फेडरल रिजर्व की ब्याज दरें बढ़ने के बावजूद नीतिगत दरें घटा सकता है आरबीआई : रिपोर्ट

भारतीय रिजर्व बैंक अगले साल की शुरुआत से ब्याज दरों में कटौती कर सकता है। एक अमेरिकी बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका का फेडरल रिजर्व यदि अगले साल ब्याज दरों में वृद्धि करता है तो भी भारतीय रिजर्व बैंक 2015 की शुरुआत से नीतिगत दरों में 0.75 से एक फीसदी तक कटौती कर सकता है।

फेडरल रिजर्व की ब्याज दरें बढ़ने के बावजूद नीतिगत दरें घटा सकता है आरबीआई : रिपोर्ट

नई दिल्ली : भारतीय रिजर्व बैंक अगले साल की शुरुआत से ब्याज दरों में कटौती कर सकता है। एक अमेरिकी बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका का फेडरल रिजर्व यदि अगले साल ब्याज दरों में वृद्धि करता है तो भी भारतीय रिजर्व बैंक 2015 की शुरुआत से नीतिगत दरों में 0.75 से एक फीसदी तक कटौती कर सकता है।

वैश्विक वित्तीय सेवा क्षेत्र की प्रमुख कंपनी बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच ने कहा कि विकसित बाजारों व उभरते बाजारों विशेष रूप से भारत की नीतियां हाल के बर्षों में एक दूसरे के अनुरूप नहीं रह गई हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘हमारा मानना है कि रिजर्व बैंक 2015 में जनवरी से लगातार ब्याज दरों में 0.75 से एक फीसदी की कटौती करेगा, चाहे फेडरल रिजर्व मौद्रिक नीति में उदारता की नीति से पीछे हटना क्यों न शुरू कर दे।’ वैश्विक ब्रोकरेज फर्म की रिपोर्ट में इसके लिए तीन वजहें गिनाई गई हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि पहली वजह यह है कि भारत व अमेरिका में ब्याज दरों में अंतर पहले से काफी ऊंचा है। इसके अलावा रुपये की स्थिरता के लिए विदेशी मुद्रा भंडार महत्वपूर्ण है। तीसरी वजह यह है कि फेडरल रिजर्व की कड़ाई से जिंस कीमतों में स्थिरता की वजह से आयातित मुद्रास्फीति में कमी आएगी।

भारत और अमेरिका के बीच ब्याज दरों में अंतर फिलहाल 8 प्रतिशत अंक तक है जो कि जनवरी 2003 के औसत 4.6 प्रतिशत के मुकाबले काफी ऊंचा है।

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