सार्वजनिक उपक्रमों को और स्वायत्तता की जरूरत : पीएम

सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को ज्यादा प्रतिस्पर्धी बनाने की अपील करते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिह ने आज कहा कि सरकारी कंपनियों को कामकाज में ज्यादा स्वायत्तता देने और नौकरशाही के नियंत्रण से मुक्त करने की जरूरत है।

नई दिल्ली : सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को ज्यादा प्रतिस्पर्धी बनाने की अपील करते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिह ने आज कहा कि सरकारी कंपनियों को कामकाज में ज्यादा स्वायत्तता देने और नौकरशाही के नियंत्रण से मुक्त करने की जरूरत है। साथ ही इन्हें निजी क्षेत्र की प्रतिस्पर्धा से बचाने की जरूरत नहीं है।
सिंह ने कहा, ‘आने वाले दिनों में हमारी सरकारों को ज्यादा से ज्यादा प्रतिस्पर्धा-निष्पक्ष नीतियां अपनानी होंगी .. निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा के लिए जरूरी है कि सरकार निजी क्षेत्र के मुकाबले अपने कारोबार को बेजा फायदा पहुंचाने के लिए वैधानिक और राजकोषीय शक्तियों का उपयोग नहीं करेगी।’
ब्रिक्स अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा सम्मेलन में यहां सिंह ने कहा, ‘इसका समाधान सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को कामकाज में ज्यादा स्वायत्तता देने और नौकरशाही के नियंत्रण से मुक्त करने में है न कि उनकी प्रतिस्पर्धा में ढिलाई को बर्दाश्त करने और फिर उन्हें प्रतिस्पर्धा से बचाने में है।’
ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) के प्रतिस्पर्धा नियामक प्राधिकार के अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा सिंह ने कहा कि सार्वजनिक खरीद बाजार के प्रतिस्पर्धी होने से गड़बड़ी करना मुश्किल होगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों या सरकारी कंपनियों को लंबे समय तक संरक्षित बाजार मिला। उन्होंने कहा कि ऐसी इकाइयों में सरकार के स्वामित्व का यह मतलब नहीं कि इन उपक्रमों का प्रतिस्पर्धा से बचाव होगा।
सिंह ने कहा, ‘प्रतिस्पर्धी कानून के लागू करने और खरीद के लिए बाजार को उदार बनाने के बीच पूरकता को पहचानने की जरूरत है।’ प्रधानमंत्री ने कहा कि सार्वजनिक खरीद राजकीय खर्च का उल्लेखनीय हिस्सा है। उन्होंने कहा कि प्रतिस्पर्धी खरीद बाजार से बहुमूल्य राजकोषीय संसाधन बचाने में मदद मिल सकती है। सिंह ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को प्रतिस्पर्धा के दायेर में लाना महत्वपूर्ण मुद्दा है।
उन्होंने कहा, ‘सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों पर सरकार का स्वामित्व हो सकता है और वह स्वामित्व के सामान्य अधिकारों का उपयोग कर सकती है। इसका यह मतलब नहीं है कि उसे कंपनी का प्रतिस्पर्धा से भी बचाव करना चाहिए।’ पांच देशों के इस समूह के बारे में सिंह ने कहा कि ब्रिक्स देशों की कुल आबादी तीन अरब है। इनका कुल सकल घरेलू उत्पाद 14,000 अरब डालर है और इनके पास 4,000 अरब डालर का विदेशी मुद्रा भंडार है।
कारपोरेट मामलों के मंत्री सचिन पायलट ने आज कहा कि कोई अर्थव्यवस्था जितनी अधिक प्रतिस्पर्धी होगी उसमें विदेशी निवेश उतना ही अधिक आएगा। उन्होंने यह भी कहा कि अधिक प्रतिस्पर्धी बाजार प्रतिकूल आर्थिक स्थितियों का सामना अपेक्षाकृत बेहतर तरीके से करते हैं।
पायलट ने कहा, ‘निवेश की सुरक्षा और बाजार की प्रतिस्पर्धा के आधार पर विदेशी निवेश संबंधी निर्णय किये जाते हैं, जबकि उदारीकरण का पूरा लाभ अधिकाधिक प्रतिस्पर्धा के साथ ही लिया जा सकता है।’ उन्होंने कहा कि सोच समझ कर किए गए विनियमन से उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा होती है। उन्होंने व्यापार एवं निवेशक नीति तथा प्रतिस्पर्धा नीति को एक दूसरे की पूरक बताया।
इस अवसर पर भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग के चेयरमैन अशोक चावला ने कहा कि यह सम्मेलने ब्रिक्स देशों के बीच सहयोग संबंध बढ़ाने में सहायक होगा। दो दिन के इस सम्मेलन में ब्रिक्स देशों में बाजार प्रतिस्पर्धा संबंधी नियम और व्यवस्था कामय करने की राह में चुनौतियों तथा सदस्य देशों के प्रतिस्पर्धा विनियामकों के बीच सहयोग बढाने के मुद्दों पर भी चर्चा होगी। (एजेंसी)

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