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Jupiter Transit 2023: ज्योतिष शास्त्र में हर ग्रह का अपना अलग महत्व है. वैदिक ज्योतिष शास्त्र में बृहस्पति को एक प्रभावशाली ग्रह माना गया है. जब भी गुरु ग्रह राशि परिवर्तन करता है, तो इसका प्रभाव सभी राशियों पर देखने को मिलता है. हिंदू पंचांग के अनुसार बृहस्पति ग्रह 4 सितंबर 2023 को शाम 4 बजकर 58 मिनट पर वक्री हो चुके हैं. मेष राशि में गुरु के वक्री होने से इन राशि के जातकों को दिसबंर तक विशेष रूप से सावधान रहने की जरूरत है. बता दें कि 31 दिसंबर को गुरु मेष राशि में ही मार्गी होंगे.
देवगुरु बृहस्पति है शुभ ग्रह
वैदिक ज्योतिष शास्त्र में बृहस्पति को शुभ ग्रहों में से एक माना गया है. बता दें कि बृहस्पति धनु और मीन राशि के स्वामी ग्रह हैं. ज्योतिष शास्त्र में बृहस्पति को ज्ञान, बुद्धि, धर्म, अध्यात्म, संतान, शिक्षक आदि का कारक माना गया है. ज्योतिष शास्त्र में ग्रह के वक्री होने का अर्थ उल्टी चाल से चलना है और इसका नकारात्मक प्रभाव सभी राशियों के जीवन पर देखने को मिलता है.
मेष राशि पर बृहस्पति का प्रभाव
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मेष राशि को स्वामी ग्रह मंगल है. वहीं, मंगल और बृहस्पति के बीच मित्रता का भाव है. ऐसे में मेष राशि में गुरु के वक्री होने से ज्यादातर राशि के लोगों को लाभ होने वाला है. लेकिन मेष राशि में गुरु-राहु की युति से बनने वाले चांडाल योग के कारण मेष राशि वालों के लिए ये समय बहुत अशुभ रहने वाला है.
माता-पिता की सेहत का रखें ध्यान
बता दें कि मेष राशि के जातकों के लिए गुरु नवम और बारहवें भाव के स्वामी हैं. ऐसे में आप गलत फैसले भी ले सकते हैं. पिता के साथ विवाद भी हो सकता है. इस समय माता-पिता की सेहत का खास ख्याल रखें. उन्हें किसी वाद-विवाद से परेशानी हो सकीत है. स्वास्थ्य समस्याओं के कारण धन हानि संभव है या फिर फिजूलखर्ची बढ़ सकती है. वक्री बृहस्पति के दुष्प्रभावों से बचने के लिए ज्योतिष अनुसार रोज पिता और गुरु के चरण स्पर्श करें. कहते हैं कि गुरु वंदना से लाभ होता है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)