Unitech के मालिकों को 'सुप्रीम' झटका, तिहाड़ जेल में मिली सुविधाएं वापस लेने के आदेश
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Unitech के मालिकों को 'सुप्रीम' झटका, तिहाड़ जेल में मिली सुविधाएं वापस लेने के आदेश

यूनिटेक (Unitech) के अधूरे प्रोजेक्ट मामले में सुप्रीम कोर्ट से कंपनी के प्रमोटर संजय और अजय चंद्रा को बड़ा झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने तिहाड़ जेल में बंद प्रमोटर संजय और अजय चंद्रा को व्यवसायिक सौदेबाजी के लिए दी गई सुविधाएं वापिस लेने का भी आदेश दिया है.

Unitech के मालिकों को 'सुप्रीम' झटका, तिहाड़ जेल में मिली सुविधाएं वापस लेने के आदेश

नई दिल्ली : यूनिटेक (Unitech) के अधूरे प्रोजेक्ट मामले में सुप्रीम कोर्ट से कंपनी के प्रमोटर संजय और अजय चंद्रा को बड़ा झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने तिहाड़ जेल में बंद प्रमोटर संजय और अजय चंद्रा को व्यवसायिक सौदेबाजी के लिए दी गई सुविधाएं वापिस लेने का भी आदेश दिया है. कोर्ट ने तिहाड़ जेल प्रशासन को आदेश दिया है कि चंद्रा ब्रदर्स के साथ आम कैदियों जैसा सलूक किया जाए.

डिजिटल सबूत मुहैया नहीं कराए गए

सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश फॉरेंसिक ऑडिटर्स के साथ यूनिटेक की ओर से सहयोग न करने पर दिया है. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त फॉरेंसिक ऑडिटर ने कोर्ट को बताया कि यूनिटेक के अधिकारी उन्हें निवेशकों की रकम के हेरफेर को लेकर चल रही जांच में सहयोग नहीं दे रहे हैं. उन्हें डिजिटल सबूत मुहैया नहीं कराए गए. सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिए कि वो निवेशकों की खातिर केंद्र सरकार से यूनिटेक ग्रुप और इसकी 48 सहयोगी कंपनियों के मैनजमेंट को टेकओवर करने के लिए कहेगा.

आम्रपाली की तरह यूनिटेक का भी फोरेंसिक ऑडिट होगा
पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि आम्रपाली की तरह यूनिटेक का भी फोरेंसिक ऑडिट होगा. सुप्रीम कोर्ट ने ऑडिटर नियुक्त करने का आदेश दिया था, जो साल 2006 से यूनिटेक की सभी 74 कंपनियों और उनकी सहायक कंपनियों के खातों का ऑडिट करेगी. कोर्ट ने दोनों फोरेंसिक ऑडिटर को अदालत में पेश होने के लिए कहा था. कोर्ट में संजय चंद्रा की ओर से पेश वकीलों ने उनकी जमानत के लिए कई बार आग्रह किया था, लेकिन कोर्ट ने साफ कर दिया था कि जब तक फोरेसिंक ऑडिट नहीं हो जाता, तब तक जमानत की अर्जी पर विचार नहीं होगा.

कोलकाता की संपत्ति 116.95 करोड़ में नीलाम हुई
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने निर्माण कंपनी को आदेश दिया था कि वह कोलकाता में संपत्ति की नीलामी से प्राप्त राशि से अपनी पांच परियोजनाओं के 514 फ्लैटों का निर्माण करे. कोर्ट को बताया गया था कि कोलकाता में ग्रुप की संपत्ति की जस्टिस एसएन ढींगरा की अध्यक्षता वाली समिति की निगरानी में नीलामी की गई. जस्टिस ढींगरा दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश हैं. ग्रुप की कोलकाता में संपत्ति 116.95 करोड़ रुपये में नीलाम हुई है और अबतक 28.89 करोड़ रुपये प्राप्त हो चुके हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था कि इस राशि का डिमांड ड्रॉफ्ट अदालत की रजिस्ट्री में जमा कराया जाए. इसके बाद रजिस्ट्री इस रकम को सुप्रीम कोर्ट परिसर में स्थित यूको बैंक में शॉर्ट टर्म फिक्स्ड डिपॉजिट के रूप में जमा करा देगी. इस मामले में न्यायमित्र अधिवक्ता पवनश्री अग्रवाल ने कहा था कि खरीददार द्वारा दिए गए आश्वासन के मुताबिक बाकी रकम को भी एक हफ्ते में जमा करा दिया जाएगा.

पवनश्री ने अदालत का ध्यान उसके 27 जुलाई के उस आदेश की ओर आकृष्ट कराया कि कुछ राशि से 514 फ्लैटों को निर्माण कराकर उन्हें गृह खरीददारों को दिया जा सकता है. विशेषज्ञ समिति ने इन फ्लैटों के निर्माण के लिए जिन पांच परियोजनाओं का चयन किया है उनमें गुरुग्राम की विस्टा, मोहाली की यूनीहोम्स, ग्रेटर नोएडा की होरिजन और वर्व और नोएडा की यूनीहोम्स-117 शामिल हैं.

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