भारत के हाथ से निकला काशगन तेल क्षेत्र, चीन की झोली में गया

भारत के हाथ से कजाकिस्तान स्थित काशागन तेल क्षेत्र निकल गया। यह क्षेत्र चीन की झोली में चला गया है। कजाकिस्तान सरकार ने तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) की इस क्षेत्र में कोनोकोफिलिप्स की हिस्सेदारी खरीदने के लिये लगाई गई 5 अरब डॉलर की बोली को रोक दिया।

नई दिल्ली : भारत के हाथ से कजाकिस्तान स्थित काशागन तेल क्षेत्र निकल गया। यह क्षेत्र चीन की झोली में चला गया है। कजाकिस्तान सरकार ने तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) की इस क्षेत्र में कोनोकोफिलिप्स की हिस्सेदारी खरीदने के लिये लगाई गई 5 अरब डॉलर की बोली को रोक दिया।
ओएनजीसी की पूर्ण स्वामित्व वाली इकाई ओएनजीसी विदेश ने पिछले साल नवंबर में कजाकिस्तान के सबसे बड़े तेल क्षेत्र काशागन में कोनोकोफिलिप्स की 8.4 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने के लिये 5 अरब डालर की बोली लगाई थी।
कजाकिस्तान के कानून के अनुसार सरकार को इस क्षेत्र में हिस्सेदारी की बिक्री किसी अन्य को करने से पहले इनकार का अधिकार प्राप्त है। इसके तहत कजाकिस्तान हिस्सेदारी को उसी दाम पर खरीद सकती है जिसपर अन्य पक्ष के साथ सहमति बनी है।
कजाकिस्तान सरकार ने अपने इस अधिकार का इस्तेमाल करते हुये अमेरिकी कंपनी कोनोकोफिलिप्स की हिस्सेदारी खरीदने का फैसला किया है। कजाकिस्तान की राष्ट्रीय तेल कंपनी काजमुनाईगैज क्षेत्र में कोनोकोफिलिप्स की 8.4 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदेगी जिसे बाद में 5.3 अथवा 5.4 अरब डालर में चीन को बेच दिया जायेगा।
ओएनजीसी को क्षेत्र के दूसरे भागीदारों से कोनोकोफिलिप्स की हिस्सेदारी खरीदने पर सहमति मिल गई थी लेकिन कजाकिस्तान सरकार को इस सौदे को मंजूरी देने के लिये जुलाई तक का समय था।
काशागन क्षेत्र के अन्य भागीदारों में एक्सॉन मोबिल, रॉयल डच शेल, इटली की ईएनआई, फ्रांस की टोटल और काजमुनाईगैज प्रत्येक के पास 16.8 प्रतिशत हिस्सेदारी है। जापान की इपेक्स कापरे. के पास इसमें 7.56 प्रतिशत हिस्सेदारी है। (एजेंसी)

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