मोदी के पीएम बनने पर अमेरिका को ऐतराज नहीं : राइस

संयुक्त राज्य अमरीका की पूर्व विदेश मंत्री कोंडोलीजा राइस ने कहा है कि 2002 में गुजरात दंगा अब कोई मुद्दा नहीं रह गया है और अगर मोदी प्रधानमंत्री बनते हैं तो अमरीका को उनके साथ काम करने में कोई दिक्कत नहीं होगी।

वॉशिंगटन : चार राज्यों में हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन करने वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और उसके प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी को लेकर अमेरिका में अरसे से चला आ रहा विरोध खत्म होने के कगार पर पहुंच गया है। संयुक्त राज्य अमरीका की पूर्व विदेश मंत्री कोंडोलीजा राइस ने कहा है कि 2002 में गुजरात दंगा अब कोई मुद्दा नहीं रह गया है और अगर मोदी प्रधानमंत्री बनते हैं तो अमरीका को उनके साथ काम करने में कोई दिक्कत नहीं होगी।
एक समाचार चैनल को दिए साक्षात्कार में राइस ने कहा, `मुझे लगता है कि हमने पुरानी बातों को पीछे छोड़ दिया है और भविष्य के लिए नींव तैयार कर ली है।` जब राइस से पूछा गया कि आगामी लोकसभा चुनावों के बाद नरेन्द्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री बनते हैं तो अमरीका का क्या रूख रहेगा, इस पर राइस ने कहा कि भारत बहुत बड़ा गणतंत्र है और जो भी भविष्य में प्रधानमंत्री बनेगा, अमरीका को उनके साथ काम करने में कोई दिक्कत नहीं आएगी।
मालूम हो कि रिपब्लिकन सदस्यों जो पिट्स और फ्रैंक वोल्फ द्वारा प्रस्तावित हाउस रिसोल्यूशन 417 में पिछले महीने कहा गया था कि धार्मिक आजादी का उल्लंघन करने के आधार पर नरेंद्र मोदी को वीजा न देने की अमेरिकी सरकार से सिफारिश की जाती है। इसमें यह भी आग्रह किया गया था कि सभी पार्टियां, धार्मिक संगठन धार्मिक शोषण, उत्पीड़न और धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा का सार्वजनिक तौर पर विरोध करेंगी, खासतौर से भारत में 2014 में होने वाले आम चुनावों की तैयारी में।
सदन में विदेश मामलों की समिति के अध्यक्ष एड रॉयस, जिनके पास प्रस्ताव भेजा गया था ने सप्ताहांत में एक बयान जारी कर कहा कि दोनों देश बहुत से समान मूल्यों और सामरिक हितों को साझा करते हैं। हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि एशिया में पुर्नसंतुलन के लिए भारत अमेरिका का केंद्र है। सदन की विदेशी मामलों की एशिया प्रशांत उपसमिति के रिपब्लिकन अध्यक्ष स्टीव चेबोट ने दो दिन पहले प्रस्ताव के मूल सहप्रस्तावक से अपना नाम वापस ले लिया है।
एशिया प्रशांत उपसमिति में शामिल शीर्ष डेमोक्रेट एनी फेलिओमावेगा ने प्रस्ताव की अलोचना करते हुए कहा कि प्रस्ताव इस बात पर ध्यान देने में विफल रहा है कि भारत के सुप्रीम कोर्ट को मोदी के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिले हैं। यूएसआईएनपीएसी ने कहा कि समिति यह सुनिश्चित करने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी कि अमेरिकी कांग्रेस जान-बूझकर या अनजाने में भारत के होने वाले चुनावों के परिणामों को प्रभावित न करे। समिति ने यह भी कहा कि भारत संप्रभु राज्य है और इसके नागरिकों को अपना नेता चुनने का अधिकार है। (एजेंसियां)

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