Maharashtra की इस पंचायत का मुसलमानों के खिलाफ कदम? वोटिंग का अधिकार छीनने की कोशिश!
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Maharashtra की इस पंचायत का मुसलमानों के खिलाफ कदम? वोटिंग का अधिकार छीनने की कोशिश!

Maharashtra News: महाराष्ट्र में चुनाव से पहले एक गांव में इस तरह का रिज्युलेशन पास किया गया कि गांव में आए नए मुस्लिम मतदाताओं को इसमें शामिल नहीं किया जाएगा. अगर उनका नाम मतदाता सूची में पाया गया तो उनका नाम बाहर किया जाएगा.

 

Maharashtra की इस पंचायत का मुसलमानों के खिलाफ कदम? वोटिंग का अधिकार छीनने की कोशिश!

Maharashtra News: महाराष्ट्र के जिला कोल्हापुर में मौजूद एक ग्राम पंचायत ने 5 सितंबर को एक रिज्युलेशन (संकल्प) पास किया, जिसके मुताबिक यहां की मतदाता सूची में 'नए मुस्लिम मतदाता' को नहीं जोड़ा जाएगा. रिज्युलेशन के मुताबिक हाल ही में जो मुस्लिम गांव में आए हैं, अगर मतदाता सूची में उनका नाम पाया गया तो पंचायत के अधिकारी उसका संज्ञान लेंगे और उस नाम को सूची से बाहर कर देंगे.

मुस्लिम मतदाता का नाम हटाया जाएगा
द क्विंट की खबर के मुताबिक यह रिज्युलेशन कोल्हापुर जिले के करवीर ताल्लुका के शिंगनापुर गांव की पंचायत ने सबकी सहमति से पास किया. रिज्युलेशन में लिखा है कि "इस ताल्लुक से विस्तार से बातचीत हुई है और सबकी सहमति से ये फैसला किया गया है कि जब शिंगनापुर गांव में नए मतदाता का रजिस्ट्रेशन किया जाएगा, तो नए आने वाले अल्पसंख्यक (मुस्लिम) को मतदाता सूची में शामिल नहीं किया जाएगा. इसके अलावा जब नई मतदाता सूची छपेगी, अगर उसमें नए अल्पसंख्यक (मुस्लिम) का नाम पाया गया, ग्राम पंचायत की तरफ से नाम को हटा दिआ जाएगा."

महाराष्ट्र में चुनाव
आपको बता दें कि महाराष्ट्र में नवंबर या दिसंबर में विधान सभा चुनाव होने हैं. हालांकि इस बारे में अभी इलेक्शन कमीशन की तरफ से अधिकारिक तौर पर चुनावों की तारीखों का ऐलान नहीं किया गया है. 

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रिज्युलेशन पर मुसलमान क्या बोले?
कोल्हापुर में 'मुस्लिम एजुकेशन सोसाइटी' के प्रमुख गनी अब्दुल आजरेकर का कहना है कि जो रिज्युलेशन पास किया गया है वह गैरसंवैधानिक और भेदभाव करने वाला है. उन्होंने कहा कि "यह रिज्युलेशन मुसलिम समुदाय के सोशल बॉयकट करने के इरादे से पास किया गया है और यह भेदभावपूर्ण है." 

15 सितंबर को शिकायत
'मुस्लिम एजुकेशन सोसाइटी' ने 15 सितंबर को जिला अधिकारी से संपर्क किया और रिज्युलेशन के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई. सोसाइटी ने शिकायत में लिखा है कि "रिज्युलेशन भारत के संविधान के खिलाफ है, जो सभी नागरिकों को वोट देने का अधिकार देता है. सरपंच, पचायत के मेंबर और विलेज डेवलपमेंट अधिकारियों के खिलाफ एक आपराधिक केस किया जाना चाहिए जिन लोगों ने मजहब की बुनियाद पर वोट देने का अधिकार छीनने की कोशिश की." उन्होंने मांग की कि पंचायत बर्खास्त की जाए.

सरपंच ने मांगी माफी
इसके कुछ घंटे के बाद मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने डीएम से संपर्क किया. इसके बाद गांव की सरपंच रसिका पाटिल ने एक वीडियो जारी कर साफ किया कि जिले में सांप्रदायिक सद्भाव को 'बाधित' करने के लिए कुछ लोगों की तरफ से प्रस्ताव को गतल तरीके से फैलाया जा रहा है. इसके बाद 15 सितंबर को, ग्राम पंचायत ने मुस्लिम समुदाय से "माफी मांगा". उन्होंने एक खत जारी करके यकीन दिलाया कि पंचायत की तरफ से ऐसी कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी.

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