Submarine Building Plan: चीन की बढ़ती समुद्री गतिविधियों को देखते हुए भारतीय नौसेना को इस प्रोजेक्ट की बेहद जरूरत है. हालांकि, मौजूदा स्थिति में यह देरी भारत की सैन्य तैयारियों के साथ-साथ 'मेक इन इंडिया' पहल पर भी सवाल खड़े कर रही है.
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India's submarine building plan: हिंद महासागर में चीन की लगातार बढ़ती उपस्थिति के बीच भारत को बड़ा झटका लगा है. भारतीय नौसेना की ताकत बढ़ाने के लिए अहम प्रोजेक्ट में से एक और भारत का महत्वाकांक्षी सबमरीन प्रोजेक्ट फिलहाल अधर में अटक गया है. यह प्रोजेक्ट लगभग 6 अरब डॉलर का है. जिसमें छह डीजल-इलेक्ट्रिक सबमरीन बनाने की योजना है.
ईटी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, समुद्री परीक्षणों के दौरान प्रक्रियाओं पर उठे सवालों ने इस प्रोजेक्ट में सालभर की देरी कर दी है. परीक्षणों के दौरान उचित प्रक्रियाओं का पालन नहीं करने का आरोप लगाया है. मामले से अवगत दो वरिष्ठ अधिकारियों ने नाम न छापने की शर्त पर ईटी से बातचीत में कहा है कि यह देरी और भी लंबी हो सकती है.
भारत के लिए अहम प्रोजेक्ट
सबमरीन प्रोजेक्ट पर रोक भारत की अपनी सेना को एडवांस करने के प्रयासों के लिए एक झटके से कहीं अधिक है. क्योंकि यह प्रोजेक्ट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नई रक्षा खरीद नीति का अहम हिस्सा है, जो 'मेक इन इंडिया' को बढ़ावा देती है. इस नीति के तहत विदेशी कंपनियों को भारतीय साझेदारों के साथ मिलकर तकनीक साझा करनी होती है और भारत में हथियार निर्माण करना होता है. यह योजना भारत को हथियारों के आयात पर निर्भरता कम करने में मदद कर सकती है.
इस प्रोजेक्ट के लिए जर्मनी की ThyssenKrupp Marine Systems और भारत की Mazagon Dock Shipbuilders Ltd. ने साझेदारी की है. वहीं, स्पेन की Navantia SA और भारत की Larsen & Toubro Ltd. भी इस दौड़ में शामिल हैं. हालांकि, जून में हुए फील्ड ट्रायल्स के बाद उठे करीब आधा दर्जन आपत्तियों ने प्रक्रिया को रोक दिया है.
मुद्दों को सुलझाना जरूरी
ठेकेदारों ने समुद्री परीक्षणों के दौरान नियमों के उल्लंघन और स्पष्ट दिशा-निर्देशों की कमी जैसी शिकायतें दर्ज की हैं. जानकारों के अनुसार, इन आपत्तियों की जांच करना जरूरी है, जिससे परियोजना की प्रक्रिया और लंबी खिंच सकती है. वहीं, कुछ लोगों का कहना है कि शिकायतों की नेचर और समय यह सवाल उठाता है कि क्या ठेकेदार परियोजना को रोकने की कोशिश कर रहे हैं क्योंकि उन्हें नुकसान होने का डर है.
चीन की बढ़ती समुद्री गतिविधियों को देखते हुए भारतीय नौसेना को इस प्रोजेक्ट की बेहद जरूरत है. हालांकि, मौजूदा स्थिति में यह देरी भारत की सैन्य तैयारियों के साथ-साथ 'मेक इन इंडिया' पहल पर भी सवाल खड़े कर रही है. विशेषज्ञों का कहना है कि जल्द ही इन मुद्दों को सुलझाना जरूरी है ताकि यह महत्वाकांक्षी परियोजना समय पर पूरी हो सके.
भारतीय नौसेना ने टिप्पणी से किया इनकार
हालांकि, भारतीय नौसेना और मझगांव ने इस मामले पर किसी भी तरह से टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है. वहीं, रिपोर्ट के मुताबिक, L&T ने इन आपत्तियों पर कहा है कि रक्षा मंत्रालय में फील्ड परीक्षण मूल्यांकन प्रक्रिया जारी है. ऐसे में इस पर किसी भी तरह से टिप्पणी करना हमारे लिए अनुचित होगा.
वहीं, मामले से अवगत लोगों ने कहा है कि भारत के रक्षा मंत्रालय ने दोनों प्रस्तावों का मूल्यांकन करने और अंतिम निर्णय पर सरकार को सलाह देने के लिए एक समिति का गठन किया है.