मुंबई : महाराष्ट्र में 15 अक्तूबर को 288 सदस्यीय विधानसभा के लिए चुनाव होने जा रहे हैं और करीब 25 साल बाद राजनीतिक दल अकेले एक दूसरे का मुकाबला करेंगे। राज्य में दो प्रमुख राजनीतिक गठबंधन टूट चुके हैं।
वर्ष 1989 से पहले शिव सेना और भाजपा ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था। दोनों दलों ने 1989 में गठबंधन किया था।
कांग्रेस और राकांपा की भी राहें अलग हो चुकी हैं। वर्ष 1999 में शरद पवार की अगुवाई में राकांपा गठित हुई थी। बाद में इसने कांग्रेस के साथ गठबंधन किया था।
चुनाव मैदान में बाजी मारने के लिए प्रयासरत पांच मुख्य दल...कांग्रेस, शिवसेना, भाजपा, राकांपा और मनसे मतदाताओं को रिझाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं और अपने दम पर बहुमत पाने का दावा भी कर रहे हैं।
राजनीतिक विश्लेषक सुरेन्द्र जोन्दाले ने कहा ‘अगर राज ठाकरे की मनसे शिवसेना के वोट छीन लेती है तो संभावना है कि भाजपा अकेली सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरे। इसके बाद शिवसेना, कांग्रेस और राकांपा रह सकते हैं।’ मुंबई विश्वविद्यालय में प्राध्यापक जोन्दाले ने कहा ‘चुनाव प्रचार शुरू ही हुआ है। देखें, यह किस दिशा में जाता है। अभी से कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी।’