भारत में खाद्य तेल की कीमतों पर डोमेस्टिक प्रोडक्शन के साथ ही इंटरनेशनल मार्केट का भी असर पड़ता है. भारत में खाद्य तेल का उत्पादन कम है, खपत ज्यादा.
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मुंबई: भारत में पिछले कुछ समय से खाद्य तेल की कीमतें आसमान छू रही हैं. लेकिन अब इससे राहत मिलती दिख रही है. सरकार ने खाद्य तेलों की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने के लिए कई कदम उठाए हैं. ताकी इस समस्या का हल निकाला जा सके. इसमें सबसे महत्वपूर्ण कदम है, इंपोर्ट ड्यूटी को कम करना.
भारत में खाद्य तेल की कीमतों पर डोमेस्टिक प्रोडक्शन के साथ ही इंटरनेशनल मार्केट का भी असर पड़ता है. भारत में खाद्य तेल का उत्पादन कम है, खपत ज्यादा. ऐसे में भारत विदेश से बड़ी मात्रा में खाद्य तेल इंपोर्ट करता है. हालांकि अब खाद्य तेलों की कीमतों में गिरावट आ रही है.
डिपार्टमेंट ऑफ कंज्यूमर अफेयर्स की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक खाद्य तेलों की कीमतों में करीब 20 फीसगी तक कमी आई है. पॉम आयल के दाम 142 रुपये प्रति किलो घटकर 115 रुपये किलो ग्राम तक हो गए हैं. इस तरह से इसकी कीमतों में करीब 19 फीसदी की कमीं आई है. वहीं, सूरजमुखी का तेल मई 21 में 188 रुपये प्रति किलो था, जो 16 फीसदी की गिरावट के साथ 157 रुपये प्रति किलो तक आ गई है. सोया ऑयल की कीमतों में 15 फीसदी को सरसों तेल की कीमतों में करीब 10 फीसदी की कमी आई है.
बाजार सूत्रों का कहना है कि मंगलवार देर रात की बैठक में आयात शुल्क मूल्य में कोई बदलाव नहीं किये जाने से मलेशिया एक्सचेंज में चार प्रतिशत ओर शिकागो एक्सचेंज में दो प्रतिशत की गिरावट आई. उन्होंने कहा कि शिकागों में आई गिरावट से सोयाबीन तेलों के भाव हानि में रहे। जबकि सोयाबीन के तेल रहित खल (डीओसी) की स्थानीय के साथ साथ निर्यात मांग अधिक होने से सोयाबीन दाना और लूज के भाव में सुधार रहा.
उन्होंने कहा कि मंडियों में सोयाबीन के बेहतर दाने की आवक कम है. सोयाबीन की अगली फसल अक्टूबर में आयेगी. तेल संयंत्र वाले एनसीडीईएक्स में सोयाबीन दाने की खरीद कर रहे हैं जहां जुलाई अनुबंध का भाव हाजिर भाव से 700 रुपये क्विन्टल नीचे और अगस्त अनुबंध का भाव 900 रुपये क्विन्टल नीचे है. इसकी बाद में हाजिर डिलीवरी ली जा सकती है.
(एजेंसी इनपुट भाषा के साथ)