नई दिल्ली : वित्त मंत्री अरूण जेटली ने कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) प्रणाली को जल्द लागू करने के लिये केन्द्र सरकार राज्यों के साथ राजस्व क्षतिपूर्ति से जुड़े मुद्दे का समाधान करेगी। जीएसटी नई कर व्यवस्था है जिसमें मौजूदा अप्रत्यक्ष करों को समाहित किया जायेगा।
राज्य के वित्त मंत्रियों के साथ बैठक के बाद जेटली कहा कि जीएसटी को लेकर व्यापक सहमति बनी है और विशेष रूप से राजस्व के नुकसान की भरपाई से संबद्ध मुद्दों समेत लंबित मसलों के समाधान के लिये प्रयास किये जाएंगे।
जेटली ने कहा, ‘जीएसटी क्रियान्वित करने के लिये राजस्व क्षतिपूर्ति मुद्दे का समाधान महत्वपूर्ण है।’ बैठक के बारे में मीडिया को जानकारी देते हुए वित्त राज्यमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि नई कर व्यवस्था को लागू करने के लिये समय सीमा बताना मुश्किल है लेकिन (संवैधानिक संशोधन) जल्दी होगा।
उन्होंने कहा, ‘गहन चर्चा हुई और अच्छे माहौल में हुई। हम आम सहमति की ओर बढ़ रहे हैं। इससे उम्मीद जगती कि जीएसटी से जुड़े मामलों का जल्दी ही निपटान कर लिया जाएगा। वास्तव में, हमने जहां से शुरू किया, वहां से बेहतर स्थिति में हैं। निर्मला ने कहा कि सरकार मुआवजा मामले को देख रही है जो सभी राज्यों के लिये एक अहम मसला है।
उन्होंने कहा, ‘यह मुद्दा है और इस पर काम करना चाहेंगे। हम उसका समाधान कर रहे हैं। यह पूछे जाने पर कि क्या केंद्र ने राज्यों को क्षतिपूर्ति को लेकर कोई आश्वासन दिया है, निर्मला सीतारमण ने कहा, ‘हम खुले दिमाग से बातचीत कर रहे हैं और हमने किसी भी रूप में किसी भी चीज के लिये प्रतिबद्धता नहीं जतायी है।’
इससे पहले, दिन में जीएसटी से संबद्ध विभिन्न पहलुओं पर राज्य वित्त मंत्रियों के अधिकार प्राप्त समिति तथा केंद्र सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों की अलग-अलग बैठकें हुई। इसमें केंद्रीय बिक्री कर (सीएसटी) को आधा यानी 2 प्रतिशत करने से राज्यों को होने वाले राजस्व नुकसान के एवज में क्षतिपूर्ति दिया जाना शामिल है।
लंबे समय से लंबित जीएसटी उत्पाद शुल्क, सेवा एवं स्थानीय कर समेत अप्रत्यक्ष करों का स्थान लेगा। नरेंद्र मोदी सरकार के एजेंडे में यह विषय उपर रख गया है। निर्मला ने कहा कि कुछ राज्यों ने नई अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था लागू करने के लिये संविधान संशोधन विधेयक में जीएसटी क्षतिपूर्ति को शामिल किये जाने की मांग की है।
उन्होंने कहा, ‘कुछ राज्यों ने पेट्रोल और प्रवेश शुल्क को जीएसटी के दायरे से बाहर रखने की भी मांग की है लेकिन बड़ा मुद्दा यह है कि उन्हें क्षतिपूर्ति कैसे मिलेगी।’