Ghaziabad gang rape case: गाजियाबाद सामूहिक दुष्कर्म मामले में दिल्ली महिला आयोग ने सीएम योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर इस पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है. पुलिस ने इस पूरी घटना को साजिश करार देते हुए महिला की शिकायत को फर्जी करार दिया है.
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नई दिल्लीः दिल्ली से सटे उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में पांच लोगों पर सामूहिक दुष्कर्म का इल्जाम लगाने वाली 36 वर्षीय महिला की शिकायत झूठी निकली है. दिल्ली महिला आयोग ने महिला के खिलाफ जांच करने की मांग की है, और उसके दोषी पाए जाने पर सख्त कार्रवाई की अपील की है. वहीं, शनिवार को दिल्ली के गुरुतेग बहादुर (जीटीबी) अस्पताल से महिला को छुट्टी दे दी गई है. अस्पताल के अधिकारियों ने बताया कि महिला 18 अक्टूबर को सुबह सवा सात बजे अस्पताल में भर्ती हुई थी. उसका ‘चिकित्सा-कानूनी मामला (मेडिको-लीगल केस)’ (एमएलसी) बनाया गया था, जिसे गोपनीय रखा गया है.
जीटीबी अस्पताल ने बताया है कि जब महिला अस्पताल पहुंची तो उसके शरीर का तापमान, रक्तचाप, स्पंद दर और श्वसन दर स्थिर थे. बयान के मुताबिक, “अस्पताल के प्रोटोकॉल के मुताबिक, महिला की जांच की गई और उसका इलाज कर सभी औपचारिकताएं पूरी की गईं. 22 अक्टूबर को उसे छुट्टी दे दी गई है और छुट्टी के वक्त मरीज की हालत स्थिर थी.”
जिस्म से 5-6 सेमी की लोहे की छड़ निकालने का दावा
इससे पहले दिल्ली महिला आयोग को पीड़ित महिला ने बताया था कि गाजियाबाद में दो दिनों तक उसके साथ पांच लोगों ने सामूहिक बलात्कार किया और उसके निजी अंगों में लोहे की रॉड डाल दी गई. उसने दावा किया कि उसे बांधकर एक बोरे में सड़क किनारे फेंक दिया गया था. मालीवाल ने कहा था कि महिला की एमएलसी गंभीर चोटों को दर्शाती है. इसमें कहा गया है कि वह रस्सियों में बंधी थी, गर्दन और जांघों पर खरोंच थी, खून बह रहा था और उसके जिस्म से 5-6 सेमी की लोहे की छड़ निकाली गई थी. वहीं, गाजियाबाद पुलिस ने शुक्रवार को महिला और तीन अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया और इल्जाम लगाया कि महिला ने संपत्ति हड़पने के लिए मनगढ़ंत कहानी गढ़ी थी.
उच्च स्तरीय समिति गठित करने का आग्रह
दिल्ली महिला आयोग की प्रमुख स्वाति मालीवाल ने शनिवार को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को चिट्ठी लिखकर महिला के साथ कथित सामूहिक बलात्कार की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय समिति गठित करने का आग्रह किया है. स्वाति मालीवाल ने कहा है कि इस बात की जांच की जानी चाहिए कि पीड़िता के गुप्तांग में लोहे की रॉड जैसी वस्तु डालने के लिए कौन जिम्मेदार था, जिसे अस्पताल में निकाला गया था? वहीं अगर लड़की पुरुषों के खिलाफ साजिश रचने में शामिल थी और वह पीड़ित नहीं है, बल्कि अपराधी है, तो महिला के खिलाफ आईपीसी की धारा 182 के तहत कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए.
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