बिल में यह भी कहा गया है कि मस्जिदों को पूजास्थल के तौर पर रजिस्टर किया जाएगा ताकि उनको बेहतर तरीके से पहचाना जा सके. उन्हें मिलने वाली माली मदद और इमामों की ट्रेनिंग पर भी नजर रखी जाएगी.
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पेरिस: 'इस्लामिक कट्टरवाद' पर लगाम लगाने के लिए फ्रांस ने एक और बड़ा कदम उठाया है. फ्रांस की सरकार बुधवार को एक नया बिल लेकर आई है, जिसके तहत तीन साल की उम्र से ही बच्चों को स्कूल भेजना लाज़मी होगा और मस्जिदों पर सरकार की पैनी नज़र के अलावा फंडिंग पर भी ध्यान देने की बात कही गई है. फ्रांस के राष्ट्रपति का कहना है कि यह बिल राष्ट्र को कमजोर करने वाले अलगाववादियों को जड़ से खत्म करने में कारगर साबित होगा और बच्चों को शुरुआत से ही सही शिक्षा प्रदान की जा सकेगी.
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प्रस्तावित कानून Supporting Republican Principles के ज़रिए बच्चों को घर या मस्जिदों में पढ़ाई करने से रोका जाएगा. राष्ट्रपति का मानना है कि इससे फ्रांस के मूल्यों के खिलाफ किसी नज़रिये (विचारधारा) को बढ़ावा देने की कोशिशों को खत्म करने में मदद मिलेगी. बिल में महिलाओं और पुरुषों के लिए अलग स्विमिंग पूल्स की व्यवस्था खत्म करने का भी जिक्र है.
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बिल में यह भी कहा गया है कि मस्जिदों को पूजास्थल के तौर पर रजिस्टर किया जाएगा ताकि उनको बेहतर तरीके से पहचाना जा सके. उन्हें मिलने वाली माली मदद और इमामों की ट्रेनिंग पर भी नजर रखी जाएगी. साथ ही मस्जिदों के चंदे की हद 10,000 यूरो ($12,000) तय कर दी जाएगी, इससे बड़े चंदे के लिए इजाज़त लेनी होगी.
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बिल के मुताबिक जस्टिस के पास दहशतगर्दी, भेदभाव, नफरत या तशद्दुद (हिंसा) के मुजरिम करार दिए गए शख्स को मस्जिद जाने से रोकने का हक होगा. इसके साथ ही इंटरनेट पर नफरत फैलाने वाले कंटेंट के खिलाफ भी कानून बनेंगे और सरकारी अफसरों को मज़हब के बुनियाद पर डराने धमकाने पर जेल की सजा का प्रोविज़न भी होगा.
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दरअसल, सरकार की कोशिश ऐसे गैर कानूनी स्कूलों पर नकेल कसने की है, जहां किसी खास एजेंडे के तहत पढ़ाई कराई जाती है. फ्रांस में रहने वाले सभी मज़हब के लोगों के लिए तीन साल के बच्चों को स्कूल भेजना लाज़मी होगा. बच्चों की होम-स्कूलिंग की इजाजत सिर्फ खास हालात में दी जाएगी.
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बता दें कि पेरिस की घटना के बाद से मैक्रों इस्लामिक आतंकवाद के खिलाफ सख्त कदम उठा रहे हैं. जिसकी वजह से तुर्की और पाकिस्तान सहित मुस्लिम देशों ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.
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