वाशिंगटन : ईरान से आने वाले तेल पर निर्भरता कम करने संबंधी अमेरिकी दबाव के बढने के बीच भारत ने मंगलवार को कहा कि उसके तेहरान के साथ संबंध न तो परमाणु प्रसार विरोधी उददेश्यों के खिलाफ हैं और ना ही पश्चिम के साथ रिश्तों में गतिरोध पैदा करने वाले हैं।
अमेरिका के दौरे पर आए विदेश सचिव रंजन मथाई ने यहां अधिकारियों से कहा, ईरान के साथ हमारे रिश्ते न तो हमारे परमाणु प्रसार विरोधी उददेश्यों के विपरीत हैं और ना ही पश्चिम एशिया या अमेरिका तथा यूरोप में हमारे मित्रों के साथ गतिरोध पैदा करने वाले हैं।
मथाई ने ‘सेंटर फॉर स्ट्रेटिजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज’ (सीएसआईएस) में कहा कि ईरान के परमाणु कार्यक्रम के सवाल पर भारत की स्थिति सब जानते हैं।
उन्होंने कहा, आईएईए में हमारी राय खुद (हमारे रूख के बारे में) बोलती है। गौरतलब है कि ओबामा प्रशासन, अमेरिकी सीनेटर और प्रभावशाली नीतिनियंता भारत पर ईरान से तेल आयात बंद करने संबंधी दबाव बना रहे हैं।
मथाई ने कहा, हमारा मानना है कि ईरान के पास परमाणु उर्जा का उपयोग शांतिपूर्ण उददेश्यों के लिए करने का अधिकार है, लेकिन उसे एनटीपी के तहत गैर परमाणु हथियार राष्ट्र के तौर पर अपनी अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताएं भी पूरी करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि आशा है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों और जर्मनी की ईरान के साथ जल्द ही बातचीत शुरू होगी और इसके सकारात्मक परिणाम आएंगे।
मथाई ने जोर देकर कहा कि पश्चिम एशिया में शांति और स्थिरता भारत के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, हमारे इस क्षेत्र के देशों के साथ मजबूत राजनीतिक एवं आर्थिक संबंध हैं और वहां के लोगों के साथ मजबूत रिश्ता भी है। (एजेंसी)