भारत में CBI को सबसे अच्छी और इमानदार एजेंसी के रुप में देखा जाता है. और जब भी कोई ऐसा केस जिसमें जांच में कोई कमी पाई जाती है तो उस मामले को CBI को सौंपा जाता है और भरोसा जताया जाता है कि इस मामले की जांच भी CBI पूरी निष्पक्षता से करेगी.
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Birbhum Violence Case: कोलकाता हाईकोर्ट ने बीरभूम जिले में हुई हिंसा मामले की जांच CBI को दे दी है. जिसके बाद ममता सरकार ने इसका विरोध भी किया है लेकिन कोर्ट ने इस विरोध के खिलाफ जाकर CBI को बीरभूम जिले की जिम्मेदारी दी है. CBI की कोलकाता ब्रांच इसकी जांच करेगी.
आपको बता दें कि बीरभूम जिले के रामपुरहाट में TMC नेता की हत्या के बाद हिंसा भड़क गई थी. जिसके बाद उपद्रव्यों ने कई घरों में आग लगा दिया था. इस आग की वजह से 2 बच्चों समेत 8 लोगों की जलकर मौत हो गई थी. अभी तक इस मामले में अब तक 20 लोगों की गिरफ्तारी हुई है.
लेकिन ऐसे में एक सवाल कि आखिर बंगाल पुलिस से लेकर बीरभूम जिले में हुई हिंसा मामले को CBI को देने से क्या निष्पक्ष जांच होगा और आखिर यह CBI कैसे काम करती है? और इसका रोल देश की सुरक्षा में कितना है.
West Bengal, Birbhum violence case | CBI names 21 accused under Section 147, 148, 149 and other Sections in FIR on suspected offence of armed rioting
— ANI (@ANI) March 26, 2022
CBI क्या है?
भारत में CBI को सबसे अच्छी और इमानदार एजेंसी के रुप में देखा जाता है. और जब भी कोई ऐसा केस जिसमें जांच में कोई कमी पाई जाती है तो उस मामले को CBI को सौंपा जाता है और भरोसा जताया जाता है कि इस मामले की जांच भी CBI पूरी निष्पक्षता से करेगी.
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CBI की जरूरत हमारे देश में क्यों पड़ी
अगर लोगों की माने तो जब दूसरा विश्व युद्ध हुआ था. तब भारत में अंग्रेजों का शासन था. और उसके शासनकाल में ब्रिटिश सरकार के खर्चें अचानक से बढ़ने लगी. अंग्रेजों की सरकार इन तमाम खर्चों को कंट्रोल नहीं कर पा रही थी. उनका अनुसार भारत के भ्रष्ट कर्मचारी और सरकारी अधिकारी पैसो का घोटाले कर रहे हैं और इन मामलों की जांच वहां की लोकल पुलिस सही से नहीं कर पा रही थी.इसलिए अंग्रेज सरकार ने 1941 में एक नई एजेंसी का गठन किया जिसमें एक विशेष पुलिस दल को स्थापित किया गया और इसकी देखभाल की जिम्मेदार गृह विभाग के हाथों में दी गई.उसके बाद से जब भी कोई केस लोकल पुलिस से नहीं सुलझता तो इस विशेष पुलिस दल को दिया जाता था.
1963 में नाम दिया गया CBI
1941 में बना विशेष पुलिस दल का नाम 1963 में बदल कर CBI (Central Bureau of Investigation) रख दिया गया. लेकिन काम के सारे नियम 1946 में बनाए गए अधिनियम के अनुसार ही किया जाता है.
सीबीआई किन मामलों की जांच करती है
शुरूआत में CBI में दो शाखाएं थी
1.सामान्य अपराध की शाखा
2.आर्थिक अपराध की शाखा
1.सामान्य अपराध की शाखा: CBI उन तमाम केसेस को देखती थी जिसमें भारत सरकार के कर्मचारी पर अपराधिक मामलों सामने आते थे या फिर उनपर रिश्वत खाने का आरोप हो या फिर भ्रष्टाचार का आरोप हो .
2.आर्थिक अपराध की शाखा: इस एजेंसी के तहत उन मामलों की जांच होती थी. जिसमें घोटालों से होने वाला नुकसान और पैसे से होने वाले अपराधों मे तेजी आती थी.
CBI के कार्य क्षेत्र
1946 में अधिनियम की धारा दो के DSP के मुताबिक CBI की पॉवर केंद्र शासित प्रदेश में हो रहे अपराधों की जांच के लिए है और साथ-साथ देश के सभी राज्यों में भी CBI जांच कर सकती है.
CBI में शिकायत कैसे करें?
देश या देश के किसी भी राज्य में हो रहे किसी भी तरह के भ्रष्टाचार या आपराधिक मामलों के लिए केंद्र सरकार को सीधे न्यायिक जांच के लिए CBI से जांच की गुहार लगा सकते हैं.
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