मुंबई : ओएनजीसी में सरकार की पांच फीसदी हिस्सेदारी के विनिवेश के लिए हुई नीलामी में गुरुवार को 29.22 करोड़ शेयरों के लिए करीब 8,500 करोड़ रुपए की बोली लगी। हालांकि, यह राशि कंपनी शेयरों के विनिवेश लक्ष्य 12,000 करोड़ रुपए के मुकाबले कम रही।
नीलमी के दिन के अंत तक कुल 29.22 करोड़ शेयरों की बोली लगी। स्टॉक एक्सचेंज अधिकारी ने बताया कि एनएसई में 19.92 करोड़ और बीएसई में 9.3 करोड़ शेयरों के लिए बोली लगी। अंतिम आंकड़े अभी दोनों शेयर एक्सचेंज की वेबसाइट पर आना बाकी है।
सरकार ने ओएनजीसी में अपने हिस्से के करीब 42.77 करोड़ शेयर बेचने का प्रस्ताव किया था जिसके लिए प्रति शेयर 290 रुपए न्यूनतम दाम तय किया गया है। कुल बोली करीब 8,500 करोड़ रुपए के लिए लगी और यह कुल पेशकश का 68.3 फीसद हिस्सा है।
न्यूतनतम कीमत पर या इससे उपर जितने शेयरों के लिए बोली मिली है वह यदि बिक्री के लिए पेश शेयरों की संख्या से कम है तो सरकार के पास अधिकार होगा वह या तो जितने शेयरों के लिये बोली मिली है उतने में ही इसे बंद कर दे या फिर बिक्री को रद्द कर दे। ये शेयर मूल्य प्राथमिकता के आधार पर आवंटित किए जाएंगे जिसका मतलब होगा कि सबसे उंचे दाम पर बोली लगाने वालों को शेयर आवंटित किए जाएंगे।
नीलामी के दौरान शेयरों के लिए बोली 290-293 रुपए के मूल्य दायरे में लगाई गई। बोली प्रक्रिया सुबह नौ बजकर 15 मिनट पर शुरू हुई और अपराह्न तीन बजकर 30 मिनट पर बंद हुई। सरकार ने एक दिन की नीलामी के जरिए शेयर बिक्री के लिए 290 रुपए का न्यूनतम मूल्य तय किया था और इसके जरिए 12,000-13,000 करोड़ रुपए जुटाने का लक्ष्य रखा गया था।
शुरूआत में बोली प्रक्रिया कमजोर रही और पहले घंटे में सिर्फ 37,500 शेयरों की बोली लगी। तीन बजे तक करीब 1.43 करोड़ शेयरों के लिए बोली लगी। बोली की रफ्तार आखिरी 30 मिनट में बढ़ी। करीब एक फीसदी की शुरूआती बढ़त के बाद ओएनजीसी के शेयरों में कमजोरी आई और अपराह्न के कारोबार तक यह 290 रुपए से नीचे आ गया। ओएनजीसी शेयर आखिरकार बंबई स्टाक एक्सचेंज में 1.87 फीसदी लुढ़क कर 287.85 रुपए पर बंद हुआ।
विश्लेषकों ने कहा कि ओएनजीसी के शेयरों के लिए कम बोली लगाए जाने की वजह यह है कि ओएनजीसी का शेयर पेशकश मूल्य, बाजार मूल्य के बहुत करीब रखा गया था और दोपहर के कारोबार तक यह फिसल कर इससे भी नीचे चला गया।
सरकार ने मंगलवार को ओएनजीसी की अपनी पांच फीसदी हिस्सेदारी नीलामी के जरिए बेचने का फैसला किया। इस प्रक्रिया से 12,000 से 13,000 करोड़ रुपए जुटाए जाने की उम्मीद थी। सरकार के पास ओएनजीसी की 74.14 फीसदी हिस्सेदारी है। (एजेंसी)