NEET-PG Counselling: फोर्डा अध्यक्ष डॉक्टर मनीष और प्रदर्शन में शामिल कुछ दूसरे डॉक्टरों ने मंगलवार को केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री मांडविया से मुलाकात की. इस दौरान केन्द्रीय मंत्री ने जनहित में उनसे हड़ताल वापस लेने की गुज़ारिश की.
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नई दिल्ली: नीट-पीजी 2021 काउंसलिंग में देरी को लेकर पिछले 12 दिनों से प्रदर्शन कर रहे दिल्ली के रेजिडेंट डॉक्टरों के एक वफद और मरकज़ी वज़ीरे सेहत के बीच मंगलवार को हुई बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकलने के बाद प्रदर्शन जारी रखने का फैसला लिया गया है. फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (फोर्डा) और केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया के बीच निर्माण भवन में बैठक हुई, लेकिन डॉक्टरों के संगठन ने कहा कि उनका 'जवाब इतमिनान भख्श नहीं था.'
आज दिन में अपना आंदोलन तेज करते हुए, बड़ी तादाद में रेजिडेंट डॉक्टरों ने मंगलवार को केंद्र द्वारा संचालित सफदरजंग अस्पताल के परिसर में विरोध प्रदर्शन किया, जबकि कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया था. सरोजिनी नगर पुलिस थाने में नाटकीय दृश्य देखे जाने के बाद डॉक्टरों ने 'हमें इंसाफ चाहिए' जैसे नारे लगाए.
फोर्डा अध्यक्ष डॉक्टर मनीष और प्रदर्शन में शामिल कुछ अन्य डॉक्टरों ने आज मांडविया से भेंट की। इस दौरान केन्द्रीय मंत्री ने जनहित में उनसे हड़ताल वापस लेने का अनुरोध किया. फोर्डा की अगुवाई में आंदोलन मंगलवार को 12वें दिन जारी रहा जबकि केंद्र द्वारा संचालित तीन अस्पतालों - सफदरजंग, आरएमएल और लेडी हार्डिंग अस्पतालों और दिल्ली सरकार द्वारा संचालित कुछ अस्पतालों में मरीजों की देखभाल मतीसिर रही.
वज़ीरे सेसत के साथ मीटिंग में क्या हुआ
फोर्डा ने देर रात जारी एक बयान में कहा, बैठक में चिंता के सभी विषय उनके समक्ष रखे गए. 'लेकिन जवाब संतोषजनक नहीं था.' बयान के मुताबिक, ‘‘शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे रेजिडेंट डॉक्टरों के खिलाफ दिल्ली पुलिस की क्रूरता के बाद, संबंधित पक्षों ने माफी नहीं मांगी है. सच्चाई यह है कि पुलिस ने प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है. रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के विभिन्न प्रतिनिधियों के साथ चर्चा के बाद, मांगें पूरी होने तक प्रदर्शन जारी रखने का फैसला लिया गया है.'
पुलिस कर्मियों के साथ हुई थी हाथापाई
एक दिन पहले विरोध ने नाटकीय मोड़ ले लिया, जब चिकित्सकों और पुलिस कर्मियों का सड़कों पर आमना-सामना हुआ और दोनों पक्षों ने आरोप लगाया कि हाथापाई में कई लोगों को चोट लगी. पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि डॉक्टरों की हड़ताल के बीच कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए सफदरजंग अस्पताल परिसर में सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया है.
अधिकारी ने बताया, “100 से अधिक पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया है. ये अस्पताल में कानून-व्यवस्था की स्थिति सुनिश्चित करने के लिए भी है. फिलहाल स्थिति सामान्य है और नियंत्रण में है. रेजिडेंट डॉक्टर यहां शांतिपूर्वक धरना प्रदर्शन कर रहे हैं.” बाद में हालात सामान्य होने पर पुलिस को अस्पताल से हटा लिया गया.
सफदरजंग अस्पताल के फैकल्टी एसोसिएशन ने झड़प की निंदा की, जबकि एम्स के रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने सरकार से नीट पीजी काउंसलिंग में तेजी लाने के लिए अपनी योजनाओं का खुलासा करने का आग्रह किया, जिसमें विफल रहने पर उसने 29 दिसंबर को सांकेतिक हड़ताल की धमकी दी.
फोर्डा ने सोमवार को ये भी कहा था कि मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज (एमएएमसी) से उच्चतम न्यायालय तक विरोध मार्च निकालने की कोशिश करने पर उसके कई सदस्यों को 'हिरासत में' लिया गया. फोर्डा के अध्यक्ष ने दावा किया था कि सोमवार को बड़ी संख्या में प्रमुख अस्पतालों के रेजिडेंट डॉक्टरों ने 'सेवाओं की अस्वीकृति के प्रतीकात्मक संकेत में अपना एप्रन (लैब कोट) लौटा दिया.”
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वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज (वीएमएमसी) और सफदरजंग अस्पताल के फैकल्टी एसोसिएशन ने सोमवार को दिल्ली पुलिस आयुक्त को पत्र लिखकर कहा, 'वे दिल्ली पुलिस द्वारा रेजिडेंट डॉक्टरों के साथ पेश आए गए अस्वीकार्य, क्रूर और अमानवीय तरीके की कड़ी निंदा करते हैं. रेजिडेंट डॉक्टरों के साथ दिल्ली पुलिस ने बेरहमी से मारपीट की.'
हालांकि, पुलिस ने सोमवार को अपनी ओर से लाठीचार्ज या अभद्र भाषा के इस्तेमाल के किसी भी आरोप से इनकार किया और कहा कि 12 प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया और बाद में उन्हें रिहा कर दिया गया. पुलिस ने सोमवार की रात कहा कि कोविड की खिलाफवर्ज़ी, दंगे और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के आरोप में भारतीय दंड संहिता (भादंसं) की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है.
(इनपुट- भाषा)
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