Supreme Court: धर्म की बुनियाद पर एक दूसरे के खिलाफ पनप रही नफरत को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी बात कही है. साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार को नसीहत भी दी है.
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Supreme Court: भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को हेट स्पीच से जुड़े एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष देश में धर्म की बुनियाद पर नफरत और अपराध फैलाने के लिए कोई जगह नहीं है. इसमें कोई समझौता नहीं किया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने देश में बढ़ती कथित नफरत को एक समस्या करार दिया और कहा कि इसका हल तभी हो सकता है जब सरकार खुद इसे एक समस्या समझे.
जस्टिस केएम जोसेफ और बीवी नागरत्ना की बेंच ने कहा कि जब हेट क्राइम से निपटा नहीं जाता है तो ऐसा माहौल बनता है जो बहुत खतरनाक होता है. इसलिए अपने जीवन से नफरत को खत्म कर देना चाहिए. बेंच ने इस बात पर जोर दिया कि इस तरह के जुर्म से हर शहरी की हिफाज़त करना राज्य की जिम्मेदारी है.
उत्तर प्रदेश (यूपी) सरकार की तरफ से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज को संबोधित करते हुए बेंच ने कहा, "क्या आप यह कुबूल नहीं करेंगे कि देश में धर्म की बुनियाद पर नफरती जुर्म हो रहे हैं?" कोर्ट ने कहा था कि जब आप ऐसी घटनाओं के खिलाफ कार्रवाई करेंगे तो भारत विकसित देशों के बराबर आ जाएगा.
अदालत ने ये टिप्पणी एक मुस्लिम शख्स की याचिका पर सुनवाई करते हुए की. याचिका में आरोप लगाया गया है कि जब वह जुलाई 2021 से नोएडा से अलीगढ़ जा रहे थे, तब कुछ संदिग्धों ने धर्म की बुनियाद पर उनके साथ मारपीट और बुरा-बर्ताव किया. शख्स के मुताबिक, पुलिस ने उसकी शिकायत तक दर्ज नहीं की. इसी मामला पर कोर्ट ने सख्ती बरतते हुए कहा कि अगर कोई व्यक्ति पुलिस के पास जाता है और कहता है कि मैंने टोपी पहन रखी थी, मेरी दाढ़ी नोच दी गई थी और मुझे धर्म के आधार पर गाली दी गई थी और फिर भी पुलिस शिकायत दर्ज नहीं करती है, तो यह एक समस्या है.
हाल के दिनों में, नफरत की घटनाएं फिर से बढ़ रही हैं. योग गुरु रामदेव ने 2 फरवरी को राजस्थान के बाड़मेर में एक हिंदू सभा में मुसलमानों और ईसाइयों के खिलाफ कथित रूप से भड़काऊ भाषण देते हुए कहा था कि मुसलमान प्रार्थना करते हैं और आतंकवाद करते हैं. उन्होंने मुस्लिमों पर हिंदू महिलाओं का अपहरण करने और हिंदुओं का धर्मांतरण करने का भी आरोप लगाया. 5 फरवरी को बाड़मेर के एक मुस्लिम की शिकायत पर स्थानीय पुलिस ने रामदेव के खिलाफ धर्म के आधार पर दो समुदायों के बीच दुश्मनी पैदा करने और दूसरों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के प्रावधानों के तहत रिपोर्ट दर्ज की थी.
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