अंटार्कटिका की जिंदगी की झलक देगा स्पेस थियेटर

अंटार्कटिका का विशाल और क्षितिज के पार तक फैला नीला और सफेद विस्तार धरती की सबसे अबूझ पहेलियों में से एक है और यह ऐसी जगह है जहां अभी तक सबसे कम लोग ही जा पाए गये हैं । लेकिन अब इस महाद्वीप के जीवन को यहां एक थियेटर में जीवंत रूप में पेश किया गया है ।

अंटार्कटिका की जिंदगी की झलक देगा स्पेस थियेटर

कोलकाता : अंटार्कटिका का विशाल और क्षितिज के पार तक फैला नीला और सफेद विस्तार धरती की सबसे अबूझ पहेलियों में से एक है और यह ऐसी जगह है जहां अभी तक सबसे कम लोग ही जा पाए गये हैं । लेकिन अब इस महाद्वीप के जीवन को यहां एक थियेटर में जीवंत रूप में पेश किया गया है ।

कोलकाता में साइंस सिटी में एक गुंबद के आकार के अपनी किस्म के इस अनोखे थियेटर में आस्ट्रेलियाई रोमांचक फिल्म ‘अंटार्कटिका ,एन एडवंचर आफ ए डिफरेंट नेचर ’ दिखायी जा रही है जो दर्शकों को एक नयी दुनिया के अनुभव करा रही है ।

जान वेइली की 38 मिनट की इस फिल्म में ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के खतरों की पृष्ठभूमि में इंसान की, धरती के इस सर्वाधिक उंचे, रूखे, तेज हवाओं वाले और सर्वाधिक ठंडे महाद्वीप पर खोज की ललक को दिखाया गया है । एस्ट्रोविजन 70 के विशाल प्रोजेक्शन सिस्टम के जरिए दर्शक न केवल फिल्म में खो जाते हैं बल्कि वे खुद को फिल्म का एक हिस्सा मानते हैं और अन्य लोगों की तरह अंटार्कटिका पर खुद को घूमते हुए महसूस करते हैं।

अंटार्कटिका पर कदम रखने वाली पहली भारतीय महिला वैज्ञानिक प्रोफेसर सुदीप्ता सेनगुप्ता को इस फिल्म को देखकर 1983 के दिनों की याद हो आयी जब उन्होंने दक्षिण गंगोत्री ग्लेशियर में अपना दो महीने का समय बिताया था। उन्होंने कहा कि बर्फ का दूर दूर तक फैला और कभी न खत्म होने वाला विस्तार मेरी आंखों में आज भी समाया हुआ है । हमारे आसपास कोई रंग नहीं थे । केवल नीला आसमान और सफेद बर्फ ।’

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