नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने किंगफिशर को यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया की शिकायत निदान समिति द्वारा जानबूझ कर कर्ज नहीं चुकाने वाला घोषित करने के खिलाफ दायर याचिका पर मंगलवार को विचार से इनकार कर दिया।
न्यायालय ने कहा कि समिति पहले ही इस संबंध में आदेश दे चुका है ओर इसलिए किंगफिशर की याचिका निर्थक हो गई है। न्यायमूर्ति ए आर दवे और न्यायमूर्ति उदय यू ललित की खंडपीठ ने कहा कि आपका समस्या यह थी कि शिकायत निदान समिति को इस मामले में फैसला नहीं करना चाहिए लेकिन उन्होंने पहले ही इस पर फैसला कर लिया है। इसलिए आपकी याचिका निर्थक हो गयी है।
किंगफिशर एयरलाइंस ने आरोप लगाया था कि शिकायत निदान समिति ने उनके इस अनुरोध को नजरअंदाज करते हुये आदेश पारित किया है कि वकील को उनके निदेशक का प्रतिनिधित्व करने की अनुमति दी जाये। न्यायालय ने जब यह कहा कि उनकी याचिका निर्थक हो गयी है तो एयरलाइन के वकील ने कहा कि वह संबंधित उच्च न्यायालय में समिति के आदेश को चुनौती देंगे।
यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया कर्ज में डूबी किंगफिशर ओर इसके प्रमोटर विजय माल्या को जानबूझ कर कर्ज नहीं चुकाने वाला घोषित करने वाला पहला बैंक है।