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Shiv Panckakshar Stotra: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अगर किसी जातक की कुंडली में कालसर्व होने पर उसे कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है.कालसर्प का नाम सुनते ही लोग भयभीत हो जाते हैं. किसी जातक की कुंडली में कालसर्प होने पर व्यक्ति को बुरे परिणामों का सामना करना पड़ता है. ज्योतिष शास्त्र का कहना है कि जब व्यक्ति की कुंडली में राहु और केतु एक तरफ होते हैं, तो इनके बीच अन्य ग्रह स्थित हो जाते हैं. ऐसी स्थिति में कालसर्प दोष बनता है. जिन जातकों की कुंडली में कालसर्प दोष होता है उसके जीवन में अशांति मचा देते हैं.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भगवान शिव की आराधना करने से व्यक्ति को कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है. मान्यता है कि अगर नियमित रूप से हर सोमावर शिव पंचाक्षर का पाठ किया जाए, तो व्यक्ति को कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है. और कालसर्प दोष का प्रभाव कम हो जाता है. आइए जानें शिव पंचाक्षर पाठ के बारे में.
शिव पंचाक्षर स्तोत्र
नागेंद्रहाराय त्रिलोचनाय भस्मांग रागाय महेश्वराय।
नित्याय शुद्धाय दिगंबराय तस्मे न काराय नम: शिवाय:।।
मंदाकिनी सलिल चंदन चर्चिताय नंदीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय।
मंदारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय तस्मे म काराय नम: शिवाय:।।
शिवाय गौरी वदनाब्जवृंद सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय।
श्री नीलकंठाय वृषभद्धजाय तस्मै शि काराय नम: शिवाय:।।
वशिष्ठ कुभोदव गौतमाय मुनींद्र देवार्चित शेखराय।
चंद्रार्क वैश्वानर लोचनाय तस्मै व काराय नम: शिवाय:।।
यज्ञस्वरूपाय जटाधराय पिनाकस्ताय सनातनाय।
दिव्याय देवाय दिगंबराय तस्मै य काराय नम: शिवाय:।।
पंचाक्षरमिदं पुण्यं य: पठेत शिव सन्निधौ।
शिवलोकं वाप्नोति शिवेन सह मोदते।।
नागेंद्रहाराय त्रिलोचनाय भस्मांग रागाय महेश्वराय।
नित्याय शुद्धाय दिगंबराय तस्मे ‘न’ काराय नमः शिवायः।।
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)