B.Tech के बाद नौकरी छोड़ शुरू की फिश फार्मिंग, आज हर साल 40 लाख कमा रहा ये शख्स
Advertisement
trendingNow12312204

B.Tech के बाद नौकरी छोड़ शुरू की फिश फार्मिंग, आज हर साल 40 लाख कमा रहा ये शख्स

Fish Farming: गाजियाबाद के पतला गांव के रहने वाले रजनीश पिछले 5 सालों से मछली पालन कर रहे हैं और इस क्षेत्र में उन्होंने काफी नाम कमा लिया है. बीटेक की डिग्री होने के बावजूद राजनेश ने फिश फार्मिंग के बिजनेस को चुना और आज वह इससे अच्छी कमाई भी कर रहे हैं. 

Photo Credit : Instagram

Aquaculture: आपने ऐसे कई लोगों के बारे में सुना होगा, जो नौकरी से हटकर कुछ अलग करना चाहते हैं. रजनीश कुमार की कहानी ऐसे लोगों के लिए प्रेरणा. गाजियाबाद के पतला गांव के रहने वाले रजनीश पिछले 5 सालों से मछली पालन कर रहे हैं और इस क्षेत्र में उन्होंने काफी नाम कमा लिया है. बीटेक की डिग्री होने के बावजूद राजनेश ने फिश फार्मिंग के बिजनेस को चुना और आज वह इससे अच्छी कमाई भी कर रहे हैं. रजनीश कई तरह की मछलियों का पालन करते हैं, जिनमें मगुर मछली भी शामिल है.  

तालाब और बायोफ्लोक तकनीक का इस्तेमाल

रजनीश तालाब और बायोफ्लोक टेक्नोलॉजी दोनों का इस्तेमाल कर मछली पालन करते हैं. हालांकि दोनों तरीके कारगर हैं, राजनेश का कहना है कि तालाब में मछली पालन भारत में सबसे पुराना और कारगर तरीका है क्योंकि तालाब मछलियों के अच्छे से बढ़ने के लिए जरूरी वातावरण देते हैं.

100 एकड़ में फैला हुआ फार्म

कृषि जागरण की रिपोर्ट के मुताबिक रजनीश का फार्म 100 एकड़ में फैला हुआ है. इसमें से 30-35 एकड़ में वे मछली के बच्चों को पालते हैं और बाकी 65 एकड़ में वे बड़ी मछलियों का पालन करते हैं. उन्होंने अपना खुद का ब्रांड 'PVR AQUA' बनाया है, जिसके नाम से वे मछली बेचते हैं.  मछली बेचने के अलावा रजनीश दूसरे किसानों को मछली पालन की ट्रेनिंग भी देते हैं और यूट्यूब चैनल पर फिश फार्मिंग से जुड़े जानकारी वाले वीडियो भी बनाते हैं.

बाजार की मांग और मुनाफा

मार्केट में हमेशा मछली की डिमांड रहती है लेकिन सप्लाई कम है. रजनीश ने इसी कमी को देखते हुए फिश फार्मिंग का बिजनेस शुरू किया. वह हर साल लगभग 300 टन मछली का उत्पादन करते हैं और इसे सीधे दिल्ली के थोक व्यापारियों को बेचते हैं. इससे उन्हें सालाना लगभग 40 लाख का मुनाफा होता है. हालांकि, हर साल उन्हें करीब 2 करोड़ रुपये खर्च भी करने होते हैं. रजनीश बताते हैं कि उन्हें खेती से हमेशा लगाव रहा है और उन्होंने मछली पालन का जुनून पूरा करने के लिए अपनी नौकरी छोड़ दी. उनका मानना है कि मछली पालन में मुर्गियों या गायों जैसा झंझट नहीं है और वे अपनी मछलियों पर पूरा कंट्रोल रख सकते हैं.

पारंपरिक खेती को बदलने की जरूरत

रजनाश का मानना है कि भारत में किसानों के पारंपरिक खेती के तरीकों को बदलने की जरूरत है. वे किसानों को नये विकल्पों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं और बताते हैं कि मछली पालन एक अच्छा विकल्प हो सकता है. कम जगह में भी मछली पालन किया जा सकता है, इसलिए जो किसान अपनी आमदनी बढ़ाना चाहते हैं उनके लिए ये फायदेमंद हो सकता है.

Trending news