी के तौर पर टीचर बने लोग मज़हबी जज़्बात (धार्मिक भावनाएं) भड़काने का काम न कर सकें. बीते कुछ महीनों में असम में ऐसे कई मालात सामने आए हैं जहां बांग्लादेशी शहरियों ने मदरसों की आड़ में फ़र्ज़ी तरीक़े से टीचर बनकर ग़ैर क़ानूनी कामों को अंजाम दिया है.
टीचर्स का पुलिस वेरिफिकेशन कराना ज़रूरी
पुलिस और स्टेट एजुकेशन डिपार्टमेंट के साथ ही मदरसा एजुकेशन बोर्ड की मीटिंग में इसे लेकर फैसला किया गया. इस दौरान मदरसों को चलाने के लिए नए रूल्स को सामने रखा गया, हालांकि इसको लेकर मदरसा बोर्ड ने भी अपनी कुछ बातें सामने रखते हुए रज़ामंदी ज़ाहिर की है.असम के मदरसों में किसी भी तरीक़े की ग़ैरक़ानूनी सरगर्मी न होने पाए इसको लेकर नए रूल्स लागू किये गये हैं. इस सिलसिले में बुध को एक मीटिंग भी की गई. इस मीटिंग में डीजीपी भास्कर ज्योति महंत, ममता होजई और पांच निजी मदरसा एजुकेशन बोर्ड्स के नुमाइन्दे (प्रतिनिधि) मौजूद रहे. इस दौरान फैसला लिया गया कि स्टेट के बाहर के किसी भी टीचर को अप्वाइंट करने से पहले मदरसों को पुलिस वैरिफिकेशन कराना होगा.
'मज़हबी तालीमी निज़ाम में रुकावट न पड़े'
असम के प्राइवेट मदरसा बोर्डों ने कहा कि उन्होंने सरकार की पहल को मंज़ूर कर लिया है. लेकिन वे चाहते हैं कि मदरसों में मज़हबी तालीमी निज़ाम (धार्मिक अध्ययन प्रणाली) में रुकावट न डाली जाए. असम पुलिस के एक तर्जुमान ने कहा, "यह साफ़ कर दिया गया है कि मज़हबी तालीम के नाम पर किसी भी 'जिहादी' को रियासत के किसी भी मदरसे में पनाह लेने की इजाज़त नहीं दी जा सकती है".
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