प्राणियों पर मोबाइल टावर, हैंडसेट के विकिरण के प्रभाव का अध्ययन करेगी सरकार

सरकार ने मोबाइल टावरों व हैंडसेटों से मानव जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन करने के लिए संयुक्त पहल शुरू की है। इस अध्ययन को कराने के लिए आईआईटी खड़गपुर, आईआईटी मद्रास, आईआईटी रूड़की, जेएनयू व एम्स जैसे कई कई प्रमुख संस्थानों के प्रस्तावों की एक सूची बनायी गई है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत एक आवेदन के जवाब में कहा है कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत विज्ञान एवं आभियांत्रिकी अनुसंधान बोर्ड तथा दूरसंचार विभाग ने मोबाइल टावरों व हैंडसेटों से निकलने वाले इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फील्ड (ईएमएफ) रेडिएशन के संभावित असर पर अध्ययन के लिए संयुक्त पहल शुरू की है।

प्राणियों पर मोबाइल टावर, हैंडसेट के विकिरण के प्रभाव का अध्ययन करेगी सरकार

नई दिल्ली : सरकार ने मोबाइल टावरों व हैंडसेटों से मानव जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन करने के लिए संयुक्त पहल शुरू की है। इस अध्ययन को कराने के लिए आईआईटी खड़गपुर, आईआईटी मद्रास, आईआईटी रूड़की, जेएनयू व एम्स जैसे कई कई प्रमुख संस्थानों के प्रस्तावों की एक सूची बनायी गई है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत एक आवेदन के जवाब में कहा है कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत विज्ञान एवं आभियांत्रिकी अनुसंधान बोर्ड तथा दूरसंचार विभाग ने मोबाइल टावरों व हैंडसेटों से निकलने वाले इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फील्ड (ईएमएफ) रेडिएशन के संभावित असर पर अध्ययन के लिए संयुक्त पहल शुरू की है।

ये अध्ययन आयन उत्पन्न न करने वाले 300 मेगाहट्र्ज से 3 गीगा हट्र्ज फ्रिक्वेंसी स्पेक्ट्रम वाले उपकरणों के संदर्भ में किए जाएंगे। मंत्रालय ने कहा कि उसने इस बारे में प्रस्ताव मांगे थे, जिनकी जांच की जा रही है। मंत्रालय को सार्वजनिक व निजी क्षेत्र के संस्थानों से 158 आवेदन मिले हैं। इनमें से 79 का चयन आगे विचार विमर्श के लिए किया गया है।

मंत्रालय ने बताया, ‘इस अध्ययन के लिए कोई विशेष बजट आवंटित नहीं है। अध्ययन के लिए जरूरी बजट बोर्ड के वाषिर्क बजट से दिया जाएगा।’ इस अध्ययन की अवधि दो से तीन साल की होगी। अध्ययन पूरा होने के बाद इसके निष्कर्ष उपलब्ध कराए जाएंगे। जवाब में कहा गया है कि इस अध्ययन के लिए किसी तरह का अंतरराष्ट्रीय गठजोड़ नहीं किया जाएगा।

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