त्योहारों पर मातम का कारोबार

त्योहारों पर ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए मिलावटखोर एक बार फिर सक्रिय हो गए हैं। आपकी सेहत से खिलवाड़ करने वाले मिलावटखोरों के इस नेटवर्क को क्राइम रिपोर्टर ने किया बेपर्दा। मसालों के जरिये आपके जिस्म में पहुंच रहा है ख़तरनाक जहर।

क्राइम रिपोर्टर/ज़ी मीडिया
त्योहारों पर ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए मिलावटखोर एक बार फिर सक्रिय हो गए हैं। आपकी सेहत से खिलवाड़ करने वाले मिलावटखोरों के इस नेटवर्क को क्राइम रिपोर्टर ने किया बेपर्दा। मसाला जिसकी मौजूदगी खाने का स्वाद बढ़ा देती है लेकिन इन्हीं मसालों के जरिये आपके जिस्म में पहुंच रहा है ख़तरनाक जहर। बिना मसालों के स्वादिष्ट खाने की बात सोची भी नहीं जा सकती वेज हो या नॉनवेज। हर तरह के खाने में कोई न कोई मसाला डाला जाता है। साफ है कि अगर मसाला शुद्ध न हो तो इसका असर आपके स्वास्थ्य पर भी पड़ेगा। इसके बावजूद हम और आप कई बार मुनाफाखोरों की वजह से मिलावटी मसाला का ही इस्तेमाल करते हैं। मिलावट के ऐसे ही मुजरिमों की तलाश में निकल पड़ा ज़ी मीडिया का अंडरकवर एजेंट।
दिल्ली के ईस्ट लक्ष्मी नगर में अंडरकवर एजेंट की मुलाकात हुई मदन नाम के शख्स से। वह अपने घर में मसाला फैक्ट्री चलाता है और काफी कम दामों में मसालों की बिक्री करता है। अंडरकवर एजेंट ने उसके सामने खुद को एक कैंटीन ऑपरेटर के रूप में पेश किया और शुरू कर दी मिलावटी मसाले यानी हल्के सामान की सौदेबाजी।
अंडरकवर एजेंट : हमें हल्का सामान भी चाहिए।
दुकानदार : हां मिल जाएगा, लेकिन कोई गारंटी नहीं होगी, हल्दी, धनिया, गरम मसाला जो चाहिए, मिल जाएगा।
शुरुआती बातचीत से ही मदन को यकीन हो गया कि उसके सामने जो कैंटीन संचालक बैठा है उसका इंट्रेस्ट मिलावटी मसालों में है, फिर क्या था उसने मिलावटी मसालों की रेटलिस्ट पेश करने में ज्यादा देर नहीं लगाई। असली और नकली मसालों की कीमत में जमीन-आसमान का ये फर्क होश उड़ाने वाला था।
दुकानदार : धनिया 80 रुपये किलो का है, 2 नंबर का लोगे तो 20 रुपये का है, 30 रुपये का और 50 का भी है। ऐसे ही गरम मसाला भी है, अच्छा लोगे तो 900 से 1000 रुपये तक का है और दो नंबर का लोगे तो 30 रुपये का, 50 रुपये का, 100 रुपये का होगा। मिर्च अच्छी चाहिए तो 80 से 85 रुपये की मिलेगी और हल्की 40 रुपये की।
अंडरकवर एजेंट : मिनिमम लगा देना सौदा तय हो गया, रेट भी मिल गए औऱ मुनाफे का भरोसा भी मिल गया।
अब बारी थी मिलावटखोरों के दूसरे ठिकाने तक पहुंचने की जो इसने एशिया की सबसे बड़ी मार्केट खारी बावली में बना रखा था। दिल्ली के सबसे बड़े मसाला मार्केट में मिलावटखोरी के बिजनेस में मुनाफा भी छोटा मोटा नहीं, बल्कि 10-20 गुना तक होता है। फायदे के लिए ये मिलावटखोर ऐसी-ऐसी चीजें मिलाते हैं कि आम लोगों के लिए उन्हें पहचान पाना नामुमकिन है। क्राइम रिपोर्टर के खुफिया कैमरे में मिलावटखोर ने खुद कबूला अपना गुनाह। जितनी ज्यादा मिलावट उतना ज्यादा मुनाफ़ा और मिलावटखोरों को मतलब सिर्फ मुनाफे से ही होता है। मुनाफ़े के चक्कर में मिलावटखोर खाने की चीज के रूप में हमारे जिस्म में ऐसी चीजें पहुंचा रहे हैं जो ज़हर से कम नहीं हैं।
अंडरकवर एजेंट : हमें मिनिमम वाला चाहिए, अगर इसमें कलर न आए तो?
दुकानदार : कलर भी आएगा, लेकिन इतना नहीं आएगा।
अंडरकवर एजेंट : इसमें और इसमें अंतर क्या है?
दुकानदार : जैसे हल्दी में चावल पीस कर आता है, रंग लगा कर, मिर्च में मिर्च का पत्ता आता है, रंग लगा कर।
अंडर कवर एजेंट : मिर्च में तीखा वगैरह लगेगा ना?
दुकानदार : नहीं लगेगा। मिलावटखोर मदन ने सब कुछ साफ कर दिया। इस बात की गारंटी भी दे दी कि मसाले से सब्जियों का स्वाद बढ़े न बढ़े लेकिन मुनाफा मोटा होगा। साथ ही ये भी बताया माल की सप्लाई घर में नहीं दुकान में होगी।
अंडरकवर एजेंट : तो कल आ जाऊं मसाले के लिए?
दुकानदार : कल दुकान जाना होगा, श्रद्धानंद मार्केट।
अंडर कवर एजेंट : ठीक है, कल आता हूं, अभी लेट हो रहा है।
दुकानदार : ठीक है नंबर ले लो, दुकान का नंबर 239****3, उत्तम मिलेगा आपको, उत्तम का नंबर ले लो 98108****16 जगह-खारी बावली।
दिल्ली मुनाफाखोरों का हौसला इतना बढ़ चुका है कि अमूमन खाने के हर सामान में मिलावट हो रही है है। ये मिलावटी या नकली सामान असली जैसी दिखने वाली पैकिंग में बेचा जाता है। दूध और मावे में तो पैकिंग की भी जरूरत नहीं पड़ती। जाहिर है, खतरे में है आपकी जिंदगी। हर चमकने वाली चीज सोना नहीं होती। चमकदार और आकर्षक पैकिंग की वजह से अगर आप कोई चीज़ खरीद रहे हैं तो जरा संभल जाइए। उसमें मिलावटी सामान भी हो सकता है। ऐसी चीजों के सेवन का सीधा मतलब है- खतरा। आजकल तो ड्राई फ्रूट्स में भी रंगों का इस्तेमाल होने लगा है जो शरीर के लिए घातक है। कलर मिले होते हैं वो भी अर्गेनिक कलर होते हैं नुकसानदायक होते हैं।
खान-पान के नाम पर अगर मिलावटी चीजें शरीर में पहुंच रही हैं तो ये सेहत के लिए खतरे की घंटी है। सबसे ज्यादा नुकसान लीवर को होता है। लीवर में सूजन आ जाती है। मिलावटी मिठाई खाने से पीलिया होने का खतरा रहता है।फूड प्वायजनिंग, उल्टी और दस्त भी हो सकता है। नकली मावा, सिंथेटिक दूध से कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।मिलावटी पनीर व घी से सिर दर्द, पेट दर्द औऱ त्वचा रोग हो सकते हैं। त्योहारों में नकली मावा बड़े पैमाने पर बनाया जाता है जिसमें दूध की बजाए पाउडर और रसायनों का इस्तेमाल होता है। वहीं पानी में डिटरजेंट, जेल और रिफाइंड आयल मिलाकर सिंथेटिक दूध बनाया जाता है। यूरिया को घोलकर उसमें मोबिल आयल मिलाकर भी सिंथेटिक दूध तैयार किया जाता है। अब जरा सोचिए ऐसी खतरनाक चीजें अगर मिठाई के नाम पर आपके जिस्म में जाएंगी तो आपकी सेहत का क्या होगा।
दिल्ली त्योहारों के मौके पर हर साल मिलावटखोरों के खिलाफ अभियान चलाया जाता है, खाने-पीने की चीजों के सैंपल लिए जाते हैं, बड़ी तादाद में धरपकड़ होती है, इसके बावजूद आखिर क्यों खत्म नहीं होती मिलावटखोरी, क्यों बढ़ रहे हैं मिलवाटखोरों के हौसले। हर साल होती है मिलावटखोरों के ठिकानों पर छापेमारी.हर साल मुनाफाखोरों पर शिकंजा कसने की होती है तैयारी। बड़ी तादाद में मिलावटी सामान भी जब्त किया जाता है। फूड सेफ्टी एंड सिक्योरिटी डिपार्टमेंट सैंपल जांच के लिए भिजवाता है और अगर सैंपल नेगेटिव पाए गए तो समान नकली या मिलावटी माना जाता है।
प्रिवेन्शन ऑफ फूड एडल्टेरेशन एक्ट 1954 के मुताबिक अगर कोई भी व्यक्ति मिलावट करने में या मिलावटी समान बेचने के आरोप में पकड़ा जाता है तो उसे महज़ 6 महीने से 3 साल तक की सज़ा होगी। आमतौर पर आरोपी को 1000 रुपये के जुर्माने पर छोड़ दिया जाता है। लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ करने वालों पर महज 1000 रुपये का जुर्माना और आसानी से जमानत? जरा सोचिए ऐसे में मिलावट जैसी बीमारी पर लगाम लगे भी तो कैसे?

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