नारायण साईं पर नकेल

नारायण साईं पर आखिर कस ही गया कानून का शिकंजा। 58 दिन तक पुलिस के साथ लुका-छिपी का खेल खेलने के बाद उसकी भागदौड़ सलाखों के पीछे पहुंच कर खत्म हो गई।अपने शातिर दिमाग और मददगारों की फौज की बदौलत नारायण ने बचने की पूरी कोशिश की लेकिन कानून के लंबे हाथ से वो ज्यादा दिन तक बच नहीं पाया।

ज़ी मीडिया/क्राइम रिपोर्टर
नारायण साईं पर आखिर कस ही गया कानून का शिकंजा। 58 दिन तक पुलिस के साथ लुका-छिपी का खेल खेलने के बाद उसकी भागदौड़ सलाखों के पीछे पहुंच कर खत्म हो गई।अपने शातिर दिमाग और मददगारों की फौज की बदौलत नारायण ने बचने की पूरी कोशिश की लेकिन कानून के लंबे हाथ से वो ज्यादा दिन तक बच नहीं पाया।
गिरफ्तारी से बचने के लिए रेप के आरोपी इस शख्स ने हर कोशिश कर ली। अग्रिम जमानत की अर्जी दाखिल करने से लेकर खुद को भगोड़ा घोषित किये जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका देने तक का हर तरीका अपना लिया लेकिन इस शातिर की कोई भी कोशिश कामयाब नहीं हो सकी और वो दिल्ली के पास हरियाणा के कुरुक्षेत्र में पुलिस के फंदे में आ ही गया। 58 दिन से भाग रहे शातिर नारायण साईं को ये अच्छी तरह मालूम था कि पुलिस उस तक पहुंचने की हर मुमकिन कोशिश कर रही है। इसीलिए वो खुद को बचाने के लिए बेहद शातिराना तरीके से अपनी चालें चल रहा था। उसकी हर चाल कामयाब भी हो रही थी।
जैसे ही पुलिस की टीम उस तक पहुंचती थी इसकी खबर नारायण के पास भी पहुंच जाती थी और पलक झपकते ही नारायण अपने मददगारों समेत वहां से गायब हो जाता था लेकिन इस बार उसकी चालाकी काम नहीं आई ।लगातार नारायण साईं की तलाश में जुटी दिल्ली पुलिस को खबर मिली थी कि नारायण साईं लुधियाना में है।ये खबर मिलते दिल्ली पुलिस ने अपना जाल फैला दिया ।सबसे पहले उन रास्तों पर पुलिस की टीम तैनात की गईं जहां-जहां से वो भाग सकता था ।नारायण साईं को पकड़ने के लिए पहले क्राइम ब्रांच के 10 लोगों की टीम लुधियाना के लिए रवाना हुई और उसके बाद 20 और पुलिस अफसर उसकी तलाश में हरियाणा जा पहुंचे ।आखिरकार कुरुक्षेत्र के नजदीक पीपली में पुलिस ने नारायण साईं को उसके गुर्गों के साथ धर दबोचा।नारायण साईं अपने ड्राइवर रमेश, मददगार कौशल उर्फ हनुमान, भाविका नाम की एक सेविका और एक नाबालिग रसोइये के साथ एसयूवी में सवार था।पुलिस से घिर जाने की भनक लगते ही उसने भागने की कोशिश भी की लेकिन इस बार उसकी कोई होशियारी काम नहीं आई। खास बात ये है कि नारायण और उसके मददगारों ने भागने और अनजान जगहों पर छिपकर दिन-रात गुजारने का पूरा इंतजाम कर रखा था।
पहचान छिपाने के लिए नारायण साईं ने दाढ़ी बढ़ा रखी थी और लाल रंग की पगड़ी पहन रखी थी, लेकिन सारी कोशिश के बावजूद पुलिस ने उसे पहचान लिया।अब सूरत पुलिस नारायण साईं और उसके मददगारों से पूछताछ करेगी क्योंकि खुद को संत बताने वाले साईं के खिलाफ रेप और यौन शोषण का मामला सूरत में ही दर्ज है। नारायण साईं के साथ हर वक्त उसके साथ उसकी परछाई की तरह मौजूद था उसका ड्राइवर रमेश ।हालांकि पकड़े जाने के बाद भी रमेश ने पुलिस को चमका देने की पूरी कोशिश और अपना नाम भी सुरेश बताया लेकिन वो अपने मंसूबों में कामयाब नहीं हो सका। ड्राइवर रमेश का मोबाइल लोकेशन ट्रेस करके ही पुलिस को पता चला कि नारायण साईं लुधियाना में है ।रमेश तक पुलिस को पहुंचाया दिल्ली के रोहिणी इलाके में रहने वाले एक शख्स ने उससे मिली जानकारी के बाद पुलिस ने रमेश के मोबाइल को सर्विलांस पर डाल दिया और उसके बाद पुलिस को नारायण के साथ मौजूद रमेश के हर मूवमेंट का पता चलने लगा।आसाराम के एक पुराने सेवादार ने खुलासा किया है कि इस दौरान नारायण ने ज्यादातर वक्त मध्य प्रदेश में गुजारा क्योंकि उसे एमपी सरकार का पूरा समर्थन हासिल था। इतना ही नहीं, सूबे की पुलिस को भी उसके हर मूवमेंट की जानकारी थी।पूर्व सेवादार के मुताबिक आसाराम और नारायण साईं की गिरफ्तारी के बाद यौन शोषण से जुड़े कई मामले सामने आएंगे क्योंकि अब तक जो सामने आया है, हकीकत उससे कहीं ज्यादा डरावनी है।
पूर्व सेवादार के मुताबिक आसाराम और नारायण साईं के आश्रम की चारदीवारी में हर तरह के गैरकानूनी काम होते थे ।यहां तक कि लोगों को मारकर आश्रम में ही दफना दिया जाता था।आसाराम और नारायण साईं के लिए फांसी की सजा मांगने वाले पूर्व सेवादार का कहना है बाप-बेटे का जेल से बाहर आना बेहद खतरनाक साबित होगा क्योंकि दोनों अपनी दौलत और ताकत के बल पर कुछ भी कर सकते हैं। फोर्ड इको स्पोर्ट्स कार, जिसमें नारायण साईं को उसके साथियों के साथ गिरफ्तार किया गया वो कार नारायण की नहीं, नारायण के एक मददगार की है ।इस कार का रजिस्ट्रेशन मेरठ में रहने वाले एक कारोबारी की बहू नेहा दीवान के नाम पर है । बताया जा रहा है कि मेरठ के इस परिवार ने ही नारायण की मदद करने के लिए उसे एक नई कार खरीदकर सौंप दी।नेहा दीवान और उनके पति अजय दीवान तो मीडिया के सामने नहीं आए हैं लेकिन, रिश्तेदारों का कहना है कि कभी आसाराम के भक्त रहे इन लोगों का अब नारायण से कोई लेना देना नहीं है।दीवान परिवार नारायण से लिंक होने से इनकार जरूर कर रहा है, लेकिन हकीकत तो ये है कि नारायण 6 अक्टूबर से फ़रार है, जबकि नाराय़ण के पास से मिली कार नेहा दीवान के नाम पर 23 अक्टूबर को रजिस्टर्ड करवाई गई।बाप-बेटा दोनों अब रेप और यौन शोषण के इल्जामों में सलाखों के पीछे हैं ।दोनों पर लगे इल्जाम इतने संगीन हैं कि उनका जल्द जेल से बाहर आ पाना मुश्किल है। आसाराम के एक पूर्व सेवादार का तो साफ कहना है कि बाप-बेटे को किसी भी हालत में जेल से बाहर नहीं आने देना चाहिए।
पूर्व सेवादार के मुताबिक आसाराम और नारायण साईं के नेटवर्क से जुड़े ऐसे कई लोग हैं, जो बड़ी तेजी से उससे दूरी बना रहे हैं। जाहिर है अब बाप-बेटे की किस्मत का फैसला कानून ही करेगा।

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