पटना : बिहार के रोहतास जिला के धरमपुरा गांव निवासी सात वर्ष की उम्र से धार्मिक कथा वाचक करने वाले बालसंत शिवानंद तिवारी ने 14 वर्ष की उम्र में ही इस बार की आईआईटी प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण कर देश में कम उम्र में इस परीक्षा में सफलता पाने वाले बालकों में शामिल हो गए हैं।
इस परीक्षा में 15 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को शामिल होने की अनुमति नहीं होने के कारण शिवानंद को इसमें शामिल होने के लिए अदालत से अनुमति लेनी पड़ी थी। धरमपुरा गांव निवासी एक साधारण किसान कमलाकांत तिवारी अपने बेटे शिवानंद को संत बनाना चाहते थे। अपने पिता के साथ पूजा पर बैठने वाले शिवानंद ने बहुत कम समय में ही गीता के श्लोकों सहित अन्य धार्मिक किताबों को कंठस्थ कर लिया था और सात साल की उम्र में घूम-घूमकर धार्मिक कथा वाचन शुरू कर दिया था।
शिवानंद ने बताया कि उसे बचपन से अध्यात्म से लगाव है और वह भगवान की सेवा करना चाहता था। उन्होंने बताया कि उसने अपने धार्मिक कथा वाचन की शुरुआत सात साल की उम्र में बक्सर जिला में एक मंच से की थी जिसे लोगों ने पसंद करने के बाद उसे इसके लिए जगह-जगह से बुलाहट आई। अपने घर में बने एक मंदिर में कथा वाचन करने वाले शिवानंद को लोग बालसंत कहकर पुकारने लगे और उसका कथा वाचन को सुनने वालों में से कई उनके शिष्य भी बन गए थे। शिवानंद के जीवन में उस समय एक नया मोड़ आया जब उसकी मुलाकात वर्ष 2011 में नई दिल्ली में नारायण आईआईटी-पीएमटी अकादमी के निदेशक यूपी सिंह से हुई और वे उसके पिता को राजी कर उसे पढाने के लिए अपने साथ ले गए। शिवानंद ने बताया कि यूपी सिंह और पटना स्थित उनकी कोचिंग के निदेशक दीपक सिंह ने दिल्ली से उसकी स्कूली शिक्षा को पूरा कराने के साथ-साथ आईआईटी की तैयारी भी कराते रहे थे।