Ratan Tata ने ठान लिया था हर घर में पहुंचानी है कार, नुकसान हुआ तो हुआ लेकिन भारत वासियों से किया वादा पूरा किया
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Ratan Tata ने ठान लिया था हर घर में पहुंचानी है कार, नुकसान हुआ तो हुआ लेकिन भारत वासियों से किया वादा पूरा किया

Ratan Tata Dies: भारत के सबसे बड़े बिजनेस ग्रुप्स में शुमार टाटा संस के चेयरमैन रतन टाटा का बुधवार को निधन हो गया है, उन्होंने 86 वर्ष की आयु में इस दुनिया को अलविदा कह दिया है. 

 

 

Ratan Tata ने ठान लिया था हर घर में पहुंचानी है कार, नुकसान हुआ तो हुआ लेकिन भारत वासियों से किया वादा पूरा किया

Ratan Tata Dies at 86: टाटा संस के चेयरमैन रतन टाटा ने बुधवार को 86 वर्ष की आयु में दुनिया को अलविदा कह दिया है. रतन टाटा एक ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने देश की तरक्की में एक अहम भूमिका निभाई है. बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक हर एज ग्रुप में उनकी जबरदस्त लोकप्रियता है और आज उनके निधन से देश में शोक की लहर दौड़ पड़ी है. 

रतन नवल टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को हुआ था. वह एक उद्योगपति, परोपकारी व्यक्ति और टाटा संस के पूर्व अध्यक्ष थे. वह 1990 से 2012 तक टाटा समूह के अध्यक्ष और अक्टूबर 2016 से फरवरी 2017 तक अंतरिम अध्यक्ष रहे. वह इसके धर्मार्थ ट्रस्टों के प्रमुख बने रहे. साल 2000 में तीसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण प्राप्त करने के बाद 2008 में उन्हें भारत का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण भी दिया जा चुका है. 

रतन टाटा ने ली थी दुनिया की सबसे सस्ती कार बनाने की शपथ 

रतन टाटा ने दुनिया की सबसे सस्ती कार बनाने का वादा किया था, और उस वादे को पूरा करने के लिए उन्होंने "Tata Nano" को लॉन्च किया था. इसका उद्देश्य था कि आम लोगों को किफायती कीमत में एक कार उपलब्ध कराई जाए, जो दोपहिया वाहनों के बजाय एक सुरक्षित विकल्प हो. 2008 में टाटा नैनो को पेश किया गया, और इसकी शुरुआती कीमत लगभग 1 लाख रुपये रखी गई थी, जिससे इसे "लखटकिया कार" भी कहा गया.

टाटा नैनो को बनाते समय रतन टाटा ने ध्यान रखा कि यह कार उन लोगों के लिए हो जो पहले से बाइक या स्कूटर जैसी गाड़ियों का इस्तेमाल करते थे और एक सुरक्षित व किफायती कार चाहते थे, इस दृष्टिकोण के साथ, उन्होंने ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में एक नई दिशा स्थापित की.

टाटा नैनो की बिक्री में नुकसान झेलकर भी रतन टाटा ने बंद नहीं किया था प्रोडक्शन 

टाटा नैनो की बिक्री में कठिनाइयों के बावजूद, रतन टाटा ने इस कार के उत्पादन को जारी रखा था क्योंकि उनका उद्देश्य केवल मुनाफा कमाना नहीं था, बल्कि आम लोगों को किफायती और सुरक्षित परिवहन के साधन मुहैया कराना था. टाटा नैनो को लॉन्च करने के पीछे उनकी सोच यही थी कि जिन लोगों के पास बाइक या स्कूटर जैसी गाड़ियां हैं, वे भी एक सस्ती और सुरक्षित कार का लाभ उठा सकें. 

हालांकि, बाजार की चुनौतियों, मार्केटिंग में कुछ कमियों और उपभोक्ताओं की बदलती प्राथमिकताओं के चलते टाटा नैनो की बिक्री में कमी आई. इसके बावजूद, रतन टाटा ने इस प्रोजेक्ट को एक सामाजिक दृष्टिकोण से देखा और इसे बंद करने में जल्दबाजी नहीं की.

लेकिन आखिर में, 2018 में टाटा मोटर्स ने नैनो का प्रोडक्शन बंद करने का फैसला किया, क्योंकि इसकी मांग में लगातार गिरावट आ रही थी और इसे अपग्रेड करना भी व्यावसायिक रूप से फायदेमंद नहीं रह गया था.

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